बेमौसम बारिश से बरबाद फसलें ,बीमा है लेकिन नहीं मिल रहा मुआवजा
इंश्योरेंस कंपनी की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे है लाखों किसान
रतलाम,30 सितम्बर (इ खबरटुडे)। बेमौसम बरसात के चलते जिले के लाखों किसानों की फसलें बरबाद हो गई है। सभी किसानों की फसलों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा किया गया है,लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इंश्योरैंस कंपनी की लापरवाही के चलते लाखों किसान परेशानी झेलने को मजबूर है। फसल खराब होने की सूचना मिलने पर 72 घण्टों के भीतर इसका सर्वे किया जाना चाहिए,लेकिन दो-दो सप्ताह तक सर्वे ही नहीं हो पा रहा है।
रतलाम जिले के किसान इस इंतजार में है कि इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी उनके खेतों में बरबाद हो चुकी फसलों का जल्दी से जल्दी सर्वे कर लें,लेकिन कंपनी के अधिकारियों को इस बात की कोई चिंता नहीं है। किसानों द्वारा बार बार सूचनाएं दिए जाने के बावजूद सर्वे नहीं हो रहा है। नतीजा यह है कि बीमे की राशि मिलने की प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ पा रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रत्येक किसान की फसलों का बीमा किया गया है। बीमे की प्रीमीयम की राशि में जहां चार चार प्रतिशत राशि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा दी जाती है,वहीं किसान को दो प्रतिशत राशि देना होती है। किसान के हिस्से की प्रीमीयम राशि,बैंक द्वारा उसके खाते से सीधे काट ली जाती है। फसलों के नुकसान की स्थिति में मुआवजा राशि भी शासन द्वारा तय की गई है। सोयाबीन की फसल खराब होने की दशा में किसान को प्रति हेक्टेयर 26 हजार रु.मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था है।
पहली बार फसल बीमा योजना में सीधे इंश्योरेंस कपंनी को जिम्मेदारी दी गई है। योजना के मुताबिक फसल खराब होने की सूचना दिए जाने के 72 घण्टों के भीतर कंपनी को अपने अधिकारियों द्वारा नुकसानी का सर्वे करवाना चाहिए,जिससे कि किसान को जल्दी से जल्दी मुआवजा राशि प्रदान की जा सके। रतलाम जिले के समस्त किसानों की फसलों की बीमा आईसीआईसी लोम्बार्ड इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया गया है।
जब इस योजना की घोषणा की गई थी,किसानों को बडी प्रसन्नता हुई थी कि अब उनकी खेती में जोखिम काफी कम हो जाएगा। लेकिन अब,जबकि फसलें खराब हो रही है। इंश्योरेंस कंपनी की लापरवाही के चलते किसानों को मुआवजे की राशि हासिल करना कठिन होता जा रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस बार जिले में 1 लाख 80 हजार हैक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई है। इसी तरह ५७ हजार हैक्टैयर भूमि में मक्का और 28 हजार हैक्टेयर भूमि में कपास बोई गई है। लगभग पूरा जिला अतिवृष्टि की चपेट में है। जिले में लगभग तीन लाख किसानों की फसलों का बीमा किया गया है। किसानों के अनुमान के मुताबिक सोयाबीन की लगभग आधी फसल खराब हो चुकी है। कृषि विभाग द्वारा अपने स्तर पर फसलों की बरबादी का सर्वे किया जा चुका है,लेकिन बीमा कंपनी की ओर से अब तक सर्वे नहीं किया गया है। किसानों द्वारा अपनी बैंक या सोसायटी और बीमा कंपनी को बार बार सूचना दिए जाने के बावजूद सर्वे नहीं किया जा रहा है।
धामनोद के प्रगतिशील किसान डॉ.दिनेश राव ने बताया कि उन्होने 15 सितम्बर को अपनी सोयाबीन फसल खराब होने की सूचना बीमा कंपनी और अपनी बैंक कैनरा बैंक को दी थी। कैनरा बैंक ने किसान द्वारा दी गई सूचना के आधार पर बीमा कंपनी को इसकी सूचना भिजवा दी। नियमानुसार किसान द्वारा सूचना दिए जाने के 72 घण्टों के भीतर बीमा कंपनी को इसका सर्वे करवाना चाहिए। 72 घण्टों की बजाय 10 दिन गुजर गए,लेकिन बीमा कंपनी का कोई व्यक्ति श्री राव की फसलों का सर्वे करने नहीं पंहुचा। श्री राव ने 26 सितम्बर को फिर से बीमा कंपनी को याद दिलवाया कि उनकी फसलों का सर्वे अब तक नहीं किया गया है। श्री राव ने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड कपनी के टोल फ्री नम्बर पर काल करके भी अपनी शिकायत दर्ज कराई। कंपनी की ओर से भी उन्हे कहा गया कि सर्वे 72 घण्टों के भीतर करवाया जाना चाहिए। लेकिन इसके बावजूद अब तक कुछ नहीं हुआ।
इस सम्बन्ध में जब आईसीआईसी लोम्बार्ड के फसल बीमा योजना के प्रभारी नवदीप सक्सेना से पूछा गया तो उनका कहना था कि वे मीडीया से चर्चा करने के लिए अधिकृत नहीं है,इसलिए इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दे सकते। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इंश्योरेंस कंपनी के मुंबई स्थित कार्यालय के अधिकारी गिरीश कालरा से जब इस बारे में चर्चा की गई तो उनका कहना था कि वे इसकी जानकारी लेकर ही कुछ बता पाएंगे। दूसरी ओर कैनरा बैंक के प्रबन्धक एसएस खान ने इ खबर टुडे को बताया कि धामनोद के कृषक डॉ.दिनेश राव द्वारा फसल खराब होने की सूचना और क्लैम फार्म दिया गया था,जिसे तत्काल बीमा कंपनी को भेज दिया गया। श्री खान का कहना था कि बीमा कंपनी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने पर उन्होने फिर से बीमा कंपनी के अधिकारी नवदीप सक्सेना से इस प्रकरण में कार्यवाही करने का निवेदन किया था। जिले के कृषि उपसंचालक केएस खपेडिया ने इ खबरटुडे से चर्चा में बताया कि जिले में कितने किसानों की फसलें खराब हुई है,इसकी पूरी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। कृषि विभाग द्वारा जिले भर में इसका आकलन करवाया जा रहा है। उनका कहना है कि यदि बीमा कपंनी के अधिकारी खराब फसलों का सर्वे नहीं करेंगे तो उन्हे कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए सर्वे को ही स्वीकार करना पडेगा और उसी के आधार पर किसानों को मुआवजा देना पडेगा।
बहरहाल,जिले के तीन लाख किसानों में करीब आधे किसान फसलों की बरबादी के संकट से जूझ रहे है। जो जागरुक है वे तो लड झगड कर अपना हक हासिल कर लेते है,लेकिन किसानों में बडी संख्या उनकी है,जो जागरुक नहीं है और अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए सरकारी मशीनरी के मोहताज है। ऐसे में इन एक लाख से ज्यादा किसानों को फसलें खराब होने की स्थिति में मुआवजा मिल भी सकेगा या नहीं,ये फिलहाल कोई नहीं जानता।