November 23, 2024

बालिका से बलात्कार,आजीवन कारावास

न्यायालय ने मात्र छ: माह में पूरी की सुनवाई
रतलाम,5 अप्रैल(इ खबरटुडे)। छ: वर्षीय मासूम बालिका के साथ बलात्कार और अप्राकृतिक कृत्य करने वाले एक आरोपी को आज जिला न्यायालय में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। न्यायालय ने घटना होने के मात्र ६ माह के भीतर केस की सुनवाई पूरी कर अभियुक्त को दण्डित किया।
  अपर लोक अभियोजक प्रकाश राव पंवार ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि विगत दिनांक 27सितम्बर 2012 को शाम करीब साढे चार बजे जिले के रावटी थानान्तर्गत ग्राम डाबडी निवासी कालू की छ:वर्षीय बालिका अपने घर में खेल रही थी। उस समय उसके माता पिता दोनो ही घर पर नहीं थे। उसी समय  डाबडी का ही निवासी आरोपी विनोद पिता मदनलाल 22 वर्ष वहां पंहुचा। उसने बालिका को चाकलेट खिलाने का लालच दिया और मासूम बालिका को अपने साथ लेकर पास के जंगल में ले गया। जंगल में आरोपी ने नन्ही बालिका के साथ न सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य भी किया। इसके बाद आरोपी ने नन्ही बालिका को धमकाया कि वह यह बात किसी को नहीं बताए वरना वह उसे जान से मार देगा।
 नन्ही बालिका को रक्तरंजित हालत में छोडकर आरोपी वहां से भाग गया। जब बालिका के माता पिता घर पंहुचे तब उन्हे बालिका के साथ हुए अत्याचार की जानकारी मिली। घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना रावटी पर की गई। पुलिस ने रिपोर्ट के आधार पर आरोपी विनोद को गिरफ्तार किया। अनुसन्धान के दौरान पुलिस ने डीएनए जांच भी करवाई जिससे यह निर्विवाद रुप से स्थापित हुआ कि आरोपी ने ही बालिका के साथ दृष्कृत्य किया था। आरोपी के विरुध्द भादवि की धारा 363,376,377 और 506 के तहत प्रकरण पंजीबध्द कर न्यायालय में चालान पेश किया गया।
जिला न्यायालय की द्वितीय अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्रीमती आशा गोधा ने प्रकरण के विचारण के पश्चात अभियुक्त विनोद को दोषसिध्द करार दिया। अभियुक्त विनोद को बलात्कार की धारा376(2)(एफ) के अन्तर्गत आजीवन कारावास और 1 हजार रु.के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर अभियुक्त को १वर्ष का कारावास अतिरिक्त भुगतना होगा। इसी तरह अभियुक्त को अप्राकृतिक कृत्य की धारा 377 के तहत10 वर्ष का सश्रम कारावास और एक हजार रु.अर्थदण्ड,व्यपहरण की धारा363  के तहत 5 वर्ष का सश्रम कारावास व पांच सौ रु. का अर्थदण्ड व धमकी देने की धारा 506 के तहत 2वर्ष का सश्रम कारावास व पांच सौ रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई। एक हजार रु.के अर्थदण्ड को अदा नहीं करने पर एक वर्ष तथा पांच सौ रुपए के अर्थदण्ड को अदा नहीं करने पर छ: माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसका निराकरण मात्र छ: माह की अवधि के भीतर किया जो कि एक रेकार्ड है।

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