December 25, 2024

बड़ी कीमत चुका रहे हैं उज्जैनवासी ,चौतरफा धूल की मार, आमजन बीमार

ujjain polution
दूधिया रोशनी में धूल कण साफ नजर आ रहे, प्रदूषण बोर्ड निष्क्रिय
उज्जैन,20 फरवरी (इ खबरटुडे)।मौसम की पलटी और चौतरफा धूल की मार से आमजन बीमार हो चला है। सर्दी-खांसी से लोगों के हाल बेहाल हुए जा रहे हैं। डॉक्टरों के यहां सर्दी-खांसी-जुकाम-गला बैठने की बीमारी के मरीज अत्यधिक संख्या में पहुंच रहे हैं।

निर्माण कार्यों की धूल से आमजन सीधा प्रभावित हुआ जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निर्माण कार्यों को लेकर पूरी तरह से निष्क्रिय दिखाई दे रहा है।
सिंहस्थ-2016 के लिये शहर को संवारने में शासन-प्रशासन लगा हुआ है। इसके लिये चौतरफा सडक़ों पर निर्माण कार्यों की बाढ़ आई हुई है। सडक़ों पर ही सब काम हो रहे हैं। यहां तक कि पत्थर कटिंग से लेकर सीमेंट-कांक्रीट का घोल बनाने और सडक़ों की सफाई के साथ डामरीकरण के काम भी जारी हैं। ऐसे ही अनेक काम इनमें शुमार हैं, जिनमें जमकर धूल उड़ाई जा रही है। इन कार्यों के साथ ही संबंधित सडक़ों पर आवागमन भी सतत रुप से चलाया जा रहा है। इसके चलते धूल से आमजन प्रभावित हो रहा है।
सर्दी-खांसी से लोगों के हाल बेहाल, 
शहर में सर्दी-खांसी-जुकाम और गला बैठने की बीमारी से ग्रसित मरीज चिकित्सकों के यहां पहुंचकर उपचार करा रहे हैं। अधिकांश चिकित्सक मरीजों को धूल से बचने की सलाह देते हुए अन्य सावधानियां बरतने के लिये कह रहे हैं। मुख्य रुप से धूल ही आम आदमी को प्रभावित कर रही है। निर्माण कार्यों में जल्दबाजी के चलते सावधानियां न होने से धूल कणों की स्थिति बढ़ती जा रही है। दिन के साथ रात में भी निर्माण कार्य चल रहे हैं। इससे दूधिया रोशनी में धूल कणों की स्थिति साफ देखी जा सकती है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निष्क्रिय
सार्वजनिक स्थलों पर निर्माण कार्यों में प्रदूषण न फैले इसके लिये अनेक प्रकार की सावधानियां बरती जाती हैं। यहां तक कि ऐसे निर्माणों के लिये अलग से निर्देश जारी किये जाते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ऐसे निर्माणों पर सतत रुप से नजर रखना चाहिये। इसके विपरीत सडक़ों पर चल रहे धूल उड़ाने वाले निर्माणों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी तरह से आँख मूंदे बैठा है।
डब्बे में बंद जाँच रिपोर्ट की स्थिति
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहर में प्रदूषण की जाँच के लिये समय-समय पर कार्रवाई करता है। इसके विपरीत पिछले लंबे समय से शहर के प्रमुख स्थलों पर प्रदूषण के हालातों की जाँच रिपोर्ट डब्बे में बंद चल रही है। प्रदूषण विभाग इसे लेकर हालात स्पष्ट करने को तैयार नहीं है या फिर मजबूरीवश पूरे मामले को दबाये बैठा है।
शासन से मोबाइल भत्ता जन अपेक्षाओं के परे
शासन अधिकारियों को चलायमान फोन के लिये भत्ता देता है। इसके पीछे एक ही मंशा है कि जनअपेक्षाओं पर अधिकारी खरे उतरें। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की स्थिति यह है कि न तो वे कार्यालय में मिलते हैं और न ही मोबाइल फोन उठाते हैं। सिंहस्थ का आयोजन करने जा रहे उज्जैन में इस तरह के हालात अब आम हो चले हैं।

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