बजट सत्र का विरोध कांग्रेस सहित विपक्ष के पराजय बोध का सबूत – चिंतामणि मालवीय
उज्जैन,06 जनवरी (इ खबरटुडे)। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं सांसद चिंतामणि मालवीय ने कहा कि कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी की लोकप्रियता से इतने भयभीत है कि हर नवाचार का विरोध करना इनकी आदत हो चुकी है। इन विपक्षी दलों ने जिस तरह बजट सत्र जो कि महामहिम राष्ट्रपति जी ने आहूत किया है, उसका विरोध करना कांग्रेस और विपक्षी दलों का पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव में आसन्न पराजय का बोध प्रतिध्वनित होता है। एक ओर तो इन दलों ने देश में विमुद्रीकरण का पुरजोर विरोध किया और कहा कि नोटबंदी से जनता परेशान हो चुकी है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का ग्राफ गिरा है, वहीं दूसरी ओर कह रही है कि बजट प्रस्तुत होने की दशा में भाजपा को लाभ मिलेगा। यह अवधारणा निराधार है और तर्कसंगत भी नहीं है।उन्होनें कहा कि कांग्रेस तदर्थवाद की दास बनकर रह गयी है। इसलिए उसे कोई लोकहित में भी परिवर्तन रास नहीं आता है। 1 फरवरी को बजट प्रस्तुत किये जाने की राजनैतिक और संवैधानिक आवश्यकता है। इससे जहां 31 मार्च तक बजट पारित हो जायेगा, वहीं 1 अप्रैल से बजट पर देश के राज्यों में अमल शुरू हो जाने से विकास का चक्र घूमने लगेगा।
चुनाव आयोग की भी यह चिंता रही है कि देश में सालभर चुनाव होने से चुनाव आचार संहिता विकास में बाधक बनती है। इसलिए विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ-साथ हों। प्रधानमंत्री भी राजनैतिक दलों से इस विषय पर बहस के बाद एक राय बनानें का आग्रह कर चुके है। लेकिन जो कांग्रेस 1 फरवरी को बजट प्रस्तुत करने के प्रस्ताव पर माडल कोड आफ कंडक्ट को हावी बता रही है, वह एक साथ चुनाव पर कैसे सहमत होगी?
मालवीय ने कहा कि कांग्रेस पांच दशक तक सत्ता में रही है, उसने तमाम अवसरों पर माडल कोड ऑफ़ कंडक्ट के चलते घोषणाएं की है। समर्थन मूल्य घोषित किया है, आरक्षण का प्रावधान किया है। फिर बजट पेश करना तो संवैधानिक आवश्यकता है, इसके रास्ते में कोई वन्दिश कैसे लगायी जा सकती है? कांग्रेस को याद करना चाहिए कि जब केरल, पंजाब और तमिलनाडू में चुनाव थे, तब केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने ओबीसी के लिए आरक्षण घोषित किया था और केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। फिर बजट तो पूरे भारत के राज्यों का होता है, जिसके पिछड़ने से सारा प्रशासन और विकास का ढांचा चरमरा सकता है। उन्होंने बताया कि बजट सत्र राष्ट्रपति जी ने आहूत किया है और विकास की दृष्टि से इसका 31 जनवरी से सत्रारंभ घोषित किया जा चुका है। राज्यों के चुनाव में काल्पित आशंका से बजट स्थगित करना असंवैधानिक होगा।