प्रवासी के वंश ने उनके साहित्य का मान बढ़ाया- डा. जलज
गीत संग्रह “सफर प्रवासी का ” विमोचन हुआ
रतलाम,14 जुलाई (इ खबरटुडे)। साहित्य में वंशवाद नहीं होता लेकिन नगर के सुमधुर दिवंगत गीतकार सुरेश श्रोत्रिय “प्रवासी” के गीत संग्रह “सफर प्रवासी का ” के माध्यम से उनके वंश ने साहित्य जगत को उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित कराया है । यह सुखद भी है और आश्वासन प्रदान करने वाला भी। श्री प्रवासी मंच पर अपनी मधुर प्रस्तुति के माध्यम से हिंदी एवं मालवी क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान कायम कर सके।
उन्होंने अपनी भाषा में वही सादगी शामिल की जो उनके जीवन में थी। इसी से उनकी पहचान बनी। उक्त विचार भाषाविद् एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जयकुमार जलज ने श्रम कल्याण केंद्र विद्युत मंडल परिसर,रतलाम पर स्वर्गीय सुरेश श्रोत्रिय प्रवासी के कविता संग्रह “सफर प्रवासी का” के विमोचन अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्री प्रवासी कविता की लय को समझते थे और उन्होंने अपने जीवन की लय को भी कविता सा बनाया। उन्होंने इस प्रयास के लिए श्रोत्रिय परिवार की प्रशंसा की ।
अतिथि कवि एवं अनुवादक डॉ मुरलीधर चांदनीवाला ने इस अवसर पर श्री प्रवासी के गीतों के विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा कि इस संग्रह में श्री श्रोत्रिय द्वारा किए गए प्रयास और अपने परिवार को प्रदान किए गए संस्कार की दिखाई देते हैं। यह बहुत प्रशंसा की बात है कि उनके पत्नी , बेटे एवं बेटियों ने मिलकर इस संग्रह को प्रकाशित करने में अपनी रुचि दिखाई और इसे सभी के सामने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर देवास से पधारे इंदर सिंह नागर ने श्री प्रवासी के साथ बिताए अपने समय को शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया तथा उनके गीतों का भी सस्वर पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आशीष दशोत्तर में श्री प्रवासी के गीतों के माधुर्य पर चर्चा की तथा उनके सहज, सरल व्यक्तित्व को प्रेरणादायी बताया। श्री प्रवासी की धर्मपत्नी श्रीमती सरोज श्रोत्रिय ने अपनी भावनाएं व्यक्त की । आदित्य श्रोत्रिय ने कहा कि पिता के सपनों को पूरा करते हुए परिवार द्वारा इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है ।जिसमें उनके गीत एवं चतुष्पदियां सम्मिलित है। श्री भीम सिंह निर्मल ने उन्हें काव्यमयी श्रद्धांजलि दी वहीं जुझार सिंह भाटी ने उनके साथ बिताए पलों का स्मरण करते हुए उनकी पसंदीदा कविता प्रस्तुत की।
प्रारंभ में श्री प्रवासी की पुत्री प्रियंका पाठक ने सरस्वती वंदना तथा उनके पुत्र आदित्य श्रोत्रिय ने उनका मां पर लिखा सुप्रसिद्ध गीत प्रस्तुत किया। अतिथियों सहित श्री भगवान दास अग्रवाल, सतीश श्रोत्रीय का स्वागत श्रोत्रिय परिवार की ओर से बद्रीलाल श्रोत्रिय, राधेश्याम शर्मा,अरविंद सोनी, चंद्रशेखर शर्मा गोपाल भट्ट गगन पाठक रतलाम की साहित्यिक संस्थाओं से डॉ शोभना तिवारी , फैज रतलामी, शब्बीर राही ,अब्दुलसलाम खोकर, अकरम शेरानी ,अनुरूप शर्मा ,प्रकाश हेमावत,रमेश मनोहरा , बाबूलाल परमार सहित उपस्थित साहित्यकारों ने किया । अंत में आभार प्रदर्शन बद्रीलाल श्रोत्रिय में किया। इस अवसर पर नगर के सुधि श्रोता, विद्युत मंडल परिवार के सदस्य उपस्थित थे।