पुलवामा हमले के शहीदों की श्रध्दांजलि सभा में जजों के नहीं आने से भडके वकील
रतलाम,15 फरवरी (इ खबरटुडे)। पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के लिए अभिभाषक संघ द्वारा आयोजित श्रध्दांजलि सभा में जिला न्यायालय के दो न्यायाधीश अनुपस्थित रहे। इस बात से अभिभाषक भडक गए और उन्होने न्यायाधीशों के प्रति अपना विरोध भी दर्ज कराया। अभिभाषकों के आक्रोश को देखते हुए एक न्यायाधीश ने तो अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस सिपाही को बुलवा लिया।
पुलवामा में हुए आतंकी हमले से पूरे देश में दुख और गुस्से का माहौल है। आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के प्रति अपनी श्रध्दांजलि अर्पित करने के लिए आज उच्च न्यायालय समेत सभी जिला न्यायालयों में अभिभाषकों ने श्रध्दांजलि सभाओं का आयोजन किया था। इसी तारतम्य में रतलाम के जिला अभिभाषक संघ द्वारा भी अभिभाषक सभागृह में श्रध्दांजलि सभा रखी गई थी। अभिभाषक संघ द्वारा सभी न्यायाधीशों को इस आयोजन की सूचना दी गई थी।
अभिभाषक संघ द्वारा आयोजित इस श्रध्दांजिल सभा में जिला न्यायालय में कार्यरत समस्त अभिभाषक,उनके सहायक,टाइपिस्ट,न्यायिक कर्मचारी और न्यायाधीश उपस्थित थे। लेकिन जिला न्यायालय के दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीश इस श्रध्दांजिल सभा में उपस्थित नहीं थे। उक्त दोनो न्यायाधीश श्रध्दांजलि सभा से तो गैरमौजूद थे,लेकिन वे अपने न्यायालयों में न्यायिक कार्य कर रहे थे। इस बात को लेकर वकीलों में आक्रोश भडक गया। वकीलों का कहना था कि देश पर आए इस संकट की घडी में जब उच्च न्यायालय के सभी माननीय न्यायमूर्तिगण भी उच्च न्यायालय में की गई श्रध्दांजलि सभा में मौजूद थे,तब जिला न्यायालय के अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों की गैर मौजूदगी समझ से परे है।
न्यायाधीशों की जानबूझकर की गई अनुपस्थिति से भडके अभिभाषकों ने उक्त दोनों न्यायाधीशों के न्यायालयों में जाकर अपना विरोध दर्ज कराया। जब भडके हुए अभिभाषक गण न्यायाधीशों के समक्ष विरोध दर्ज कराने पंहुचे,तो एक न्यायाधीश ने तो सूचना नहीं मिलने का कारण बताया,जबकि दूसरे न्यायाधीश ने स्वास्थ्य खराब होने का कारण बताते हुए अभिभाषकों का सामना करने से ही इंकार कर दिया। इस बात से वकील और आक्रोशित हो गए। वकीलों का गुस्सा बढते देख न्यायाधीश महोदय ने अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस सिपाही तक बुलवा लिया।
जिला न्यायालय के अभिभाषक अभय शर्मा ने कहा कि न्यायाधीश का ऐसा व्यवहार अत्यन्त निंदनीय है। उन्हे अभिभाषक संघ के सचिव दीपक जोशी ने स्वयं जाकर श्रध्दांजलि सभा की सूचना दी थी और सभा में आने हेतु निमंत्रित किया था। इसके बावजूद वे श्रध्दांजलि देने की बजाय केस चलाते रहे और बाद में स्वास्थ्य खराब होने का बहाना बनाने लगे।