November 23, 2024

पीएचई के स्टोर में आग, टंकी तक नहीं पहुँच पाई

टंकी घपले की जांच लोकायुक्त में जारी है, उपयंत्री निलंबित चल रहे हैं

उज्जैन,3 अप्रैल (इ खबरटुडे)। मंगलवार तड़के गऊघाट स्थित पीएचई के स्टोर में आग लगी थी। इस आग से पीवीसी पाइप सहित कुछ सामग्री जली है। आग सिंहस्थ में हुए टंकी घोटाले तक नहंी पहुंच पाई है। गौरतलब है कि सिंहस्थ का टंकी घोटाला लोकायुक्त की जांच में है और कुछ समय पूर्व ही टंकी घोटाले से संबंधित उपयंत्री मुकेश गर्ग निलंबित किए गए हैं।
मंगलवार तड़के के समय पीएचई के गऊघाट स्थित सर्कल ऑफिस के बाहर बने हुए स्टोर जो कि पूरी तरह से खुला है में आग अज्ञात कारणों के चलते लगी थी। यहाँ पर बड़ी मात्रा में पीवीसी पाइप और अन्य सामान के साथ ही पास ही के क्षेत्र में सिंहस्थ के समय खरीदी गई पानी की टंकियां और उनके स्टैण्ड भी रखे हुए थे। आग सिर्फ पीवीसी पाइप और अन्य सामान को ही अपनी जद में ले पाई। उसी दरम्यिान दमकल को सूचना होने पर दमकल की गाड़ियों ने तत्काल ही आग पर मशक्कत के साथ काबू कर लिया। आग की सूचना पर नीलगंगा थाना पुलिस भी पहुँच गई थी। खास बात तो यह है कि जिस स्थान पर आग लगी वहाँ पर पीएचई ग्रामीण और पीएचई नगर निगम दोनों के ही स्टोर पास-पास ही संचालित किए जाते हैं। पीएचई नगर निगम के स्टोर में सिंहस्थ के समय गोलमाल करते हुए खरीदी गई करीब 100 के लगभग टंकियां और उनके स्टैण्ड भी रखे हुए थे। अगर आग पूरी तरह से फैलती तो वैसी स्थिति में टंकी के गोलमाल का मामला पूरी तरह से आग की भेंट चढ़ जाता। वर्तमान में यह मामला लोकायुक्त की जांच में बताया जा रहा है। सिंहस्थ के समय खरीदी गई पीवीसी टंकियों में जमकर गड़बड़ हुई थी। इस मामले में तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आर.के. श्रीवास्तव सहित उपयंत्री मुकेश गर्ग जांच के दायरे में हैं। स्थिति यह है कि जितनी टंकी खरीदी गई थी उनमें से एक बार भी पूरा लॉट स्टोर में दर्ज नहीं किया गया। सीधे ही टंकियां खरीदकर उपयंत्री ने सिंहस्थ क्षेत्र में रखवाने का दावा किया है। वापसी में भी टंकियाँ पूरी वापस नहीं आई है। आरोप है कि टंकियों के ऑर्डर मात्र दिए गए उनकी आमद दर्ज नहीं की गई है। न ही उनका भौतिक सत्यापन किया गया। खासबात तो यह है कि टंकी खरीदी के प्रस्ताव पर तत्कालीन संभागायुक्त ने भण्डार के पूरे नियम का पालन करने के निर्देश दिए थे। इस प्रस्ताव को सिंहस्थ प्रभारी मंत्री ने इसी शर्त के साथ मंजूरी भी दी थी। इसके बाद भी नियमों को घोलकर पी लिया गया और किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया। संबंधित घोटाले को लेकर तत्कालीन स्टोर प्रभारी उपयंत्री ने साफ तौर पर दस्तावेजों में दर्ज किया है कि उन्होंने किसी प्रकार की टंकी प्राप्त नहीं की है। यही स्थिति पीएचई के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री नगर निगम की भी रही है। उन्होंने भी बिल पर अपनी आपत्ती दर्ज की थी।

You may have missed