नर्मदा और सहायक नदियाँ प्रदेश में स्थाई परिवर्तन की संवाहक बनी- दुर्गेश रायकवार
नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में उपलब्धल जल राशि का विकास में उपयोग करने के लिये पिछले 11 वर्षों में जो योजनाबद्ध प्रयास हुए उनसे नर्मदा और उसकी सहायक नदियाँ मध्य प्रदेश के एक बडे भू.भाग में स्थाेई परिवर्तन की संवाहक बनी है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश की जीवन.रेखा नर्मदा प्रदेश के अनुपपूर जिले में अमरकण्टयक पर्वत माला से निकलकर मध्य प्रदेश की सीमा तक 1077 किलोमीटर प्रवाहित होती है। प्रदेश के 16 जिले इसके प्रवाह क्षेत्र में आते हैं। मध्य प्रदेश में अपनी यात्रा में 39 प्रमुख सहायक नदियाँ नर्मदा से मिलती हैं।अमरकण्टक से निकलने के बाद नर्मदा के मुख्य प्रवाह पर रानी अवंतीबाई सागर परियोजना बांध निर्मित है। बांध की बाँयी मुख्यब नहर से जबलपुर तथा नरसिंहपुर जिले में 1 लाख 57 हजार हेक्टे यर रकबा सिंचित होगा। वर्तमान में 1 लाख 20 हजार हेक्टेसयर क्षेत्र सिंचित हो रहा है। बांध की दाँयी मुख्यट नहर से जबलपुरए कटनीए रीवा और सतना जिलों में 2 लाख 45 हजार हेक्टे यर क्षेत्र सिंचित होगा। सिंचाई का यह विस्तारर इन जिलों में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की ओर अग्रसर है। परियोजना जलाशय मछली उत्पालदन के स्थारई लाभ के साथ ही 100 मेगावाट बिजली उत्पाकदन का लाभ भी दे रहा है। जलाशय से 175 मीट्रिक टन औसत मछली उत्पाेदन हो रहा है।
मुख्य नदी पर इसके आगे चिंकी सिंचाई योजना का निर्माण होगा। चिंकी उद्वहन प्रणाली रायसेन और नरसिंहपुर जिलों में 1 लाख 4 हजार हेक्टेरयर कृषि रकबा सिंचित करेगी। चिंकी उद्वहन प्रणाली के आगे नर्मदा का प्रमुख इंदिरा सागर बांध जलाशय निर्मित है। इस विशाल जलाशय की जलसंग्रह क्षमता 12ण्2 अरब घनमीटर है। इंदिरा सागर परियोजना से खरगोनए खण्डरवा और बड़वानी जिलों का करीब सवा लाख हेक्टेुयर रकबा सिंचित होगा। वर्तमान में मुख्य नहर से एक लाख हेक्टेनयर से अधिक रकबा सिंचित हो रहा है। जलाशय से प्रति वर्ष औसतन 2 हजार 300 मीट्रिक टन मछली उत्पा दन के साथ ही 1000 मेगावाट बिजली उत्पा दन किया जा रहा है।
इंदिरा सागर जलाशय के बाद नर्मदा पर ओंकारेश्वनर परियोजना बांध जलाशय निर्मित है। परियोजना से 1 लाख 48 हजार हेक्टेमयर सिंचाई क्षमता खरगोनए धार तथा खण्डहवा जिलों में निर्मित होगी। वर्तमान में एक लाख हेक्टेरयर रकबा सिंचित हो रहा है। जलाशय से 520 मेगावाट बिजली उत्पा दन के साथ ही प्रति वर्ष औसतन 12 मीट्रिक टन मछली उत्पातदन हो रहा है। ओंकारेश्वर के बाद 400 मेगावाट बिजली उत्पािदन क्षमता की महेश्वीर जल विद्युत उत्पातदन योजना बनकर तैयार है।
12 सहायक नदियों पर भी योजनाएँ निर्माणाधीन
अमरकण्टक से उदगम के बाद नर्मदा से मिलने वाली मुख्या सहायक नदी हालोन पर मण्डेला जिले में हालोन सिंचाई बांध परियोजना निर्माणाधीन है। इससे मण्डनला जिले में 13 हजार हेक्टेायर कृषि रकबा सिंचित होगा। इसके आगे मण्डला जिले में ही नर्मदा की सहायक मटियारी नदी पर मटियारी योजना 10 हजार 120 हेक्टेोयर सिंचाई का लाभ दे रही है। इसके आगे नर्मदा की सहायक शक्कमर नदी पर प्रस्ता0वित योजना नरसिंहपुर छिन्देवाड़ा जिलों को 64 हजार 700 हेक्टेकयर सिंचाई का लाभ देगी। इसके आगे नर्मदा से मिलने वाली बारना नदी पर निर्मित बांध जलाशय रायसेन तथा सीहोर जिलों में 60 हजार हेक्टेकयर रकबा सिंचित कर रहा है। अगले पड़ाव पर होशंगाबाद जिले में नर्मदा की सहायक दूधी नदी पर 50 हजार हेक्टेियर क्षमता की सिंचाई योजना प्रस्तायवित है। इसके आगे सीहोर जिले में 33 हजार हेक्टेबयर सिंचाई क्षमता की सहायक नदी कोलार पर होशंगाबादए हरदा जिलों में 2 लाख 42 हजार हेक्टेकयर सिंचाई क्षमता की तवा परियोजना लाभ दे रही है। होशंगाबाद जिले में ही नर्मदा की सहायक मोरण्डं और गंजाल नदियों पर 52 हजार हेक्टे यर कमाण्डा क्षेत्र निर्मित करने वाली सिंचाई योजनाओं का निर्माण होगा।
सहायक नदियों के जल उपयोग के क्रम में सुक्ता नदी पर निर्मित सिंचाई योजना खण्डयवा जिले में 16 हजार हेक्टेलयर रकबा सिंचित कर रही है। वहीं खरगोन जिले में नर्मदा की सहायक बेदा नदी पर निर्मित परियोजना से 10 हजार हेक्टे यर सिंचाई का लाभ मिल रहा है। मध्य प्रदेश में नर्मदा प्रवाह के अंतिम भाग पर मिलने वाली सहायक नदी मान पर 15 हजार हेक्टेपयर तथा जोबट पर 10 हजार हेक्टेेयर क्षमता की योजनाएँ आदिवासी बहुल धार जिले को लाभ दे रही हैं। मध्याप्रदेश की सीमा के अंदर सहायक नदी गोई पर सिंचाई परियोजना पूर्णता की ओर है। इससे बड़वानी जिले में 13 हजार हेक्टेययर रकबा सिंचित होगा।
नर्मदा जल उपयोग के नवाचारी प्रयास
नर्मदा जल के उपयोग की नवाचारी प्रयासों के अंतर्गत ओंकारेश्ववर जलाशय की नहर प्रणाली से जल उद्वहन कर नर्मदा.क्षिप्रा.सिंहस्थअ लिंक योजना पूर्ण करने के बाद इन्दौार और उज्जै न जिलों में 50 हजार हेक्टेरयर सिंचाई क्षमता की नर्मदा.मालवा.गम्भीजर लिंक योजना का कार्य जारी है। इसी क्रम में नर्मदा.कालीसिंध और नर्मदा.पार्वती लिंक योजनाएँ भी प्रस्ता वित हैं। इंदिरासागर मुख्य् नहर से जल उद्वहन कर 15 उद्वहन माईक्रो सिंचाई योजनाओं का क्रमबद्ध निर्माण आरम्भप किया गया है। इनसे आने वाले समय में खरगोनए खण्डावाए अलीराजपुरए नरसिंहपुरए रायसेनए सीहोरए देवासए इन्दौजर और कटनी जिलों में 3 लाख 61 हजार सिंचाई क्षमता निर्मित होगी।
नर्मदा जल पेयजल और उद्योगों के विकास का स्थायी समाधान बना
मध्यप्रदेश में नर्मदा और उसकी सहायक नदियां सिंचाई क्षेत्र के अभूतपूर्व विस्ताकर और कृषि उत्पाादन के साथ ही पेयजल और उद्योगों के विकास का स्था्ई समाधान बन रही है। वर्तमान में नर्मदा घाटी के 29 बडे़ और मध्य म नगरों को एक हजार मिलियन लीटर पेयजल प्रदाय हो रहा है। खण्ड वाए खरगोनए बडवानीए धारए इन्दौकरए देवासए उज्जैरन अंचल के उद्योगों को लाभ मिल रहा है। कुल मिलाकर 1ण्50 मिलियन एकड़ फीट जल का उपयोग पेयजल और उद्योग क्षेत्र में किया जायेगा। नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर निर्मित बांध जलाशयों में मछली उत्पांदन राजस्व की प्राप्तिो का बड़ा स्त्रोरत होगा।
नर्मदा सिंचाई योजनाओं से खाद्यान्न उत्पादन में 150 से 200 लाख मीण् टन की वृद्धि
एक अनुमान के अनुसार मध्यनप्रदेश में नर्मदा घाटी सिंचाई योजनाओं से आने वाले समय में वर्तमान की तुलना में 150 से 200 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त खाद्यान्नम उत्पेन्न होने लगेगा। इससे प्रदेश की कृषि अर्थ.व्यनवस्थाप नई ऊँचाइयों पर पहुँचेगी और मध्यप्रदेश मानव विकास संकेतकों के अपेक्षित बिन्दुिओं को छूते हुए देश के सकल घरेलु उत्पाीद में महत्वरपूर्ण योगदान देगा। नर्मदा और उसकी सहायक नदियों से वर्ष 2024 तक 19 लाख हेक्टेीयर क्षेत्र में सिंचाई लेने की योजना है। इससे लगभग 20 हजार करोड़ रूपये रबी फसल का उत्पाेदन होगा। अभी लगभग 5 हजार करोड़ रूपये की रबी फसल का उत्पाषदन हो रहा है।