December 27, 2024

नगर निगम अधिकारियों को भारी पडा सूचना के अधिकार कानून की धज्जियां उडाना,तीन अधिकारियों के खिलाफ अर्थदण्ड लगाने के लिए नोटिस जारी किए सूचना आयोग ने

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रतलाम,13 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। सूचना के अधिकार कानून की धज्जियां उडाने के आदी हो चुके नगर निगम के अधिकारी कर्मचारियों पर अब राज्य सूचना आयोग सख्त हो गया है। तीन अलग अलग मामलों में सूचना आयुक्त ने सम्बन्धित अधिकारी कर्मचारियों को नोटिस देकर पूछा है कि चाही गई जानकारी समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराने के मामले में उन पर अर्थदण्ड क्यों ना लगाया जाए? राज्य सूचना आयोग ने जवाब के लिए 23 अक्टूबर की तारीख तय की है।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कस्तूरबा नगर निवासी नीतिराज सिंह राठौर ने दिनांक 4 मई 2019 को तीन अलग अलग आवेदन प्रस्तुत किए थे। उनका पहला आवेदन राशन कार्ड घोटाले से सम्बन्धित जानकारियों के लिए था। इस आवेदन में नीतिराज सिंह ने 10 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी थी। नगर निगम के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने इस आवेदन को राशन कार्ड विभाग के प्रभारी को भेज दिया था। राशन कार्ड विभाग के तत्कालीन प्रभारी ने इस आवेदन में मांगी गई जानकारियों को प्रश्नवाचक बताते हुए जानकारियां देने से इंकार कर दिया।
इसी तरह नीतिराज सिंह ने दूसरा आवेदन तत्कालीन महापौर डॉ सुनीता यार्दे की मेयर इन कौंसलि के सम्बन्ध में दिया था। अपने इस आवेदन में श्री राठौर ने मेयर इन कौंसिल की बैठकों के रेकार्ड मांगे थे। जबकि तीसरा आवेदन जल प्रदाय विभाग के सम्बन्ध में प्रस्तुत किया गया था। इस आवेदन में आवेदक नीतिराज सिंह ने जल प्रदाय विभाग की विभिन्न जानकारियां 20 बिन्दुओं में मांगी थी।
उक्त तीनों आवेदनों को नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा निरस्त कर दिया गया। इसके बाद आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी तत्कालीन निगम आयुक्त एसके सिंह के समक्ष अपील प्रस्तुत की,लेकिन प्रथम अपील में भी उनके आवेदन निरस्त कर दिए गए। इससे व्यथित होकर आवेदक नीतिराज सिंह ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत की।
राज्य सूचना आयुक्त डॉ.जी कृष्णमूर्ति ने तीनों मामलों में सुनवाई और दोनो पक्षों की बहस सुनने के बाद नगर निगम के अधिकारियों कर्मचारियों के कृत्य को लापरवाही भरा मानते हुए उनके विरुध्द अर्थदण्ड आरोपित करने की जरुरत बताई है। इसके लिए सम्बन्धित कर्मचारियों को नोटिस देकर 23 अक्टूबर से पूर्व उनके जवाब मांगे गए है।
राज्य सूचना आयुक्त डॉ जी कृष्णमूर्ति ने राशन घोटाले की जानकारी से सम्बन्धित अपील का निराकरण करते हुए अपने आदेश मे कहा है कि राशन कार्ड विभाग प्रभारी ने जानबूझकर भ्रम में डालने वाली स्थिति उत्पन्न की है,जबकि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारियां प्रश्नवाचक नहीं थी। ऐसी स्थिति में तत्कालीन राशनकार्ड विभाग प्रभारी के विरुध्द अर्थदण्ड आरोपित किया जाना चाहिए। अर्थदण्ड आरोपित करने से पूर्व उन्हे सूचना पत्र देकर उनका जवाब मांगा गया है। इसी मामले में द्वितीय अपील के दौरान तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने यह जानकारी दी थी कि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारियां आवेदक को दी जा चुकी है। इस सम्बन्ध में उन्होने आवेदक के हस्ताक्षरों वाली एक पावती भी प्रस्तुत की थी। जबकि आवेदक ने ऐसी कोई जानकारी दी जाने से साफ इंकार किया। आवेदक ने यह भी बताया कि जो पावती प्रस्तुत की गई है,उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं है। हस्ताक्षरों के मिलान में भी दोनो हस्ताक्षर अलग अलग पाए गए। ऐसी स्थिति में राज्य सूचना आयुक्त ने अपने आदेश में लिखा कि नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी के कार्यालय में ऐसे शरारती अधिकारी कर्मचारी मौजूद है,जो झूठी जानकारी लोक सूचना अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। राज्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचना आयुक्त को आदेश दिया है कि वे इस गंभीर लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी की जांच कर उसके विरुध्द पन्द्ह दिनों के भीतर प्रतिवेदन सूचना आयोग को प्रस्तुत करें जिससे कि उक्त दोषी कर्मचारी के विरुध्द अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।
इसी प्रकार मेयर इन कौंसिल से सम्बन्धित जानकारियों वाले मामले में लोक सूचना अधिकारी ने सूचना आयोग को बताया कि एमआईसी से सम्बन्धित सात बिन्दुओं वाले आवेदन को मेयर इन कौंसिल के सचिव को भेज दिया गया था। मेयर इन कौंसिल के सचिव ने दस दिनों के भीतर ही समस्त जानकारी लोक सूचना अधिकारी के कार्यालय को भिजवा दी थी,परन्तु लोक सूचना अधिकारी के कार्यालय की गडबडी के चलते उक्त जानकारी आवेदक तक नहीं पंहुचाई जा सकी। इस पर सूचना आयुक्त ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदारी अधिकारी कर्मचारी की जांच कर उसका नाम पदनाम,पता मोबाइल नम्बर समेत जांच प्रतिवेदन पन्द्रह दिनों के भीतर राज्य सूचना आयोग को भेजन के निर्देश दिए है,जिससे कि सम्बन्धित दोषी अधिकारी कर्मचारी के विरुध्द अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सके।
इसी प्रकार जल प्रदाय विभाग से सम्बन्धित जानकारियों के मामले में भी राज्य सूचना आयोग ने तत्कालीन जल प्रदाय अधिकारी से 23 अक्टूबर से पहले अपना उत्तर प्रस्तुत करने को कहा है कि क्यो ना उनके विरुध्द अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक अर्थदण्ड लगाया जाए। इसके साथ ही राज्य सूचना आयोग ने तीनों अपीलों में चाही गई तमाम जानकारियों आवेदक को पन्द्रह दिनों के भीतर रजिस्टर्ड डाक से उपलब्ध कराने के आदेश दिए है।

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