November 24, 2024

जल्दी ही विश्व पटेल पर चमकेगा मध्यप्रदेश का पर्यटन – तपन भौमिक

भोपाल,11जनवरी(इ खबरटुडे)। हिन्दुस्तान का दिल देखो…। देखो..क्योंकि हिन्दुस्तान के इस दिल में, झीलें भी हैं जंगल भी। आस्था भी है और इतिहास भी। नवाबी रियासतों के महल हैं, तो राजपुताना दौर का रुआब लिए किले भी। यहां खजुराहो के कामुक मंदिर हैं तो सांची और धर्म राजेश्वर से बिखरता आध्यात्म भी। मंदिरों के लिए प्रसिध्द उड़ीसा, संस्कृति संगीत परंपरा और धरोहरों के लिए विख्यात राजस्थान, भाषा संस्कृति की पहचान लिए खड़े गुजरात के मुकाबले में, एमपी टूरिज्म ने मध्यप्रदेश की ये नई परिभाषा गढी है।   देश दुनिया के सैलानियों के लिए पर्यटन के परिदृश्य में मध्यप्रदेश को इस नए रुप में स्थापित किया है . मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक जब मध्यप्रदेश के पर्यटन में नए विस्तार को बताते हैं तो इस तसल्ली के साथ कि मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने लगातार पांचवी साल सर्वश्रेष्ठ का खिताब हासिल किया है। हांलाकि  फिक्र ये भी है कि हिन्दुस्तान के दिल को दुनिया की धड़कन बनाना बाकी है अभी। तपन भौमिक ने भोपाल की पत्रकार शिफाली से चर्चा में 2017 में, पर्यटन की नई चुनौतियों के साथ, उपलब्धियों को भी साझा किया।

प्रश्न – मध्यप्रदेश की पहचान उसकी संस्कृति, परंपरा धरोहर नहीं, उसका भूगोल है? ये शिनाख्त कब बदलेगी?
उत्तर -मेरी नजर में मध्यप्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य है कि जहां सबकुछ है। आप देखिए ना गोआ का नाम लेते ही समुद्र तट दिखाई देते हैं। केरल का नाम लीजिए तो बैक वॉटर के साथ हरियाली, दक्षिण के पारंपरिक व्यंजन दिमाग में आते हैं। राजस्थान का नाम लीजिए तो वहां मरुस्थल, संस्कृति के चटख रंगों के साथ धरोहर हमारे सामने होती है। उड़ीसा का नाम लीजिए तो मंदिरों की तस्वीर दिमाग में उभरती है। लेकिन जब एक पर्यटक मध्यप्रदेश के बारे में सोचता है तो यहां सबकुछ है। वाइल्ड लाइफ में देखिए तो कान्हा, बांधवगढ, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, रातापानी अभ्यारण्य कुल मिलाकर हमारे यहां नौ नेशनल पार्क हैं। धार्मिक आधार पर भी देखिए तो समृध्द पर्यटन क्षेत्र है हमारा. अमरकंटक है, चित्रकूट है। महाकालेश्वर, और औंकारेश्वर दो ज्योतिर्लिंग हैं हमारे यहां। उज्जैन में शक्ति के सिध्द स्थान , गढकालिका और हरसिध्दी हैं। फिर वॉटर टूरिज्म की तरफ आइए तो हनुमंतिया में तो हम जल महोत्सव कर ही रहे हैं। इसी तरह आध्यात्म, यानि स्पिरिचुअल टूरिज्म जो है उसमें भी सतना के पास भड़ूत और सांची बौध्द स्थान हैं जो आध्यात्मिक दृष्टि से देश ही नहीं दुनिया में अपनी पहचान लिए हैं। तो मध्यप्रदेश तो देश के उन प्रदेशों में गिना जाएगा अब कि जहां पर्यटन का हर स्वरुप है और अभी संभावनाएं खत्म नहीं हुई हैं।

प्रश्न – घरेलू पर्यटक भले आकर्षित हो जाए लेकिन विदेशी पर्यटक तो अब भी मध्यप्रदेश में खजुराहो सांची से आगे नहीं बढ पा रहा?
उत्तर -ये सही है कि हमारा दुनिया की निगाह में आना बाकी है  अभी। हमारे प्रदेश का जो पर्यटन है। जो हमारी विरासत है उसे विश्व पटल पर लाने का काम बाकी है। इसके लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। हमारे प्रदेश में भी ऐसी कई धरोहर हैं कि जो विश्व मानचित्र पर अपना अलग स्थान ले सकती हैं हमारा लक्ष्य अब उन्ही स्थानों को दुनिया के सामने लाने का है। हमारी कोशिश यही है कि विदेशी जो पर्यटक है उसके आकर्षण का केन्द्र सांची और खजुराहो से आगे बढे। इसके लिए हमने प्रदेश की एतिहासिक धरोहरों को सहेजने का काम शुरू किया है।

प्रश्न – पर्यटन क्षेत्रों में निजी भागीदारी के प्रयास कितने बढे हैं अब तक?
उत्तर – निजी भागीदारी को हमने भरपूर मौका दिया है। प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत ही हम मध्यप्रदेश की ऐसी कई धरोहरों को नए सिरे से सहेजने का काम कर रहे हैं। जिन्हे आगे चलकर विश्व पटल पर लेकर आएंगे। जैसे कि हमने अभी भोपाल में ताजमहल, भोपाल के ही बेनजीर महल, मिंटो हॉल, सतना का बल्देवगढ का किला इन सबको  प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत ही नए सिरे से सहेजने का काम कर रहे हैं। ताजमहल का काम तो शुरू भी हो चुका है। और जब इनका काम पूरा होगा तो हमें उम्मीद है कि घरेलू पर्यटकों के साथ हमारे यहां विदेशी सैलानी भी खजुराहो से आगे भोपाल और सतना तक जाएंगे।

प्रश्न – आपने जब से पर्यटन विभाग की कमान संभाली है तब से क्या खास बदलाव किए हैं?
उत्तर – मैं तो प्रयास कर रहा हूं, अगर सुखद परिणाम आाते हैं तो तसल्ली होती है। जैसे इस बार लगातार पांचवे वर्ष मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम को सर्वश्रेष्ठ का खिताब मिला है। इसी के साथ घरेलू पर्यटकों की संख्या इस बार बढकर आठ करोड़ 57 लाख पर पहुंच गए हैं। ये हमारे लिए तसल्ली की बात है। बाकी 2016 में हमारी चार बढ़ी उपलब्धियां रहीं। पहला, हमने जल महोत्सव का आयोजन किया। इसे हमने रण महोत्सव की तर्ज पर प्रचारित किया और आगे भी हर साल ये आयोजन इसी अंदाज में होगा। ताकि हम घरेलू के साथ विदेशी पर्यटकों का भी ध्यान मध्यप्रदेश की ओर खींच सकें। दूसरा हैरिटेज की जहां तक बात है हमने छै स्थानों को पहले अपने लक्ष्य में रखा है। फिर धीरे धीरे ये संख्या बढाएंगे। तीसरा, मध्यप्रदेश में हवाई पर्यटन की नई संभावनाओं के व्दार हम खोलने जा रहे हैं। प्रभातम एविएशन के साथ हमने एमओयू साइन किया है। और पूरी उम्मीद है कि आने वाली 15 मार्च तक भोपाल – दतिया – ग्वालियर, भोपाल — सतना – रीवा, भोपाल -जबलपुर के बीच नई हवाई सेवा शुरू होगी। इस हवाई सेवा में हवाई किराया काफी कम होगा। चौथा, मध्यप्रदेश में नई पर्यटन नीति लाए हैं, जिसका नाम ही है पर्यटन नीति 2016। इसमें हम प्राइवेट पार्टीज को तीन प्रकार से प्रोत्साहित कर रहे हैं।  हम प्राइवेट पार्टीज को जमीन दे रहे हैं। वहां वे चाहें तो होटल, मोटल, रिसोर्ट,  वाटर पार्क, पर्यटन से जुड़ा कोई भी निर्माण कर सकते हैं। इस पर हम 17 प्रतिशत तक सब्सिडी देंगे। इसमें हम अब तक बारह पार्टियों को पचास लाख से दस करोड़ तक की सब्सिडी दे भी चुके हैं। इसी तरह दूसरी कोशिश में, वे साइड एम्युनिटी भी शुरू करने जा रहे हैं डोडी की तर्ज पर। इसमें हम भवन बनाकर लीज पर देंगे। डोडी की तरह रोड साइड एम्युनिटी हम तीन सौ जगहों पर शुरू करने जा रहे हैं। लक्ष्य हमारा ये है कि 2017 तक हमारा ये काम पूर्ण हो जाए। और हमें पूरी उम्मीद है कि हमें इसका अच्छा प्रतिसाद मिलेगा।  दूसरा हम ये प्रयास कर रहे हैं, कि जो हमारी एतिहासिक धरोहर हैं उनको लाइट साउंड इफेक्टस के साथ भी नए सिरे से दुनिया के सामने लाया जाए।

प्रश्न – आपके मुताबिक अभी पर्यटन के क्षेत्र में क्या चुनौतियां हैं?
उत्तर – देखिए सबसे बड़ी चुनौती तो यही है कि हमें अब अपना आासमान बड़ा करना है। अभी तक हमारा दायरा हिन्दुस्तान तक रहा। घरेलू पर्यटकों की संख्या बढ गई है लेकिन अभी हमें, विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृध्दि हो इस पर विशेष रुप से ध्यान देना है। हमारा लक्ष्य अब ये है कि मध्यप्रदेश विश्व पटल पर अलग दिखाई दे। हांलाकि इसके लिए संस्कृति विभाग, वन विभाग, पुरातत्व विभाग इनके साथ समन्वय करके आगे बढना होगा। सबको इसके लिए साझा प्रयास करना होगा। तभी तस्वीर पूरी तरह बदलेगी। तपन भौमिक आगे जोड़ते हैं, वो तो प्रदेश के लोगों का भाग्य है कि कांग्रेस की सरकार चली गई वरना तो यही पर्यटन विकास निगम बंद होने की कगार पर था। बल्कि दिग्विजय सिंह इसे टेंडर निकालकर बंद ही करने जा रहे थे। राज्य परिवहन निगम घाटे की वजह से बंद हो ही चुका। लेकिन हमने ये प्रयास किया कि हम घाटे से उबारकर खड़ा करें. देखिए  पर्यटन विकास निगम को सत्रह करोड़ के लाभ में लेकर आए।

प्रश्न – कुदरती खूबसूरती से भरपूर मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा और बैतूल भी दूसरे पचमढी हो सकते हैं ? कभी विचार किया आपने ?
उत्तर -देखिए छिंदवाड़ा तो हमारी नजर में है ही। पातालकोट और ताम्बिया में हमने रिसोर्ट बनाया हुआ है। पातालकोट के लिए भी हमने साधन उपलब्ध कराए हैं पर्यटन विकास निगम की ओर से यहां,साईकिल दी जाती है। अब हमने ताम्बिया और सौंसर इन दोनों जगहों को चिन्हित किया है। इन्हे हम विकसित करेंगे और प्रयास होगा कि यहां ज्यादा से ज्यादा पर्यटक पहुंचे। इसी तरह से बैतूल में कुक्सखमला को भी विकसित करने का हमने बीड़ा उठाया है। ताकि प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इन स्थानों का पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकास हो सके।

प्रश्न – पर्यटक तो वो भी है जो गरीबी रेखा के नीचे रहता है,उस सैलानी के लिए क्या सुविधाएं हैं?
उत्तर – बिल्कुल, हमने उस पर भी फोकस किया है। मनोरंजन, सैर सपाटा, जीवन में खुशी उस वर्ग को भी चाहिए ना जिसका जीवन  सुबह शाम बस, रोटी की जुगाड़ में ही खत्म हो रहा है। तो हमने ये प्रयास किया कि उन्ही के जो उत्सव और मेले हैं उन्हे और भव्य रुप दिया जाए। मिसाल के तौर पर बैतूल में कई वर्षों से भोपाली मेला लग रहा है। इस मेले में अब तक स्थानीय लोगों की ही भागीदारी होती थी। स्थानीय दुकानदार और मनोरंजन के साधन होते थे। अब हमने ये तय किया है कि इस तरह के मेलों को पर्यटन विकास निगम विकसित करेगा। शुरूआत हम भोपाली मेले से कर रहे हैं। ताकि जो एक छूटा हुआ वर्ग है उसे भी वो सुविधा मिल सके जो बाकी सैलानियों को आर्थिक क्षमताओं के बूते आसानी से उपलब्ध है।

प्रश्न – मध्यमवर्ग के सैलानी को लक्ष्य करके ऐेसी कोई योजना है आपकी ?
उत्तर -हमने उनके लिए बजटिंग होटल बनाए हैं। मध्यप्रदेश में खास तौर पर हमने ऐेसे शहरों को जो कि धार्मिक नगरी के रुप में पहचान पाते हैं वहां से इसकी शुरूआत की है। जैसे हमने उज्जैन में होटल उज्जैनी शुरू किया है। इसमें सामान्य व्यक्ति सौलह सौ से अठारह सौ रुपए देकर सभी अच्छी सुविधाओं के साथ ठहर सकता है। जबकि आम तौर पर हमारे जो होटल्स हैं वहां छै से आठ हजार रुपए ठहरने का एक दिन का खर्च है। उज्जैन में अकेला उज्जैनी ही नहीं. हमने यात्रिका एक दूसरा होटल बनाया है। इसके अलावा सलकनपुर में सागौन होटल बनाया है, ये भी बजटिंग होटल है। यानि आम आदमी की जेब को ध्यान में रखते हुए। अब सलकनपुर तो देवी स्थान है, यहां भी यही होता था कि लोग भोपाल आकर ठहरते थे। हमने ये प्रयास किया कि कम खर्च में आप रात वहीं ठहरिए और सुबह निकलिए। दूसरा हमने चित्रकूट में भी ये बजटिगं होटल बनाया है। तो इस तरह से जो शुरूआत हमने की है, तो इन जगहों पर हमें प्रतिसाद भी अच्छा मिला है। असल में मध्यमवर्ग जो है वही धर्म और आस्था से ज्यादा जुड़ा होता है इसे मानस में रखते हुए हमने इन बजटिंग होटल्स की शुरूआत धार्मिक स्थलों से ही की है।

प्रश्न – पर्यटन निगम के बाकी होटल्स की तस्वीर कब बदलेगी, निजी होटल्स बड़ी चुनौती  हैं?
उत्तर – मध्यप्रदेश वासियों के लिए ये खुशखबरी हो सकती है कि एक  तो हम इंदौर में पांच सितारा होटल शुरू करने जा रहे हैं। ये पहली बार हो रहा है, दूसरे किसी राज्य में अब तक ऐसा नहीं हुआ। दूसरी अहम खबर ये है कि हम भोपाल के अशोका लेक व्यू को आईटीडीसी से खरीद रहे हैं। मार्च तक अशोका लेक व्यू हमारे आधिपत्य में आ जाएगा। सौदा लगभग हो चुका है। निश्चित है कि उसके बाद कायाकल्प होगा होटल का।

प्रश्न -हनुमंतिया टापू के साथ जल पर्यटन की नई संभावनाएं दिखाई दी हैं मध्यप्रदेश में इसके विस्तार को लेकर कोई योजना ?
उत्तर – जल महोत्सव का आयोजन तो प्रतिवर्ष होगा ही रण महोत्सव की तर्ज पर अब इसे आयोजित किया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही हमने गांधी सागर बांध में मोटर बोट की प्लानिंग की है। इसके अलावा बाण सागर परियोजना, रीवा सतना के बीच में बरगी परियोजना में क्रूज और हाउस बोट चलाए जाने का विचार है । इसी तरह होशंगाबाद की तवा परियोजना को भी हम विकसित कर रहे हैं। लक्ष्य ये है कि जल क्रीडाओं का विकास करके जल पर्यटन को प्रदेश में बढावा दिया जा सके। और हमें विश्वास है कि आने वाले समय में, विदेशी पर्यटक के लिए, प्रदेश में जलपर्यटन भी बहुत बड़ा आकर्षण होगा।

प्रश्न -रोजगार से हुनर ये क्या प्रयोग है?
उत्तर – देखिए इसके जरिए हम पर्यटन से जुड़े रोजागर में लगे लोगों को हुनरमंद बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जैसे कि आटो ड्राइवर। हम उन्हे ट्रेंनिंग देते हैं कि उन्हे सवारी से किस तरह से बातचीत करना चाहिए। कुछ अंग्रेजी का भी ज्ञान होना आवश्यक है ताकि वो विदेशी सैलानियों से भी संवाद कर सके। इसी तरह कुलियों को हम ट्रेंन्ड करते हैं कि वे किस तरह से बातचीत करें उनकी यूनिफार्म धुली और साफ सुथरी होनी चाहिए। अभी तक हमने ऐसे साढे चार सौ लोगों को प्रशिक्षित किया है। और हमारा प्रयास ये भी है कि जो पर्यटन स्थल हम विकसित कर रहे हैं वहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। जैसे हनुमंतिया टापू में हमने वहीं के स्थानीय 48 लोगों को रोजगार में लगाया है।

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