जलसंकट का असर भाजपा की भीतरी राजनीति पर
महापौर के प्रति असंतोष बढा,शहर विधायक का बढा रुतबा
रतलाम,10 जून (इ खबरटुडे)। शहर में पानी को लेकर मचे हाहाकार के बीच भाजपा की अंदरुनी खींचतान में शहर विधायक ने महापौर को काफी पीछे छोड दिया है। जलसंकट से प्रभावी ढंग से निपट पाने में जहां महापौर नाकाम रहीं वहीं शहर विधायक ने जलसंकट हल करने के लिए अपनी ओर से आम्र्ड केबल और 125 हार्स पावर का पंप उपलब्ध करा कर अपनी उंची हैसियत साबित करने में कोई कसर नहीं छोडी। भाजपा के पार्षदों में भी महापौर की कार्यप्रणाली को लेकर असंतोष बढता जा रहा है।
यूं तो रतलाम को लम्बे समय से जलसंकट के लिए ही जाना जाता रहा है। जलसंकट का सीधा सरोकार नगर निगम और महापौर से होता है। जब भी जलसंकट की स्थिति बनती है,शहर के लोग अपने पार्षद,महापौर और निगम अधिकारियों से स्थिति सुधारने की मांग करते रहे है। आमतौर पर विधायक या सांसद का जलसंकट के मामलों से सीधा सरोकार नहीं होता और इसलिए जनता भी इस मामले में विधायक आदि को सम्पर्क नहीं करती है। लेकिन शहर के इतिहास में यह शायद पहला मौका था,जब जलसंकट से निपटने के लिए महापौर और नगर निगम से निराश हो चुके पार्षदों ने सीधे विधायक से सम्पर्क किया और विधायक ने भी तुरंत कार्यवाही करते हुए व्यवस्थाएं ठीक करवाई। हांलाकि फिलहाल जल वितरण व्यवस्था सुचारु नहीं हो पाई है,लेकिन कहा जा रहा है कि दो-तीन दिन में स्थिति सामान्य हो जाएगी।
जलसंकट का यह मौका भारतीय जनता पार्टी की अंदरुनी राजनीति को भी प्रभावित कर चुका है। पिछले दो दिनों में चले घटनाक्रम ने जहां महापौर को पूरी तरह निष्क्रिय और अनुपयोगी साबित कर दिया है,वहीं विधायक ने अपनी निजी संस्था से केबल खरीदने की राशि देकर स्वयं को स्थानीय राजनीति के एकमात्र केन्द्रबिन्दु के रुप में स्थापित कर लिया है।
पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें तो स्थिति और भी स्पष्ट हो जाती है। ढोलावाड जलाशय में पर्याप्त पानी होने और यूआईडीएसएसएमटी योजना के माध्यम से पर्याप्त संख्या में नई टंकिया और पाइप लाईन तैयार हो जाने के बावजूद शहर को गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड रहा है। इस समस्या से जूझते पार्षद गण जब महापौर के पास पंहुचे,तो स्थिति को नियंत्रित करने में पूरी तरह असफल सिध्द हो चुकी महापौर मैडम पार्षदों से कन्नी काट गई। इसके बाद परेशान और निराश पार्षद गण सीधे शहर विधायक के पास पंहुचे। शहर विधायक ने पहले समस्या को समझने और उसके बाद उसका निराकरण करने की बात कही। इसके बाद विधायक स्वयं नगर निगम के अधिकारियों और चुनिन्दा पार्षदों को लेकर सीधे ढोलावाड जा पंहुचे। ढोलावाड पर जाकर यह पता चला कि गलत ढंग से बनाए गए जैकवेल के कारण ऐसी स्थिति बनी है। अब जलाशय से जैकवेल तक पानी लाने के लिए मोटर और करीब पांच सौ मीटर आम्र्ड केबल की जरुरत है। शहर विधायक ने मौके की नजाकत को समझते हुए आम्र्ड केबल तो अपने निजी एनजीओ के माध्यम तुरंत मंगाने की व्यवस्था कर दी,साथ ही पानी खींचने के लिए पंप की व्यवस्था जलसंसाधन विभाग के उच्चाधिकारियों से चर्चा करने के बाद करवाई। दोनो संसाधन उपलब्ध होने के बाद यह उम्मीद जताई गई है कि जल वितरण व्यवस्था अब सामान्य हो सकेगी। जल संकट से निपटने के लिए त्वरित ढंग से की गई व्यवस्थाओं के बाद भाजपा पार्षदों ने शहर विधायक के निवास पर पंहुचकर उनका अभिनन्दन भी किया।
विचारणीय पहलू यह है कि समस्या से निपटने का सीधा सरोकार रखने वाली महापौर मैडम का इस पूरे घटनाक्रम में कहीं कोई उल्लेख नहीं था। ना तो वे ढोलावाड जलाशय पर स्थिति का आकलन करने पंहुची और ना ही शहर विधायक के अभिनन्दन कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति रही। पूरे घटनाक्रम से ऐसा प्रतीत होने लगा,जैसे शहर में महापौर नामक कोई संस्था है ही नहीं।
इस घटनाक्रम के बाद अब भाजपा पार्षदों में इस बात की जोरों से चर्चा है कि शहर के लिए महापौर की उपयोगिता क्या है? यह मुद्दा न सिर्फ भाजपा के भीतरी खेमे में बल्कि अब तो पूरे शहर में फैलने लगा है। वर्तमान निगम परिषद को अस्तित्व में आए करीब डेढ साल का वक्त गुजर चुका है,लेकिन ऐसा लगता है जैसे शहर नेतृत्व विहीन हो। नेतृत्व की इसी असफलता का असर है कि पार्षदों और नागरिकों द्वारा अब प्रथम नागरिक को ही उपेक्षित किया जाने लगा है। यदि स्थितियां इसी प्रकार की बनी रही,तो आने वाले दिनों में नगर निगम में कई अनोखी घटनाएं देखने को मिल सकती है।