गुणावद पेयजल योजना से नगर निगम को नही खींचना चाहिए था हाथ-पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा
रतलाम,04 अप्रैल (इ खबर टुडे)। गुणावद पेयजल योजना से नगर निगम द्वारा दूरी बनाने पर भाजपा नेता और पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा ने अव्यवहारिक ठहराया है। उनका कहना है कि गुणावद पेयजल योजना पहले नगर निगम के अधीन थी और इससे काफी मात्रा में पानी मिलता था।
वर्तमान में जल-मल बोर्ड द्वारा इस योजना पर 27 करोड़ रुपए खर्च कर नए सिरे से काम किया जा रहा है। इसमें नगर निगम और इप्का को कुल नौ करोड़ रुपए देने पर दो एमएलडी पानी मिल सकता था, लेकिन नगर निगम ने इससे हाथ खींच लिए।
डागा ने बताया कि वर्तमान में शहर के उत्तर क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। नई-नई कॉलोनियां और बड़े-बड़े कैम्पस बन रहे हैं, लेकिन नगरीय सीमा में इस क्षेत्र में पानी का एक भी बड़ा स्रोत नहीं है। गुणावद पेयजल योजना में नगर निगम की सहभागिता से प्रतिदिन दो एमएलडी पानी प्राप्त होता और इससे लाल पानी की समस्या से ग्रस्त और अन्य संकट विहीन क्षेत्रों के 20 हजार लोगों को पेयजल उपलब्ध होता।
अन्य कार्यों में भी पानी का उपयोग किया जा सकता था। मेडिकल कॉलेज, रेलवे, उद्योग को जरूरत के मान से पर्याप्त पानी मिल सकता था। नगर निगम की अदूरदर्शिता के चलते अब गुणावद पेयजल योजना से केवल ग्रामीण क्षेत्र को ही पानी मिल सकेगा। डागा ने बताया कि उनके महापौर कार्यकाल के दौरान गुणावद पेयजल योजना को पुनर्जीवित करने की पहल की गई थी, लेकिन परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद इस महत्वपूर्ण पेयजल योजना पर नगर निगम द्वारा काम नहीं किया गया।
दूर हो सकती थी मेडिकल कॉलेज की समस्या
डागा ने बताया कि गुणावद पेयजल योजना नगर निगम के अधीन होने से मेडिकल कॉलेज की समस्या दूर हो सकती थी। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। इससे संचालन में काफी दिक्कतें आ रही है और पर्याप्त पानी नहीं मिलने से मेडिकल कॉलेज के प्रस्तावित अस्पताल के संचालन में भी दिक्कतें आ सकती है।
इसके अलावा लाल पानी की समस्या से ग्रस्त डोसी गांव, शिवनगर सहित अन्य क्षेत्र के हजारों लोग लाभान्वित हो सकते थे। वर्तमान में नगर निगम द्वारा एक दिन छोड़कर माह में 15 दिन जलप्रदाय किया जा रहा है। यदि गुणावद पेयजल योजना से प्रतिदिन 2 एमएलडी पानी मिलता,तो 40 हजार लोगों को आपूर्ति की जा सकती थी।