गाँव का विकास ही हमारे देश का विकास है- डॉ. मोहन राव भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रान्त के ग्राम संगम का समापन समारोह
उज्जैन 14 फरवरी(इ खबरटुडे)। भारत गाँव में बसता है। इसलिये भारत का वास्तविक विकास गाँवों के विकास के बिना संभव नहीं है। पष्चिम के तकनीकी विकास की अवधारणा से भौतिकवादी प्रगति में सुविधाएँ तो मिल सकती है परन्तु सुख की कामना अत्यंत कठिन है। अपनी संस्कृति में प्रकृति के साथ भी माँ का संबंध स्थापित है। इसलिये संस्कारों का निर्माण ग्राम एवं जंगल में रहने वाले बंधुओं में अपेक्षाकृत सहज ही देखने को मिलता है।
उक्त विचार माधव सेवा न्यास में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मालवा प्रान्त के ग्राम संगम के समापन समारोह में परम पूज्य सरसंघचालक जी डॉ. मोहन राव भागवत ने 436 गाँवों से पधारे 1392 कार्यकर्ताओं एवं अतिथि वृंद को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। डॉ. भागवत ने बताया कि विदेषों में रासायनिक उर्वरक एवं दवाओं के दुष्परिणाम के कारण वहाँ की भूमि बंजर हो रही है। इसलिये भारत के सभी प्रांतों में जैविक कृषि के सफल प्रयोग हो रहे है। यही एक आषा की किरण है। डॉ. भागवत ने व्यसन मुक्त सामाजिक समरसता से युक्त स्वावलंबी भारत के निर्माण में गाँवों के माध्यम से अपनी भूमिका निर्वहन हेतु संकल्प लेने का आव्हान किया, जिससे भारत देश को पुनः परम वैभव पर स्थापित किया जा सके।
मध्य क्षेत्र के संघचालक अशोक जी सोहनी, मालवा प्रान्त के संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री, मालवा प्रान्त कार्यवाह शम्भुप्रसाद जी गिरि भी कार्यक्रम में मंचासीन थे। दो दिन से चल रही क्षेत्र की बैठक हेतु आए केन्द्रीय व क्षेत्रीय अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में विभिन्न क्षेत्रों से आये बंधुओं ने अपने स्वयं एवं गाँव के द्वारा किये गये कार्यो की जानकारी का वाचन किया, जिसमें जैविक कृषि, सामाजिक समरसता, स्वावलंबन हेतु ग्रामीण बैंकिंग आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित थे।
प्रांत कार्यवाह शम्भुप्रसाद जी गिरी ने बताया कि ग्राम संगम के दूसरे दिन समापन समारोह के पूर्व दो सत्र आयोजित हुए जिनमें प्रथम सत्र में चार भागों में श्रेणीषः बैठकों के अन्तर्गत जैविक कृषि, गौपालन, सामाजिक समरसता, स्वच्छता, व्यसन मुक्ति, स्वावलंबन, पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों पर गाँवों से आये बंधुओं ने किये गये कार्यो के अनुभव साझा किये। द्वितीय सत्र में विभागषः ग्राम विकास समिति के करणीय कार्य व समाज परिवर्तन हेतु माता बहनों की भूमिका विषय पर चर्चा हुई।