गंदगी फैलाने वालों को ‘वंदे मातरम’ बोलने का हक नहीं-PM मोदी
शिकागो स्पीच की वर्षगांठ पर बोले
नई दिल्ली,11सितम्बर(इ खबर टुडे)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशताब्दी के अवसर पर विज्ञान भवन में युवाओं को संबोधित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज 11 सितंबर है, विश्व को 2001 से पहले ये पता ही नहीं था कि 9/11 का महत्व क्या है. दोष दुनिया का नहीं था, दोष हमारा था कि हमने ही उसे भुला दिया था. और अगर हम ना भुलाते तो 21वीं शताब्दी का 9/11 ना होता.इसी दिन इस देश के एक नौजवान ने अपने भाषण से पूरी दुनिया को हिला दिया. गुलामी के 1000 साल के बाद भी उसके भीतर वो ज्वाला थी और विश्वास था कि भारत में वो सामर्थ्य है जो दुनिया को संदेश दे सके. मोदी ने कहा कि उस भाषण से पहले लोगों को लेडिज एंड जेंटलमैन के अलावा कोई शब्द नहीं पता था. ब्रदर्स एंड सिस्टर्स के बाद 2 मिनट तक तालियां बजती रही थी. उस भाषण से पूरी दुनिया को उन्होंने अपना बना लिया था.
विवेकानंद जी के दो रूप थे, विश्व में वे जहां भी गए बड़े विश्वास के साथ भारत का महिमामंडन करते थे. विवेकानंद हमारे समाज के अंदर की बुराईओं को कोसते थे, और उनके खिलाफ आवाज उठाते थे.वे दुनिया में भारत की तारीफ करते थे, लेकिन भारत में आकर समस्याओं को उठाते थे. वे जीवन में कभी गुरू खोजने को नहीं गए थे, वे सत्य की तलाश में थे. महात्मा गांधी भी जीवन भर सत्य की तलाश में घूमते रहे.
पीएम मोदी बोले कि विवेकानंद जी ने आइडिया को आइडिलिज्म में कनवर्ट किया. उन्होंने रामकृष्ण मिशन को जन्म दिया, लेकिन विवेकानंद मिशन को जन्म नहीं दियाक्या कभी किसी ने सोचा कि किसी लेक्चर के 125 वर्ष मनाएं जाएंगे. जब इस भाषण की शताब्दी मनाई गई थी, तब मैं शिकागो में था. पीएम ने कहा कि जब तेज आवाज में वंदे मातरम सुनो तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं. पीएम ने कहा कि क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है. ये बात लोगों को चोट पहुंचाएगी.
2022 के लिए हमें नया संकल्प लेना होगा, जिससे हमारा जीवन बदलना चाहिए. छात्र राजनीति में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार वादे करते हैं, लेकिन कभी ये नहीं कहते कि हम कैंपस साफ रखेंगे, फिर कहते हैं वंदे मातरम. कॉलेज में स्टूडेंट डे मनाते हैं आज रोज डे है. कुछ लोग इसके विरोधी हैं लेकिन मैं इसका विरोधी नहीं हूं. हमने रोबोट तैयार नहीं करने हैं, हमें अच्छे इंसान चाहिए. क्या कभी विचार आता है कि हरियाणा का कॉलेज तय करे कि आज तमिल डे मनाएंगे. दूसरे राज्यों की संस्कृति अपनाएं.