केदारनाथ धाम आपदा के 6 साल बाद प्रमुख पड़ाव रहा गरुड़चट्टी फिर होगा आबाद
रुद्रप्रयाग,01 मई (इ खबर टुडे)। कभी केदारनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव रहा गरुड़चट्टी अब फिर से आबाद होगा। केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक साढ़े 3 किलोमीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा मार्ग बनकर तैयार है। 2013 में केदारनाथधाम में आई आपदा के बाद से यह चट्टी वीरान है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 1985-86 में यहां एक गुफा में साधना की थी।
अक्टूबर 2017 में केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों के शिलान्यास को पहुंचे मोदी ने चट्टी को आबाद करने की इच्छा जताई थी। केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में शुमार है। पीएमओ समय-समय पर पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति पर रिपोर्ट भी लेता है।
आपदा से पहले गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था, लेकिन मंदाकिनी नदी के उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया और इसी के साथ यह रास्ता भी तबाही की भेंट चढ़ गया। इसके बाद 2014 से यात्रा का रास्ता बदल दिया गया और चट्टी सूनी हो गई। 2017 में केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों ने जोर पकड़ा तो गरुड़चट्टी को संवारने की कवायद भी शुरू हुई। अक्टूबर 2018 में रास्ता तैयार कर लिया गया।
रुद्रप्रयाग के कलेक्टर मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि इस मार्ग को बनाने में 17 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। उन्होंने बताया कि मंदाकिनी नदी पर एक पुल का निर्माण चल रहा है, जो जून तक बनकर तैयार हो जाएगा। फिलहाल यहां एक अस्थायी पुल है। जिलाधिकारी ने बताया कि केदारनाथ आने वाले यात्रियों को गरुड़चट्टी का महात्म्य बताया जाएगा। इसके लिए जगह-जगह बोर्ड भी लगाए जाएंगे। कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा यात्री गरुड़चट्टी पहुंचे।
गरुड़चट्टी की पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठकर केदारनाथ आए थे। जब वह इसी चट्टी पर उतरे थे। यहां गरुड़ की मूर्ति भी है। इसलिए इसका नाम गरुड़चट्टी पड़ा। यहां गुफाएं हैं, जिनमें कई साधु-संतों ने साधना की।