कुपोषण से बच्चों को मुक्त करने के लिए जिले में व्यापक अभियान
कलेक्टर ने बैठक में की विभाग की समीक्षा
रतलाम ,09 मई (इ खबरटुडे)।रतलाम जिले में बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए अभियान को व्यापक स्वरूप में संचालित किया जा रहा है। प्रत्येक सुपरवाइजर द्वारा अपने सेक्टर में पांच बच्चों को गोद लेकर एक माह में कुपोषण से मुक्त करने का प्रयास किया जाएगा। इसी तरह का कार्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक कार्यकर्ता द्वारा एक बच्चे को गोद लिया जाएगा।यह जानकारी कलेक्टर श्रीमती रूचिका चौहान द्वारा आज एक बैठक में विभागीय समीक्षा के दौरान देते हुए निर्देशित किया गया कि विभाग की सकारात्मक छवि आम जनमानस में निर्मित हो। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस सुश्री सुषमा भदौरिया के अलावा सीडीपीओ एवं सुपरवाइजर्स मौजूद थे।
बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए हमें मिशन मोड में उसी प्रकार काम करना होगा जैसा स्वच्छता अभियान में किया जा रहा है। यह बात हमें हर एक माता-पिता के मन-मस्तिष्क में गहराई से उतारना होगी कि बच्चे स्वस्थ रहे, कुपोषण से मुक्त रहे। शासकीय चिकित्सालयों में बनाए गए एनआरसी केन्द्रों में शत-प्रतिशत बेड का उपयोग कुपोषित बच्चों के लिए हो। बच्चे जब तक स्वस्थ नहीं हो जाते एनआरसी केन्द्रों पर भर्ती रहे।
जावरा एनआरसी केन्द्र पर बच्चों की संख्या कम क्यों
समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने कहा कि उनके विगत दिनों जावरा भ्रमण में स्थानीय एनआरसी केन्द्र पर बच्चों की संख्या बहुत कम थी। ऐसा क्यों, सीडीपीओ ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की माताए अपने बच्चों को लेकर रात्रि में अपने घर चले जाती है। कलेक्टर ने कहा कि यह आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चे रात्रि में भी एनआरसी केन्द्र पर ही रुके ताकि शीघ्र स्वस्थ हो सके। कलेक्टर ने रतलाम एनआरसी केन्द्र में भी काफी संख्या में बेड खाली होने का जिक्र किया। जिक्र करते हुए निर्देश दिए कि कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त करने में कोताही नहीं बरती जाए।
गंभीर एनीमिक बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करवाए
बैठक में बताया गया कि जिले में 589 ऐसे बच्चे चिन्हित किए गए जो गंभीर रूप से खून की कमी से पीड़ित है। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि इन बच्चों को निकटस्थ अस्पतालों में भर्ती करवाए। उनका समूचित उपचार किया जाए।
नामली में दूध वितरण की जानकारी नहीं मिली
कलेक्टर ने बैठक में आंगनवाड़ियों द्वारा प्रदाय की जा रही सेवाओं की समीक्षा करते हुए पूछा कि आंगनवाड़ियों में बच्चों को दूध कब वितरित किया जाता है। मेरे द्वारा नामली आंगनवाड़ी केन्द्र निरीक्षण के दौरान वहां दूध वितरण की जानकारी नहीं मिली। कलेक्टर ने आंगनवाड़ियों में पोषण आहार वितरण की समीक्षा में निर्देशित किया कि यदि किसी दिन आहार वितरण नहीं होता है तो इस पर सख्त कार्यवाही की जाए। बिल भुगतान की भी बारिकी से मॉनीटरिंग करे।
मुख्यालय पर निवास को चेक किया जाएगा
विभागीय समीक्षा में रावटी तथा बाजना एनआरसी केन्द्रों पर सालभर में भर्ती किए गए बच्चों की संख्या अपेक्षाकृत काफी कम पाई गई। इस पर कलेक्टर ने सुपरवाइजर्स का तलब करते हुए पूछा कि क्या वे अपने मुख्यालय पर निवासी करती है या नहीं। कलेक्टर ने कहा कि एसडीएम के माध्यम से उनके मुख्यालय पर निवास करने को कंफर्म किया जाएगा।
कलेक्टर द्वारा स्वयं दो कुपोषित बच्चों को गोद लिया जाएगा
बैठक कलेक्टर ने कहा कि उनके द्वारा दो कुपोषित बच्चों को गोद लेकर एक माह में स्वस्थ कराने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के अभियान में सरकार के साथ-साथ समाज की भी महत्ती भूमिका है। विभाग का अमला इस बात का प्रयास करे कि समाज के सम्पन्न व्यक्ति कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनका समुचित उपचार एवं डाइट उपलब्ध कराए। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने में ज्यादा राशि की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि कई सस्ते लेकिन पोषण से भरपुर खाद्य पदार्थां द्वारा बच्चों को कुपोषण मुक्त किया जा सकता है। इसमें टाईम और केयर ज्यादा महत्वपूर्ण है।
सही लिंगानुपात के लिए प्रत्येक लेवल पर मॉनीटरिंग करे
बैठक में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्य योजना की समीक्षा करते हुए कलेक्टर ने निर्देश दिए कि जिले में सही लिंगानुपात के लिए प्रत्येक लेवल मॉनीटरिंग की जाए। इसके लिए मिशन भाव से कार्य करना जरूरी है। हम यह सुनिश्चित करें कि भ्रुण हत्या नहीं हो। बताया गया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक 971 बालकों पर 931 बालिकाएं हैं। शहरी क्षेत्र में यह अनुपात 975 बालकों पर 936 बालिकाओं का है। जिले के 215 गांव ऐसे हैं जिनमें हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या 800 से भी कम है तो 410 गांव ऐसे हैं जहां हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या 800 से 940 है।