October 8, 2024

किसानों की आय को डबल करने की क्या प्लानिंग हैं – कलेक्टर

विकेन्द्रीकृत जिला योजना के त्रिवर्षीय एक्षन प्लाॅन की समीक्षा

दो हजार दो सौ 76 करोड़ 96 लाख का प्लाॅन प्रस्तावित

रतलाम 03 नवम्बर(इ खबरटुडे)।कलेक्टर बी.चन्द्रषेखर ने आज जिले की विकेन्द्रीकृत जिला योजनान्तर्गत तीन वर्षीय एक्षन प्लाॅन में सम्मिलित कार्य योजना की समीक्षा की। कलेक्टर ने कृषि संबंधी विभागों से समीक्षा के दौरान जानना चाहा कि मध्यप्रदेष शासन के द्वारा किसानों की आय को दुगुना करने के लक्ष्य की पूर्ति के लिये कृषि सम्बद्ध विभागों ने क्या कार्य योजना तैयार की है।

आज की बैठक में विकेन्द्रीकृत जिला योजनान्तर्गत वर्ष 2017-2018, वर्ष 2018-2019 एवं वर्ष 2019-2020 में किये जाने वाले कार्यो के लिये बनाई गई कार्य योजना की समीक्षा कलेक्टर ने की।
रतलाम जिले में राज्य योजना आयोग को तीन वर्षीय योजनान्तर्गत सम्भावित राषि दो हजार दो सौ 76 करोड़ 96 लाख रूपये का प्लाॅन बनाकर भेजा जाना प्रस्तावित है। समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने जिला योजना अधिकारी को प्रस्तावित प्लाॅन में विभिन्न विभागों के मदों में निरंक के काॅलम में राषि की मंाग करवाते हुए पुनः समग्र कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देष दिये हैं। कलेक्टर ने बैठक में कहा कि कृषि संबंधी विभागों के द्वारा जिले के तीन लाख किसानों की आय को बढ़ाने या लगभग दुगुना करने के लिये कार्य योजना में अपेक्षा अनुसार राषि की मांग नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में किसानों की आय को कैसे दुगुना किया जा सकेगा। जिले मे लगभग पाॅच लाख पषु हैं जो कि दो लाख किसानों के पास है। पषु पालन विभाग ने क्या कार्य योजना तैयार की हैं जिससे की एक लाख ऐसे किसान जिनके पास पषु नहीं हैं उन्हें भी जोड़ा जा सके।
किसानो की आय तभी दुगुनी हो सकेगी जबकि उन्हें शासन की योजनाओं की भलीभांति जानकारी मिल सके और उन्हंे लाभान्वित करने के लिये विभागों के द्वारा योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा सकें। कलेक्टर ने नाराजगी जताई कि कृषक हितग्राहियों के लिये जो विभिन्न प्रकार की योजनाओं संचालित हो रही है। उन तक विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर आवष्यक प्रचार-प्रसार सुनिष्चित किया जाये। कलेक्टर ने किसानों की आय को दुगुना करने के लिये पषु पालन विभाग को ग्रामवार कार्य योजना तैयार करने के निर्देष दिये।
कलेक्टर ने बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं नगरीय विकास के अधिकारियों को निर्देषित किया कि शासन का लक्ष्य जब अक्टूबर 2017 तक सभी गाॅवों एवं शहरों को खुले से शौच मुक्त करना है तो ऐसी स्थिति में क्यों कर वर्ष 2019-20 की कार्य योजना में शौचालय निर्माण संबंधी राषि की मांग क्यों की जा रही हैं। उन्होनें नगरीय विकास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास को मांग में संषोधन करने के निर्देष दिये है। बैठक में कृषि विभाग ने 17 करोड़ 31 लाख, उद्यानिकी विभाग ने 18 करोड़ 14 लाख, पषुपालन विभाग ने तीन करोड़ 13 लाख, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विभाग 93 लाख, वन विभाग 65 करोड़ पाॅच लाख, ग्रामीण विकास विभाग दौ सौ 52 करोड़ 85 लाख, पंचायत एवं ग्रामीण विकास 197 करोड़ 18 लाख, जल संसाधन विभाग 89 करोड़ 57 लाख, उद्योग विभाग 11 करोड़ 98 लाख, लोक निर्माण विभाग चार सौ 64 करोड़, योजना एवं सांख्यिकी 53 करोड़ 75 लाख, राज्य षिक्षा केन्द्र 230 करोड़ 46 लाख, षिक्षा विभाग 16 करोड़ 87 लाख, आयुष विभाग चार करोड़ पाॅच लाख, लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग 70 करोड़ छः लाख, नगरीय विकास पन्द्रह करोड़ 24 लाख, अनुसूचित जाति षिक्षा 28 करोड़ 93 लाख, अनुसूचित जाति विकास 19 करोड़ 37 लाख, आदिम जाति षिक्षा पाॅच सौ 18 करोड़ 34 लाख, आदिम जाति विकास 48 करोड़ सात लाख, पिछड़ा अल्प संख्यक कल्याण 24 करोड़ 10लाख, सामाजिक न्याय 97 करोड़ 27 लाख एवं अन्य विभागों की तीन वर्षीय कार्य योजना प्रस्तुत की गई।
समग्र रूप से वर्ष 2017-18 में 741 करोड़ 88 लाख, वर्ष 2018-19 में 720 करोड़ 52 लाख और वर्ष 2019-2020 में 814 करोड़ 55 लाख रूपये की कार्य योजना सम्भावित प्रस्तावित है। पाॅच साल से पचास रूपये में मंगल दिवस कलेक्टर ने महिला बाल विकास विभाग की कार्य योजना में पाया कि मंगल दिवस के लिये राषि पचास रूपये निर्धारित हंै। उन्होने कार्यक्रम अधिकारी से पुछा की मंगल दिवस के लिये उक्त राषि कब से निर्धारित हैं। उत्तर मिला की पिछले पाॅच साल से। कलेक्टर ने पुछा कि क्या पाॅच साल में मंहगाई नहीं बढ़ी। यदि बढ़ी तो राषि को बढ़ाने के लिये विभागीय स्तर या जिला स्तर से कोई मांग या कार्यवाही हुई? उत्तर मिला नहीं। कलेक्टर ने कहा कि यदि मंगल दिवसों का आयोजन सही तरीके से विभाग के द्वारा किया जा रहा होता तो निष्चित ही राषि बढ़ाने के लिये भी मांग होती किन्तु कार्यक्रम संचालन में सिर्फ खाना पूर्ति ही की जा रही हैं इसीलिये तो कोई कार्यवाही या राषि बढ़ाने संबंधी मांग किसी के द्वारा भी नहीं की गई।

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