करोड़ों रुपये जो न कर सके वो लॉकडाउन ने कर दिखाया,खान नदी की सूरत बदली, नहाने लायक हुआ पानी
इंदौर,28 अप्रैल (इ खबरटुडे)। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी खान नदी को शुद्ध करने का अभियान सफल नहीं हो पा रहा था, वह लॉकडाउन में होने लगा है। उद्योगों के बंद रहने के कारण खान नदी का पानी सांवेर के आगे बदबू रहित और इतना साफ हो गया कि इसे नहाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि जांच में पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संभाग में नर्मदा नदी के 17 स्थानों से सैंपल लेने के अलावा शहर के प्रमुख जलाशयों व खान नदी के पानी का सैंपल भी लिया जाता है। कई सालों से खान नदी का पानी प्रदूषित ही था, लेकिन बीते एक महीने में बोर्ड के अधिकारियों ने इसके पानी के सैंपल लिए तो हैरान रह गए। अधिकारियों का कहना है कि कबीटखेड़ी, शक्करखेड़ी और सांवेर में पानी की गुणवत्ता में काफी अधिक सुधार हो गया है।
सांवेर के आगे राघव पीपल्या में तो पानी में इतना सुधार है कि इससे नहा सकते हैं। यहां पर पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई है जो मछलियों और दूसरे जलीय जीव के साथ वनस्पति के लिए भी बेहतर है।
नदी में नहीं मिल रहा उद्योगों का दूषित पानी
बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक इंदौर में खान नदी के पानी को कबीटखेड़ी में 200 करोड़ की लागत से बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किया जाता है। यहां का पानी शहर में निर्माण कार्य में उपयोग किया जाता है। निगम भी इसका उपयोग करता है। यह पानी अभी उपयोग में नहीं आ रहा है। इसके अलावा कुछ उद्योग अपने यहां से निकलने वाला दूषित पानी बिना उपचार किए नदी में डाल देते थे। अभी उद्योग बंद हैं, इसलिए दूषित पानी भी नदी में नहीं मिल रहा है।
सांवेर में सबसे अधिक साफ क्यों
सिंहस्थ के समय खान नदी के गंदे पानी को शिप्रा से मिलने में रोकने के लिए सांवेर के आगे राघव पीपल्या गांव में एक स्टॉप डेम बनाया गया था। यहां इंदौर से आने वाले पानी को डायवर्ट किया जाता है। इस स्टॉप डेम की वजह से भी यहां पानी की गुणवत्ता सुधरी है। इंदौर से निकलने के बाद पानी वहां तक जाता है।