October 5, 2024

एमईएससी कार्निवाल में मीडिया एंड एंटरनेटनमेंट जगत पर होगा मंथन,वर्चुअल विद्यादान कार्यक्रम में शामिल होंगे कई दिग्‍गज, विचार-विमर्श से पहुंचेंगे निष्‍कर्ष तक

नई दिल्ली,05 सितम्बर (इ खबरटुडे)। कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए भारत सरकार के अधीन काम करने वाली संस्‍था मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्किल्‍स काउंसिल (एमईएससी) 5 सितंबर से 12 सितंबर, 2020 तक आठ दिवसीय विद्यादान वर्चुअल कार्निवल की मेजबानी करेगा। इसमें कौशल विकास, नई शैक्षिक नीति और वैश्विक रुझानों समेत अन्‍य विषयों को शामिल किया गया है। कार्निवाल के जरिये बताया जाएगा कि कैसे मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में (https://vidyadaan.net/virtual-carnival/) विद्यादान के जरिये लाखों लोगों के जीवन को बदल रहा है। उल्‍लेखनीय है कि बीते एक साल में एमईएससी के विद्यादान की पहल में अब तक 25 देशों में 1.10 लाख से अधिक विद्यार्थी, 1500+ गुरुओं, 1000+ गुरुकुलों का परिवार शामिल है।

एमईएससी के सीईओ मोहित सोनी ने बताया कि 05 सितंबर को उद्घाटन सत्र में भारतीय सिनेमा के शोमैन और एमईएससी के अध्यक्ष सुभाष घई (प्रसिद्ध निर्माता, निर्देशक और शिक्षाविद) के साथ एक विशिष्ट बातचीत शामिल होगी। इसके अलावा इंडियन क्‍लासिक डांसर आरुषि निशंक पंत, वी.एल.वी.एस. सुब्बा राव (सीनियर आर्थिक सलाहकार, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय), जया कुमार (सीईओ, टूनज ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड), दिलीप चेनॉय (सचिव जर्नल, फिक्की), एलीन एल्डिस और मार्क व्‍हाइटवे (कैनेडियन कंटेंट क्रिएटर और यात्रा ब्लॉगर) शामिल होंगे।

कार्निवल के दौरान प्रत्येक दिन “नई शिक्षा नीति और वैश्विक रुझानों” पर चर्चा की जाएगी। 06 सितंबर को कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, निजी संस्थानों, मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग, एवीजीसी समुदाय द्वारा विचार विमर्श किया। वाईके गुप्ता (प्रो-वीसी, शारदा यूनिवर्सिटी), अमित बहल (फिल्म टेलीविजन और थिएटर अभिनेता और सीनियर संयुक्त सचिव), अमरीश चक्रवर्ती (निदेशक, एसआरएफटीआई), अभिनेता श्रवण सिंह, कुंवर शेखर विजेंद्र (चांसलर, शोभित विश्वविद्यालय) जैसी प्रसिद्ध हस्तियां कार्निवल में शिरकत करेंगे और शिक्षा एवं कौशल के क्षेत्र में नीतियों, योजनाओं, पहलों और साझेदारियों पर अपना दृष्टिकोण रखेंगे।

“कौशल आधारित शिक्षा के महत्व”, “नवाचार और वैश्विक रुझान”, “कौशल आधारित कार्यक्रम के साथ युवाओं का विकास”, “भविष्य के वैश्विक रुझानों की प्रवृत्ति” समेत अन्‍य विषयों पर विचार-विमर्श एवं मंथन करके एक निष्‍कर्ष पर पहुंचने की कोशिश होगी।

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