November 25, 2024

जी हां,जिला शिक्षा केन्द्र को चाहिए शौचाल,जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान
जिलेभर से हर दिन आते है शिक्षक शिक्षिकाएं

रतलाम,8 जून (इ खबरटुडे)। मेरा नाम जिला शिक्षा केन्द्र है। रतलाम विकास प्राधिकरण के सामने परिसर में निवास है। मेरे यहां से जिलेभर के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा के साथ मूलभूत सुविधाओं का क्रियान्वयन होता है। करोडों रुपए खर्च होते है,लेकिन मेरी हालत पर किसी को तरस नहीं आया। एक दम अव्यवस्थित और लावारिस हूं। जिलेभर से आने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ यहां पर कार्य करने वाले लोग सजा भुगत रहे है।
जी हां,स्वच्छता से मेरा नाता दूर दूर तक नहीं है। शौचालय दो साल से चाक है। वाश बेसिन नाम का है। चारो ओर मकडियों का राज। जाले,धूल,टूटे फूटे कूलर ही मेरी पहचान है।हर दिन मुझे अपने आप पर शर्म आती है,लेकिन जिम्मेदार अधिकारी जिन्हे डीपीसी यानी कि जिला परियोजना अधिकारी कहा जाता है,उन्ही का जिला मुख्यालय का कार्यालय अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है।

इच्छा शक्ति का अभाव

ऐसा नहीं है कि जिला मुख्यालय कार्यालय में रुपए नहीं है। क्योंकि केवल वर्ष 2014-15 में ही 343 शौचालयों का निर्माण बालिकाओं के लिए स्कूलों में करवाया गया। इस पर करीब तीन करोड 70 लाख 44 हजार रुपए खर्च किए गए। प्रत्येक की लागत 1 लाख 08 हजार रु. थी।

वर्ष 2015-16 में स्वच्छ भारत योजना की स्थिति

शौचालय                         वर्ग                                प्रत्येक की लागत
411                              बालक                               1 लाख 35 हजार
432                             बालिका                           1लाख 37 हजार 5 सौ
001                            बालक                                  1 लाख 08 हजार
012                            बालिका                                  1लाख 08निधि)
006                          बालिका                                     (सांसद निधि)
007                            बालक (                                     विधायक निधि)
जिले के स्कूलों में 2014-15 और 2015-26 के दौरान करोडो की लागत से शौचालय बने तब डीपीसी के पद पर जिला शिक्षा अधिकारी जेके शर्मा प्रभारी,जीतेन्द्र ठेकेदार,आरएल कारपेन्टर,सहायक आयुक्त आदिवासी विकास प्रशान्त आर्य,जिला शिक्षा अधिकारी अनिल वर्मा रहे। किसी ने भी सुध नहीं ली।

हर दिन आते 50 से अधिक लोग

जिला शिक्षा केन्द्र में 16 कर्मचारियों का स्टाफ है। महिलाएं भी है। हर दिन जिले से 50 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं जन शिक्षख बीआरसी बीजीसी इंजीनियर आदि यहां आते हैं। जिला शिक्षा केन्द्र की छबि धूमिल हो रही है। शिक्षा के केन्द्र से गन्दगी पर ध्यान नहीं देने का सबक निचले स्तर पर जा रहा है।

शीघ्र ध्यान देंगे

मैने 23 अप्रैल 2016 को ही डीपीसी का प्रभार ग्रहण किया है। जिला शिक्षा केन्द्र में शौचालय के अलावा अन्य सुविधाओं पर भी शीघ्र ध्यान दिया जाएगा।

– डॉ. राजेन्द्र सक्सेना
प्रभारी डीपीसी एवं डाइट प्राचार्य

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