इंदौर-देवास जिले की सीमा के बीच पहुंची नर्मदा
24 घंटे से जलोद स्टापडेम भर रहा
उज्जैन 14 फरवरी (इ खबरटुडे) । शिप्रा उद्गम स्थल पर नर्मदे हर हो चुका है। आगामी 10-12 दिनों में रामघाट पर नर्मदे हर की उम्मीद है। गुरुवार को इंदौर और देवास जिले की सीमा के बीच नर्मदे हर होता रहा। पिछले 24 घंटे से इंदौर जिले के जलोद गांव का डेम भर रहा है। पानी देवास जिले के पटाड़ा गांव से होता हुआ इस स्टापडेम तक पहुंचा है।
शुक्रवार सुबह जलोद स्टापडेम से नर्मदा का पानी आगे की ओर बढ़ेगा। यह देवास जिले में प्रवेश करेगा। वैसे तो देवास जनपद के ग्राम पटाड़ा से शिप्रा के पथ चिन्हों पर नर्मदे हर हो चुका है। इंदौर जिले के ग्राम जलोद का स्टापडेम बीच में आ जाने से इस स्टापडेम में पिछले 24 घंटों से पानी भर रहा है। रात 11 बजे भी स्टापडेम डेढ़ फीट खाली था। इस हिसाब से सूत्र बता रहे हैं कि शुक्रवार तड़के तक जलोद स्टापडेम से नर्मदा का पानी शिप्रा के प्रवाह मार्ग पर आगे की ओर दौड़ना शुरु कर देगा। सूत्र बताते हैं कि यहां से देवास जिला मुख्यालय करीब 20 कि.मी. दूर रह जाता है। शनिवार तक देवास तक नर्मदे हर होने की संभावनाएं बनी हुई हैं। खास बात यह भी है कि सुखी जमीन पर नर्मदा का पानी कम गति से आगे की ओर बढ़ रहा है और बहती हुई जमीन पर पूरी गति से।
क्षिप्रा-नर्मदा के जल को दूषित होने से बचाएंगे-अवधेश दासजी
गुरूवार को धर्माचार्य परिषद कल्याण समिति के महामंत्री डॉ. अवधेशदास परमहंस उज्जैन से देवास पहुंचे। उनके साथ उौन से गए और साधु-संतों के साथ अन्य अखाड़ों के प्रमुख संतों को लेकर वे नागधम्मन नदी, क्षिप्रा-नागधम्मन नदी मिलन एवं जहां पर से उद्योगों का पानी निकलता है। वहां का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शिप्रा और नर्मदा के मिलन से प्रकृति और मानव को नया जीवन मिलेगा, यह महत्वपूर्ण योजना है। शिप्रा-नर्मदा के जल को दूषित होने से बचाया जायेगा।
पत्रकारों से चर्चा में कहा
अवलोकन के दौरान संतश्री से चर्चा करते हुए धर्माचार्य परिषण कल्याण समिति के महामंत्री डॉ.अवेधश दास परमहंस ने निरीक्षण के उपरांत बताया कि इस योजना में एक समस्या जो कि बरसों से विद्यमान है। वह है उद्योगों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी है। जिससे शहर सहित आसपास के रहवासी काफी परेशान है। देखा जाए तो देवास उद्योगों के लिए भी जाना जाता है, परंतु इन उद्योगों से निकलने वाले केमिकल युक्त एवं चमड़ा धुला हुआ पानी नागधम्मन नदी में मिलता है। वह आगे जाकर उौन में पहुंचता है। इस नदी का पवित्र जल जब उौन पहुंचता है तो श्रध्दालुजन इस पानी का आचमन करते हैं, परंतु इन श्रध्दालुओं को नहीं मालूम नहीं कि यह शुध्द जल दूषित व केमिकल युक्त है। जिससे कई प्रकार की घातक बीमारी हो सकती है। उन्हाेंने आगे कहा कि क्षिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हमनें प्रारंभ कर दिया है।
उग्र आंदोलन करेंगे
उन्होंने आगे कहा कि अगर हम किसी भी प्रकार का विरोध करने नहीं आए हैं। हम तो इस नदी का निरीक्षण करने आए हैं। साथ ही मप्र सरकार व जिला प्रशासन को इस बाद से अवगत कराने आए हैं कि इस नदी के दूषित जल से कितने ही लोग बीमार हो रहे हैं। सरकार व जिला प्रशासन इसका हल निकाले नहीं तो संत समाज एक होकर उग्र आंदोलन करेगा। साथ ही आगामी सिंहस्थ मेला (कुंभ मेला) का बहिष्कार करेगा। एक भी अखाड़े का संत इस दूषित जल में स्नान नहीं करेगा।
लोगों को हो रही है बीमारियां
नागधम्मन नदी के आसपास के गांव अमोना, संजय नगर, रसूलपुर, गदईश पीपल्या, हवनखेड़ी आदि कई गांव है जो इस दूषित पानी का शिकार हो रहें हैं। हवन खेड़ी के मोहसीन शेख, रईस शेख ने बताया कि अगर इस पानी में एक बार हाथ डूबाते हैं, तो इसके बाद इसमें खुजली शुरू हो जाती है। गांव के कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें त्वचा रोग है। यह पीड़ा पिछले 25-30 साल से हम झेल रहें है, लेकिन प्रशासन व शासन ने इस ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया। हवनखेड़ी के किसान बाबू शेख ने बताया कि अगर गलती से यह पानी फसल में चला जाए तो फसल ही नहीं होती है। यहां तक इस पानी को जानवर भी नहीं पीता है। इस दूषित पानी से यहां छोट-छोटे बच्चों में भी बीमारियों हो रहें ही हैं। गांव के लोग पीने के पानी दूर स्थित जंगल से लेकर आते हैं। नागधम्म नदी के आसपास जितने भी गांव लगे हैं, उन गांव के बोरिंग में भी केमिकल युक्त पानी मिल रहा है।
मां क्षिप्रा का पूजन किया
सभी संतों ने अवलोकन के बाद क्षिप्रा गांव जाकर मां क्षिप्रा का पूजन किया। इस अवसर सभी संतो मां क्षिप्रा का पूजनकर पुष्प हार, श्रीफल, चुनरी चढ़ाकर आरती उतारी मां क्षिप्रा को नैवेद्य अर्पित किया।