अमेरिका से अरुण जेटली का विपक्ष पर ‘ब्लॉग वार’: कुछ लोगों को लगता है, उनका जन्म ही ‘राज’ करने के लिए हुआ है
नई दिल्ली,17 जनवरी(इ खबर टुडे)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) भले ही अभी अपने इलाज के लिए अमेरिका में हों, मगर उनकी सक्रियता अभी कम नहीं हुई है. ब्लॉग के जरिए अक्सर विपक्ष पर हमला बोलने वाले अरुण जेटली ने एक बार फिर से इलाज के दौरान ही ब्लॉग लिखा है और कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस समेत विपक्ष के हमलावर रूख को देखते हुए कई मुद्दों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया है. अरुण जेटली ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि पोलिटिकल सिस्टम में कुछ लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि वे राज करने के लिए ही पैदा हुए हैं.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी दलों को ‘बात बात पर विरोध करने वाले’ बताते हुए उन पर झूठ गढ़ने और एक निर्वाचित सरकार को कमजोर करके लोकतंत्र को बर्बाद करने का आरोप लगाया. उन्होंने कांग्रेस या अन्य विपक्षी दलों का नाम लिए बगैर एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि सकारात्मक मानसिकता वाले लोगों और राष्ट्रीय शक्ति से राष्ट्र का निर्माण होता है ना कि ‘बात बात पर विरोध करने वालों से. बता दें कि अरुण जेटली चिकित्सा जांच के लिए अमेरिका में हैं.
अरुण जेटली ने गुरुवार को अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा- पोलिटिकल सिस्टम में कुछ लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि उनका जन्म सिर्फ शासन करने के लिए हुआ है. कुछ लोग तो ऐसे हैं जो लेफ्ट या अल्ट्रा लेफ्ट की विचारधारा से प्रभावित हैं. उनके लिए एनडीए की सरकार पूरी तरह से स्वीकार करने लायक नहीं है. इस बीच एक दूसरा वर्ग भी सामने आया है, जिनका काम बस लगातार दुष्प्रचार चलाना है.’
अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक ब्लॉग लिखा, ‘बार बार झूठ गढ़ने का कोई अफसोस नहीं होता. अगर वे देश के आम हित के खिलाफ चले जाते हैं तो वे तर्क भी गढ़ सकते हैं. वे भ्रष्टाचार के रूप में धर्मयुद्ध का स्वांग रच सकते हैं. अपनी सहूलियत के हिसाब से वे दोहरे मानदंड अपना सकते हैं.’ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण और राफेल रक्षा सौदे समेत कई मुद्दों पर राजनीतिक दलों की निंदा का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि ‘बात बात पर झूठ बोलने वालों’ का मानना है कि सरकार कुछ अच्छा नहीं कर सकती और इसलिए उसके हर काम में रोड़े अटकाए जाने चाहिए.
अरुण जेटली ने कहा, ‘सकारात्मक मानसिकता वाले लोग और राष्ट्रीय शक्ति से राष्ट्र का निर्माण होता है ना कि ‘बात बात पर विरोध करने वालों से. क्या वाम उदारवादियों को आजादी के संग्राम के दौरान गांधीजी द्वारा उठाए विभिन्न कदमों में खामियां नजर नहीं आयीं थीं? संप्रभु निर्वाचित सरकार को कमजोर करके और निर्वाचन के अयोग्य को मजबूत करना केवल लोकतंत्र का विनाश है.’