अब तक नहीं बन पाया स्वीप प्लान
प्रदेश में फिसड्डी रहा रतलाम,अफसरों को नोटिस
रतलाम,23 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। निर्वाचन के प्रति मतदाताओं को जागरुक करने और मतदान का प्रतिशत बढाने के लिए निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में स्वीप (सिस्टेमेटिक वोटर्स एजुकेशन एण्ड एलेक्ट्रोल पार्टिसिपेशन) प्लान बनाकर सभी प्रदेशों को इसके क्रियान्वयन के निर्देश दिए थे। प्रदेश के विधानसभा निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक जिले को स्वीप प्लान बनाकर इसके क्रियान्वयन की महती जवाबदारी सौंपी गई थी। वरिष्ठ अधिकारियों की ढीलपोल के चलते रतलाम जिले से अब तक स्वीप प्लान निर्वाचन आयोग को नहीं भेजा जा सका है। जिले के किसी विभाग ने प्लान तैयार ही नहीं किया। अब वरिष्ठ अधिकारियों ने अनेक जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर अपना पल्ला झाडने की कोशिश की है।
मतदान का प्रतिशत बढाने और मतदाताओं को जागरुक करने के लिए निर्वाचन आयोग ने स्वीप (एसवीइइपी)प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे। जैसे ही प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन की प्रक्रिया शुरु हुई समस्त जिलों को जिला स्तर पर स्वीप प्लान बनाकर भोपाल भेजने तथा प्लान के मुताबिक क्रियान्वयन करने के निर्देश दे दिए गए थे। रतलाम जिले में निर्वाचन कार्य सम्हाल रहे वरिष्ठ अधिकारियों ने शायद इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। प्रदेश के अन्य जिलों में जहां प्लान बनकर इस पर अमल शुरु हो गया,वहीं रतलाम जिले में प्लान ही तैयार नहीं हो पाया।
अधिकारिक जानकारी के मुताबिक,जिला कार्यालय से समस्त विभागों को स्वीप प्लान बनाने के निर्देश दिए गए। विभागों ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि पूरे जिले का प्लान ही नहीं बन पाया।
निर्वाचन आयोग स्वीप प्लान को कितनी गंभीरता से ले रहा है,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा एक प्रेक्षक केवल स्वीप प्लान पर नजर रखने के लिए भेजा जा रहा है। रतलाम जिले में स्वीप प्लान के लिए नियुक्त प्रेक्षक 25 अक्टूबर को आने वाले है।
प्रेक्षक के आने के दिन नजदीक आ चुके है,लेकिन जिले में स्वीप प्लान ही नहीं बन पाया है। जिले के मात्र आदिवासी विकास विभाग और उच्च शिक्षा विभाग तथा कुछ नगरीय निकायों ने इस सम्बन्ध में कुछ कार्यवाही की लेकिन वह भी संतोषप्रद नहीं रही। अब स्थिति यह है कि जिले में कहीं भी स्वीप प्लान पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। मतदाताओं को जागरुक करने के नाम पर कलेक्टोरेट परिसर में महज एक फ्लैक्स और कम्प्यूटर प्रिन्टर से निकाले गए कुछ प्रिन्ट्स इधर उधर चिपका दिए गए है। इन पर -सारे काम छोड दो-सबसे पहले मतदान करो- जैसे नारे लिखे हुए है। जबकि निर्वाचन आयोग ने मतदाता जागरुकता के लिए शहरी क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थलों,राशन दुकानों,स्कूल कालेजों आदि में पोस्टर बैनर होर्डिंग आदि लगाने के साथ साथ स्कूल कालेजों में निबंध,वाद विवाद प्रतियोगिता,जागरुकता रैली,गांधी जयन्ती पर ग्राम सभाओं में शपथ पत्र भरवाने आदि कार्य करने के निर्देश दिए थे। रतलाम जिले में कहीं भी ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
अब जबकि निर्वाचन आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में नाराजगी जताई जा चुकी है,अपना दामन बचाने के लिए जिले के अनेक विभागों के जिलाधिकारियों को कारण बताओ सूचनापत्र जारी कर दिए गए है। सूचनापत्र में कहा गया है कि अधिकारियों द्वारा नियत समय पर जानकारी नहीं भिजवाई जाने की वजह से विधानसभा निर्वाचन की कार्यवाही में अनावश्यक विलम्ब हुआ है,जिसके लिए वे अधिकारी व्यक्तिगत रुप से उत्तरदायी है। उनके द्वारा बरती गई लापरवाही के लिए क्यो न उनके विरुध्द लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 32 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाए? कलेक्टर राजीव दुबे के नाम से जारी इस नोटिस में अधिकारियों को दो दिन में समक्ष में उपस्थित होकर उत्तर देने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि यदि नियत समय में जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई तो अधिकारियों के विरुध्द एकपक्षीय कार्यवाही की जाएगी,जिसके लिए वे स्वयं उत्तरदायी होंगे। मजोदार तथ्य यह भी है कि उक्त नोटिस 21 अक्टूबर को तैयार हुआ,लेकिन इस पर तारीख 22 अक्टूबर अंकित है और अधिकारियों को ये नोटिस 23 अक्टूबर को मिले है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इसमें आगे क्या और कैसी कार्यवाही होती है?