November 24, 2024

प्रदेश अध्यक्ष भाजपा का बनेगा या मुख्यमंत्री का…!

-चंद्र मोहन भगत

भाजपा संगठन के बारे में सभी जानते हैं कि यहां संगठन ही प्रमुख निर्णायक मंडल होता है सरकार या कोई व्यक्ति नहीं इसी कारण भावी प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर चल रही बहस में इस बिंदु पर भी चर्चा चल रही है कि भाजपा का भावी प्रदेश अध्यक्ष संगठन की पसंद का होगा या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद का। ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि प्रभात झा के बाद से जितने भी प्रदेश अध्यक्ष बने सभी शिवराज की मदद से बने तब हाईकमान का दर्शन अलग था अब बदला हुआ है।

प्रदेश संगठन का कार्यकाल समाप्त होने से नए पदाधिकारियों की घोषणा होना बाकी है साथ ही इस साल बाद प्रदेश विधानसभा के चुनाव होना है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष अनुभवी और प्रदेश भर की राजनीतिक स्थिति का जानकार होगा तभी सफल अध्यक्ष कहलायेगा और सरकार भी बनवा पाएगा । क्योंकि विधानसभा प्रत्याशी चयन में प्रदेश संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने अपने कार्यकाल में भाजपा संगठन को बेहतर स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। अब चाहे कमान कोई भी संभाले उसे दिशा ज्ञान वाली मुस्तैद कार्यकर्ताओं की टीम मिलेगी जिसे बीडी शर्मा ने अपने विद्यार्थी परिषद कार्यकाल के अनुभव के साथ संजोया था। इसके पहले प्रभात झा ही ऐसे अध्यक्ष थे जिन्होंने कार्यकर्ताओं में से बेहतर नग सुनकर संगठन मजबूत किया था ।

अब जो भी नया अध्यक्ष बनेगा चाहेगा तो वह भी इसी टीम से का आसानी से इस्तेमाल कर सकेगा यह भी होना आसान नजर आ रहा है की भावी विधानसभाचुनाव को देखते हुए और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और बीडी शर्मा का सामन्जस्य भरा कार्यकाल होने के कारण बी डी शर्मा को ही दूसरी बार फिर संगठन की कमान सौंपी जा सकती है। बीडी शर्मा अगर दोबारा बनते हैं तो उनका अनुभव उनकी टीम की मेहनत का फायदा भी वर्तमान भाजपा सरकार को मिलेगा और सरकार के मुखिया होने के नाते शिवराज सिंह की पीठ भी थपथपाई जाएगी । पर जैसा कि अभी जो खबर राजनीतिक वातावरण में चल रही है कि भाजपा हाईकमान मध्य प्रदेश सरकार के नेतृत्व से खुश नहीं है इसके साथ ही बदलाव की बयार भी चल रही है।

शिवराज सिंह के आंय बाय सांय सार्वजनिक बयानों और झूठे वादों को देख सुन कर ऐसा ही लगता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ऐसा कर अपना डर छिपा रहे हैं। शिवराज सिंह को भाजपा के प्रत्येक विधायक से वन टू वन मुलाकात के लिए मजबूर कर दिया है अभी तक स्वतंत्र निडर मुख्यमंत्री रहते पिछले 13 सालों में कभी विधायकों की खबर तक नहीं ली थी । फिर अचानक इतनी चिंता और मुस्तैद निजी स्तर पर संपर्क करना कोई गम्भीर वजह तलाशने को मजबूर करता है । ऐसे राजनीतिक परिदृश्य के कारणों से ही इन बातों को बल मिल रहा है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व अब और अधिक समय तक शिवराज सिंह को झेलने को तैयार नहीं है।

इसीलिए शिवराज सिंह अपने ही मंत्रिमंडल के सभी विकल्पों के पर कतरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं । भाजपा हाईकमान के पास विकल्प के अलावा नए नामों की फेहरिस्त भी है। जो प्रदेश भाजपा के सामने होते हुए भी अदृश्य हैं। ऐसे में शिवराज की आंतरिक और बाहरी मदद भी सिर्फ प्रदेश संगठन ही कर सकता है। वह भी योग्य और अनुभवी नेतृत्व हो और शिवराज सिंह के साथ समांतर काम कर चुका हो ।इन हालातों में भी एक मात्र बीडी शर्मा का नाम ही सतह पर नजर आ रहा है जिनका सरकार से सहज समन्वय स्थापित है कोई नया नाम आया तो सहजता स्थापित होने में ही समय निकल जाएगा।

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