December 25, 2024

Corona Dairy : कोरोना डायरी-1 / किसे पता था ये एक दिन का नहीं महीनो का लॉक डाउन है ….

lock down

-वैदेही कोठारी

कोरोना की दूसरी लहर लगातार खतरनाक होती जा रही है। कोरोना पर काबू पाने के लिए फिर से लॉक डाउन लग चुका है । लॉक डाउन के इस समय पिछले लॉक डाउन की यादे फिर से ताज़ा होने लगी है।

22 मार्च 2020 को कौन भूल सकता हैं। सबसे पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगा था। जनता कर्फ्यू में दूध,सब्जी,राशन सब बंद कर दिया गया। सड़के सूनी ,सुबह चारों ओर सन्नाटा छा रहा था। ऐसा लग रहा था,कि पता नही कौनसी दूनियां में आ गए। इतनी शांति हो गई थी। ये तो 24 घंटे का पहला लॉकड़ाउन था। सभी लोग डरे सहमे हुए अपने अपने घरों में बंद दरवाजे किये, खिड़कियों में से झाक रहें थे । लोगो को कहां पता था कि एक दिन का नही ये तो कई महीनो का हो जाएगा।

लॉकडाउन के दौरान कई लोगों ने कई तरह की परेशानियां झेली है। कुछ परेशानियां तो आंखों से आंसू निकाल देने वाली भी रही हैं। 2020 कोरोना काल में हमने अपनों को खोया है। रोजगार,छोडे हैं। घर-बार छोड़ा,भूखे भी रहे है। कोरोना काल की इन्ही सब परेशानियों को मैने मेरी डायरी मेेंं सहेजा है। वैसे तो मुझे पहले लॉकडाउन 25 मार्च से लिखना था। पर ऐसा नही हो सका। इसलिए आज से शुरू करती हूं।

9 अप्रेल 2020

आज लॉकडाउन का 16 वा दिन । आज से 54 घंटे का फुल लॉकडाउन है। मतलब कोई सब्जी,दूध,किराना नही। सभी को घर में ही रहना है। आज मध्य प्रदेश में 411 संक्रमित हो गए हैं। मरने वालों की संख्या 33 हो गई है। पिछले 24 घंटो में 70 लोग संक्रमित हो गए है। इसी तरह भारत में 6000 से उपर हो गए है। भारत में पहला कोरोना पॉजिटिव 30 जनवरी को मिला गया था।

     ये अच्छा हुआ कि मैने दो चार सब्जिया ज्यादा खरीद ली थी। इसलिए अभी तक मुझे सब्जी की परेशानी नही आई। आज मैने कटहल की सब्जी एवं जीरा राइज बनाए। कटलह तुषार के दोस्त उदित भैया को भी अच्छी लगती है,तो मैने उन्हें भी फोन लगा दिया,तो वह घर भोजन करने को तैयार हो गए। भैया घर आए तो उनके हाथ में सेनिटाइजर और मास्क भी लगा रखा था। दोनो  ने सोशल डिस्टेंस के साथ  भोजन किया। उदित भैया जाते-जाते बोले भाभी हम भोजन का सुखा समान के किट दे रहे है,किट(दाल,चावल,नमक,चाय,शक्कर,तेल आलु,प्याज) अगर किसी को चाहिए हो तो बताना। मैंने कहा ठीक है भैया। इनके जाने के बाद मैने किचन की सफाई की। और फिर शरत चंद का लिखित उपन्यास गृहदाह पढऩा शुरू किया। शाम होने तक चारों ओर सन्नाटा ही पसरा हुआ था। इस सन्नाटे में एक आवाज आई,वैदेही वैदेही यह आवाज मेरी माता जी की थी। मैं घबरा कर गई,पूछा क्या हुआ? तो बोलने लगी देख मुझे कोरोना तो नही हो गया? मैं सुनकर दंग रह गई। फिर मैने उनसे पूछा आपको ऐसा क्यों? लगा कि कोरोना हो गया है। बोलने लगी देख मेरी आंखों में जलन,और हाथ पैरों में दर्द हो रहा है। मेरी माता जी की उमर 80 साल की है। मैने उनको समझाया आपको कोरोना नही हुआ है। मौसम बदल रहा है,इसलिए ऐसा हो रहा है। आराम करो ठीक हो जाएगा।

कोरोना का इतना डर बैठ गया था लोगों के मन में, कुछ भी तकलीफ होती तो सीधे कोरोना होना ही लग रहा था

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