November 8, 2024

Virtual Release : प्रो. अज़हर हाशमी के गीत-संग्रह का वर्चुअल विमोचन; साहित्यकार अज़हर हाशमी के गीत मधुर, सरल और संदेशवाहक हैं : डॉ० क्रांति चतुर्वेदी

रतलाम,09 सितम्बर (इ खबरटुडे)। प्रो साहित्यकार अज़हर हाशमी के गीतों में सम्प्रेषण भी है और सकारात्मकता भी। उनके गीत ऐसे पोस्टमेन की तरह हैं जो पाठकों और श्रोताओं को उजाले के पत्र बांटकर, निराशा के अंधकार को दूर करते हैं। उनके गीत मधुर, सरल और संदेश- वाहक है।” यह बात लेखक और पर्यावरण विशेष डॉ० क्रांति चतुर्वेदी (इंदौर) ने साहित्यकार प्रो अज़हर हाशमी के गीत-संग्रह कभी काजू धना, कभी मुट्ठी चना’ का वर्चुअल विमोचन करते हुए कही।
डॉ० चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो हाशमी के इस इस गीत-संग्रह में बावन (52) गीत है जिसे संदर्भ प्रकाशन, भोपाल ने पुस्तक के रूप में कभी काजु घना कभी मुट्ठी चना, शीर्षक से प्रकाशित किया है।

डॉ० चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो० हाशमी कई विद्याओं (निबंध, व्यंग्य, हिन्दी गजल, संस्मरण, कहानी में लिखते हैं और अधिकार पूर्वक लिखते हैं लेकिन उनकी मूल विद्या गीत ही है। प्रो० हाशमी के गीतों ने ही उनको राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दी है। डॉ चतुर्वेदी ने आगे कहा कि इस गीत-संग्रह का पहला गीत ही जीवन-दर्शन को सरलता से समझा देता है। उस गीत के हर छंद में, हर पंक्ति में संदेश निहित है जैसे:- ‘कभी काजू धना, कभी मुट्ठी चना, कभी वो भी मना, इस तरह मन बना! जिन्दगी है कठिन, और आसान भी, प्रश्न है तो कभी है समाधान भी। काल का चक नीचे कि ऊपर कभी, एक हीरा अभी, धूल-धुसर कभी। इसलिए हर किसी को न दुखड़ा सुना, कभी काजू घना कभी मुट्ठी चना।’ डॉ चतुर्वेदी ने आगे कहा कि इस गीत-संग्रहके गीत की ये पत्तियाँ कितनी गहराई लिये हुए हैं। जैसे: ‘दुनिया से तो बहुत मिला तू, खुद से भी तो मिल,
जिस दिन तू खुद से मिल लेगा पाएगा मंजिल ।”

डा चतुर्वेदी ने कहा कि इस संग्रह का गीत (कर्म कभी पीछा नहीं छोड़ता श्रीमान् ! सम्प्रेषण और संदेश का उदाहरण है। जैसे :- मन दुखाओगे, तुम्हारा भी दुखेगा मन, धन जो छीनोगे, तुम्हारा भी छिनेगा धन ।छल जो तुम करोगे, खुद भी छले जाओगे, तुमको भी चुनेंगे जो काँटे बिछाओगे। टाले नहीं टलेगा, विधाता का विधान, कर्म कभी पीछा नहीं छोड़ता श्रीमान !

चतुर्वेदी ने कहा कि इस पुस्तक के हर गीत में कोई न-कोई मोटिवेशनल मैसेज है। जैसे: “मन को इस तरह नहीं उदास कर / जीत जाएगा कि तू प्रयास कर उसी प्रकार ‘उजास का लिबास’ गीत की ये पक्तियाँ अंधकार पर रोशनी की जीत का संदेश देती हैं। जैसे: ” माना कि है अंधकार घोर आपदा/रोशनी से अंधकार हारता सदा।” डॉ० चतुर्वेदी ने कहाकि प्रो० हाशमी के उस गीत संग्रह में किसान से लेकर देश के सैनिक तक, प्रकृति से लेकर पर्यायवण तक, गणतंत्र से लेकर तिरंगा ध्वज तक, शरद पूर्णिमा के चांद से लेकर नर्मदा तक, मध्यप्रदेश की महिमा से लेकर देश के गौरव, वृक्ष निभाता रिश्ता-नाता से लेकर पर्व-प्रसंग तक, नए वर्ष से लेकर नवसम्वत् तक, गौरैया से लेकर गंगा तक, जल बचाने से लेकर बसंत तक पर गीत हैं।

नारी महिला सशक्तिकरण परभी प्रो० हाशमी के गीत की ये पॉलयाँ उल्लेखनीय है। जैसे: “तम अनंत शक्ति का निकाय हो। संतति के हित में तुम उपाय हो। तुम उदारता का शुभ विहान हो। नारी तुम सदय-सरल महान हो।” चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो हाशमीने गीतों में कुछ प्रयोग भी किए हैं जिन्हें अभिनव गीत का नाम दिया है। मुस्कुराया दिन’ और “नए साल की सुबह हो गई तथा जोड़ता वसंत” उसी प्रकार के अभिनव गीत हैं। डॉ० चतुर्वेदी ने कहा कि प्रो०हाशमी का गीत-संग्रह हिन्दी साहित्य के संसार को अनुपम सौगात है। डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि इस पुस्तक का मुख पृष्ठ काफी आकर्षक बनाएं।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

Patel Motors

Demo Description


Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds