विरासत और विकास का प्रमाण है विक्रमादित्य वैदिक घडी- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
उज्जैन, 29 फरवरी(इ खबर टुडे / ब्रजेश परमार )। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्जैन के वेधशाला में लगी विश्व की पहली वैदिक घडी का वर्चुअल लोकार्पण करते हुए कहा है कि हमारी सरकार विरासत और विकास को कैसे साथ लेकर चल रही है इसका प्रमाण उज्जैन में लगी वैदिक घडी भी है। इस दौरान उन्होंने उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ 2028 का जिक्र करते हुए बताया कि इंदौर के इच्छापुर से औंकारेश्वर तक फोरलेन सडक बनाया जा रहा है जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी।
प्रधानमंत्री ने लाल परेड ग्राउंड भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से उज्जैन जिले के लगभग 1819.549 करोड़ की लागत के विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने वैदिक घडी का लोकार्पण करते हुए कहा कि कल से एमपी में 9 दिन का विक्रमोत्सव शुरू होने वाला है। यह हमारी गौरवशाली विरासत और वर्तमान के विकास का उत्सव है। हमारी सरकार विरासत और विकास को कैसे साथ लेकर चल रही है इसका प्रमाण उज्जैन में लगी वैदिक घडी भी है। बाबा महाकाल की नगरी कभी पूरी दुनिया के लिए काल गणना का केंद्र थी लेकिन उस महत्व को भूला दिया गया था। हमने विश्व की पहली विक्रमादित्य वैदिक घडी फिर से स्थापित की है ये सिर्फ अपने समृद्ध अतित को पून: याद करने का अवसर भर है ऐसा नहीं है। यह उस काल चक्र की भी साक्षी बनने वाली है जो भारत को विकसित बनाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने की । राज्यपाल मंगूभाई पटेल कार्यक्रम में उपस्थित थे। उज्जैन जंतर मंतर वैधशाला परिसर में कार्यक्रम केक सीधे प्रसारण की व्यवस्था नगर निगम ने की थी। इस स्थान पर काफी संख्या में आमजन उपस्थित थे।
वैदिक घडी निर्माता के माता-पिता का सम्मान
उज्जैन में वर्चुअल कार्यक्रम के तहत वेधशाला जन्तर-मन्तर के समीप कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें जनप्रतिनिधि,प्रशासनिक अधिकारी एवं पत्रकारों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में वैदिक घडी बनाने वाले लखनउ के आरोह श्रीवास्तव के माता-पिता को अतिथियों ने सम्मानित किया। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का निर्माण लखनऊ की संस्था ‘आरोहण’ के आरोह श्रीवास्तव ने बनाई है। इसमें GMT के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में बांटा गया है। हर घटी का धार्मिक नाम और खास मतलब होगा। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकंड वाली सुई भी रहेगी। सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर यह टाइम की कैलकुलेशन करेगी। मुहूर्त गणना, पंचांग, मौसम से जुड़ी जानकारी भी हमें इस घड़ी के जरिए मिलेगी। उज्जैन कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने एनयूएलएम योजना अन्तर्गत पांच हितग्राहियों को चेक वितरित किये। इसी तरह स्वच्छ भारत अभियान अन्तर्गत थर्ड थीम पद्धति पर आधारित प्रतियोगिता का आयोजन गत जनवरी माह में किया गया था। इस दौरान प्रतियोगिता में विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं चेक भेंट किये गये।
मोबाईल एप भी लांच होगा
वैदिक घड़ी से जुड़ा मोबाइल ऐप भी लॉन्च होगा। वैदिक घड़ी के सभी फीचर इस एप में रहेंगे। उज्जैन में लगने वाली घड़ी में जो बदलाव होंगे, वो एप में भी शो होंगे। इसे मैन्युअल भी ऑपरेट किया जा सकेगा। प्ले स्टोर से इसे डाउनलोड किया जा सकेगा। उज्जैन को काल गणना (टाइम कैलकुलेशन) का केंद्र माना जाता रहा है। उज्जैन से कर्क रेखा (ट्रॉपिक ऑफ कैंसर) गुजरी है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के अथक प्रयास से उज्जैन को टाइम कैलकुलेशन का सेंटर बनाने की भूमिका रही है।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी : विरासत पर एक नजर
जंतर मंतर वेधशाला परिसर में नगर पालिक निगम उज्जैन द्वारा 85 फीट ऊंचे टावर का निर्माण करवाया गया है जिस पर विश्व की एकमात्र और पहली वैदिक घड़ी स्थापित की गई। यह घड़ी दिन-रात के समय के साथ ही मुहुर्त समेत कई जानकारियां दर्शाएगी। वैदिक घड़ी में एक दिन में 24 नहीं, बल्कि 30 घंटे होंगे, एक घंटा 48 मिनट का रहेगा। यह दुनिया की पहली ऐसी डिजिटल घड़ी होगी, जिसमें इंडियन स्टैंडर्ड टाइम और ग्रीनविच मीन टाइम के साथ पंचाग और मुहूर्त की जानकारी मिलेगी। वैदिक घड़ी की विशेषता है कि लोग इसके बैकग्राउंड में हर घंटे देश-विदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की तस्वीर देख पाएंगे। एक वक्त में द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र दिखाई देंगे तो दूसरे वक्त देश-दुनिया में होने वाले सबसे खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे। एप डाउनलोड कर स्मार्ट वाच और मोबाइल में भी घड़ी के साथ इन नजारों को देखा जा सकेगा। वैदिक घड़ी के एप्लीकेशन में विक्रम पंचांग भी समाहित है, जो सूर्योदय से सूर्यास्त की जानकारी के साथ ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगा। घड़ी में पल-पल शहर का तापमान, हवा की गति, मौसम में नमी, हिंदू कैलेंडर अनुरूप माह का नाम भी दर्शाया गया है। उज्जयिनी की स्थापना सृष्टि के आरंभ से ही मान्य की जाती रही है। दुनियाभर में उज्जयिनी से निर्धारित और प्रसरित कालगणना नियामक रही है। भारतीय कालगणना विश्व की प्राचीनतम, सूक्ष्म, शुद्ध, त्रुटिरहित, प्रामाणिक एवं विश्वसनीय पद्धति है। काल/परिमाण की इस सर्वाधिक विश्वसनीय पद्धति का पुनरस्थापन विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के रूप में उज्जैन में किया जा रहा है। भारतीय खगोल सिद्धांत और ब्रम्हाण्ड के ग्रह नक्षत्रों की गति पर आधारित भारतीय काल गणना में समय के न्यूनतम अंश का भी समावेश किया जाता है। इसकी गणना में परमाणु से लेकर कल्प तक का विचार है। मुहूर्त, घटी, पल, कास्ता, प्रहर, दिन-रात, पक्ष, अयन, सम्वत्सर, दिव्यवर्ष, मन्वन्तर, युग, कल्प, ब्रम्हा मुख्य आधार है। हमारे द्रष्टा ऋषियों ने काल की चक्रीय अवधारणा को प्रतिपादित किया है जिसमें सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग की व्यवस्था निरंतर है और यह चक्र शाश्वत रूप असे आते-जाते हैं तथा इनकी आवृत्ति-पुनरावृत्ति होती रहती है। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय काल गणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी है जिसे वैदिक काल गणना के समस्त घटकों को समवेत कर बनाया गया है। इस घड़ी में भारतीय पंचांग समाहित रहेगा। विक्रम सम्वत् मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्यौहार, चौघडि़या, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, आकाशस्थ, ग्रह, नक्षत्र, ग्रहों का परिभ्रमण इसमें स्वाभाविक रूप से समाहित होंगे। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी VST=1.25 Time Zone- Sunrise पर आधारित है जो कि वैदिक आधार है। इसका मापन डोंगला स्थित वेधशाला को आधार बनाकर किया गया है। विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के ग्राफिक्स में सभी ज्योतिर्लिंग, नवग्रह, नक्षत्र, सूर्योदय, सूर्यास्त आदि समाहित हैं। देश और दुनिया में बलपूर्वक आरोपित ग्रीनवीच मीन टाइम ग्रेगोरियन कैलेण्डर की दुरभिसंधि से अंतरराष्ट्रीय समय की गणना में कोई व्यवधान न करते हुए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय काल गणना की परंपरा के पुनरस्थापन का छोटा सा प्रयास है।
वैदिक घड़ी में वैदिक समय, IST, GMT के साथ भारतीय काल गणना विक्रम संवत् की जानकारी मिलेगी। विक्रम संवत् पंचांग (भारतीय प्राचीन कैलेंडर) शामिल रहेगा। सूर्योदय से सूर्यास्त के साथ ग्रह, योग, भद्रा, चंद्र स्थिति, नक्षत्र, चौघड़िया, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण की जानकारी देगा। अभिजीत मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त, अमृत काल और मौसम से जुड़ी सभी जानकारी मिल सकेगी। घड़ी में हर घंटे बाद बैकग्राउंड में नई तस्वीर दिखेगी। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र के साथ दूसरे धार्मिक स्थल भी दिखाई देंगे। देश-दुनिया के खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे भी दिखेंगे। वैदिक घड़ी इंटरनेट और ग्लोबल पॉजिशिनिंग सिस्टम (GPS) से जुड़ी होगी।