October 14, 2024

संकट के इस काल में ईश्वर प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करें -श्री श्री रविशंकर,वर्चुअल व्याख्यानमाला का दूसरा दिन

रतलाम,12 मई (इ खबरटुडे)। कोविड रिस्पांस टीम द्वारा आयोजित 5 दिवसीय वर्चुअल व्याख्यानमाला के दूसरे दिन आज प्रथम व्याख्यान आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और प्रणेता पूज्य श्री श्री रविशंकर जी का रहा ।

पूज्य रविशंकर जी ने कहा कि मृत्यु का ताण्डव जो वर्तमान में चल रहा है , इस समय हमें ईश्वर प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करना चाहिए । ईश्वर ने हमें शक्ति दी है धैर्य की । यह हमारे भीतर ही है , इसे जगाने की आवश्यकता है । अपने भीतर के जोश को , शौर्य को धैर्यपूर्वक जगाए , तो आप इसके सकारात्मक परिणाम पाएँगे । दूसरी शक्ति है होश संभालना अर्थात भावुकता में नहीं बहना । दूसरों के दुख देखकर अपना दुःख भूलकर सेवावृत्ति को जगाना । हम स्वयं ही टूट जाएँगे तो समाज को परिवार को कैसे संभालेंगे ? ईश्वर प्रदत्त तीसरी शक्ति है करुणा की । यह जो करुणा है इसकी आवश्यकता अब नहीं है तो कब होगी ? इस करुणा भाव को अब नहीं जागृत करेंगे तो फिर कब करेंगे ? अतः ईश्वर प्रदत्त इन शक्तियों की यह परीक्षा की घड़ी है । जब हम दुखी होते हैं तो अस्थिरता आती है , ऐसे में मनोबल बढ़ाने के लिए प्राणायाम , योग और आयुर्वेद को अपनाए । यह निश्चित है कि हम इस संकट से बाहर निकल आएँगे , सफलता सुनिश्चित है लेकिन उसके लिए नकारात्मक चिंतन से बाहर सकारात्मकता को देखना पड़ेगा ।

आज के व्याख्यान के द्वितीय वक्ता रहे विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन एवम प्रख्यात दानवीर उद्योगपति अजीज प्रेम जी ।
अजीज प्रेम जी ने अपने सारगर्भित उदबोधन में कहा कि विज्ञान ने हमें यह आधार प्रदान किया है कि हम उस पर विश्वास करें । हम एकजुट होकर इस आपदा को परास्त कर सकते हैं न कि विभाजित होकर । इस आपदा में केवल शारिरीक दुःख ही नहीं है अपितु प्रत्येक परिवार पर आर्थिक संकट भी है । इसलिए सामूहिक रूप से विचार करें कि हर समस्या का समाधान निकालना है केवल रोना नहीं है ।
आज के इस व्याख्यान के तृतीय वक्ता के रूप में संबोधित किया पद्मश्री डॉ. निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने ।

पद्मश्री डॉ. निवेदिता जी ने अपने ओजस्वी वाणी में समाज को संदेश दिया कि हम जीतेंगे यह तय है क्योंकि यह राष्ट्र कोई साधारण राष्ट्र नहीं है , प्राचीन काल मे इस राष्ट्र ने कई बड़े बड़े संकटो का सामना किया है और उन सकंटो से उबरने में सफलता प्राप्त की है । इस कोरोना काल से मुक्ति के पंच सूत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि इन पाँच सूत्रों का पालन करते हुए हम विजय के मार्ग पर प्रशस्त हो सकते हैं । एक हम अपनी प्राणशक्ति को जागृत करें । ॐ के उच्चारण से होने वाले स्पंदन से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है , यह प्रमाणित तथ्य है । दूसरा मन की अनंत शक्तियों को पहचानना । हमारा मन जैसा सोचता है वैसा होने लगता है अतः सुबह उठकर सकारात्मक विचार करेंगे तो सकारात्मक मन बनेगा । तीसरा एक साथ रहने का दुर्लभ अवसर । जब लॉक डाउन में हम सब अपने परिवार में एक साथ रह रहे हैं तो इस अवसर को अविस्मरणीय बनाना ,जैसे नई नई भाषा , नई कला सीखना । चौथा सूत्र है सेवा का अवसर । हम सब कुछ न कुछ यथाशक्ति सेवाकार्य कर सकते हैं और यदि कुछ नहीं कर सकते तो ईश्वर से प्रार्थना तो कर सकते हैं क्योंकि प्रार्थना में भी शक्ति होती है । पाँचवा सूत्र है मृत्यु के डर से दूर रहना । यह सोचे कि हम किनकी संतान हैं ? हम उन ऋषि मुनियों की संतान हैं जिन्हें कभी मृत्यु का भय नहीं रहा ।यह भूमि कभी कठिनाइयों के सामने झुकने वाली भूमि नहीं रही । जीवन अखण्ड है और मृत्यु क्षणिक । हम पुनर्जन्म और गीता संदेश की धारणा वाले देश के नागरिक हैं । हम मृत्युंजय है । अतः जो विष को धारण कर पाता है वही अमृत को पाता है ।

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