May 7, 2024

Congress Disaster : ना कार्यकर्ता पर अंकुश रहा ना जनमत पर पकड़ ,सर्वनाश की ओर कांग्रेस संगठन

-चन्द्रमोहन भगत

भोपाल,24 जनवरी । गहन अध्ययन समन्वय और बहुत सारा समय लेने के बाद कांग्रेसी कमेटी का अधूरा गठन हो पाया था। कुछ जिलो के अध्यक्षों के नाम भी घोषित किए गए थे । पदाधिकारियों के नामों की घोषणा होते ही कमलनाथ कांग्रेस की नाव विरोध के दबाव में झटके खाने लगी। इंदौर का झटका इतनी जोर से लगा कि प्रदेश अध्यक्ष को घोषित किया हुआ अरविंद बागड़ी का नाम वापस लेना पड़ा । यही नहीं सभी जगह से विरोध के झटके मिलने के कारण प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल भी बयान दे चुके हैं कि सूची में संशोधन होना बाकी है । अखिल भारतीय सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी की यह हालत है कि 12 घंटे में घोषित जिला अध्यक्ष का नाम वापस लेना पड़ा। क्योंकि प्रदेश क्या देश के पदाधिकारियों की भी यही हालत है कि ना कार्यकर्ता पर अंकुश रहा ना जनमत पर पकड़ बाकी है ना पार्टी के प्रति समर्पण बचा है।

इन सब को साधने के लिए अनुशासन के महति आवश्यकता होती है जो कांग्रेसियों में लेश मात्र भी सामान्यतः नजर नहीं आता है । कभी कभार दिखाने के लिए नाटकीय अनुशासन का प्रदर्शन भी कराया जाता है स्वतः होता ही नहीं है । उक्त प्रतिनिधि पहले भी अपने कालम में 21 जनवरी को जाहिर कर चुका है कि बेकार होगा राहुल का प्रयास कि कांग्रेस में एका होने की बजाय जिला अध्यक्ष जैसे पदों के लिए एक दूसरे के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया कि हम नहीं सुधरेंगे, चाहे राहुल गांधी पैदल भारत जोड़ने निकले हो । 22 जनवरी के कालम में जाहिर किया था कि नियुक्तियां होगी तो विवाद भी होंगे। हुआ भी ऐसा ही इधर घोषणा उधर विवाद के कारण अभी इंदौर के नए शहर अध्यक्ष की घोषणा को रोका है। इस विरोध के सामने नाथ कांग्रेस का घुटने टेकना अन्य जिलों के घोषित अघोषित पदाधिकारियों में विरोध करने वालों को ऊर्जा प्रदान करने जैसा साबित होगा ।

यह भी शाश्वत सत्य है कि कांग्रेस संगठन सिर्फ पदाधिकारियों का ही रह गया है कार्यकर्ता का नहीं लगातार पदों पर रहने वाले कार्यकर्ता नहीं रह पाते हैं और पदाधिकारी अनुशासन में नहीं रहते हैं। गुटीय टीम बनाकर इतने मजबूत हो जाते हैं कि पद जाने पर निजी समर्थकों से बगावत करा देते हैं और डरा हुआ वरिष्ठ संगठन भी घुटने टेक देता है ।

इंदौर अध्यक्ष का घोषित नाम अरविंद बागड़ी को जिस तर्ज पर रोका गया है यह प्रदेश में कांग्रेसी संगठन को सर्वनाश की ओर ले जाएगा । क्योंकि प्रत्येक जिले में प्रतिस्पर्धी हैं और सभी को मंत्र मिल गया है अनुशासन तोड़ो प्रदेश संगठन का जमकर विरोध करो तो मनचाहा पद मिल जाएगा। प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में यह जो दृश्य उजागर हुआ है यह साल अंत के विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान निश्चित कर गया है । इसकी पुनरावृति भी निश्चित ही होगी जब प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। तब भी प्रत्याशियों के नाम बदलने के लिए विद्रोहियों के सामने मजबूर होगा । ऐसे वातावरण में जनमत पर कांग्रेस के प्रति नकारात्मक प्रभाव ही छाया रहेगा। फिर यह मंथन किया जाएगा कि जब सार्वजनिक सतह पर कांग्रेसियों को आपस में ही पद के लिए झगड़ते ही रहना है तो राहुल गांधी ने ये भारत जोड़ो यात्रा की ही क्यों ?

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