Raag Ratlami Water Scarcity – पानी की किल्लत,बडे साहब की सख्त हिदायत और निगम के नाकारापन की असलियत,वर्दीवालों को चुनौती दे रहे चोर
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-तुषार कोठारी
रतलाम। पूरा शहर परेशान है। गर्मियों के मौसम में हर बार की तरह इस बार भी शहर सरकार के बाशिन्दे व्यवस्थाओं को चाक चौबन्द करने की बजाय व्यवस्थाएं बिगाड कर कमाई की जुगाड में जुटे हुए है और नतीजा शहर के जलसंकट के रुप में सामने है। जिला इंतजामिया के पुराने साहब शहर सरकार के नाकारा कारिन्दों को टाइट करने में जुटे ही थे कि उनका तबादला हो गया। नए साहब आए,तो आते ही समझ गए कि माजरा क्या है? उन्होने भी शहर सरकार के अफसरों की मीटींग लेकर सख्त हिदायत जारी कर दी। लेकिन अब तक तो हालात में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है।
शहर के बाशिन्दे पानी की किल्लत से कई सालों से जूझ रहे हैैं। लेकिन इस बार की बात अलग थी। फूल छाप पार्टी वालों ने बडे जोर शोर से घोषणा की थी कि इस बार शहर में हर दिन पानी देने की शुरुआत कर दी जाएगी। ये घोषणा किसी ऐरे गैरे ने नहीं,बल्कि पूरे प्रदेश के मामा ने मंच से की थी। लोगों को उम्मीद बन्धी थी कि खुद मामा ने घोषणा की है,इसलिए ये सच होगी।
लेकिन शहर सरकार के नाकारा और निकम्मे कारकूनों की बदौलत मामा की बात भी झूठी साबित हो गई। ना सिर्फ वादा झूठा साबित हो गया,बल्कि एक दिन की बजाय दो दो दिन छोडकर पानी आने लगा। जिस मोहल्ले में जिस वक्त पानी आने वाला होता है,उस वक्त नल तो नहीं आता,नरक निगम का भोंगला जरुर सुनाई देने लगता है। शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं होगा,जहां नल की बजाय भोंगला ना पंहुचता हो। नरक निगम का भोंगला चीख चीख कर लोगों को बताता है कि नल आज नहीं कल आएगा। वैसे लोगों को सम्बोधित बडे सम्मान से किया जाता है। भोंगला लोगों को “सम्माननीय जल उपभोक्ताओं” के नाम से सम्बोधित करता है और कहता है कि नल आज नहीं कल या परसों आएगा। नरक निगम ने अपने जल प्रदाय विभाग में एक उपविभाग “भोंगले” के नाम से भी चालू कर दिया है,जिसका यही काम है कि हर दिन नया एलान करना।
जनता परेशान है,फूल छाप पार्टी वाले मजबूर है कि कुछ कह नहीं सकते। सरकार उनकी है,इसलिए वो कैसे विरोध करें। गनीमत ये है कि इस बार पंजा पार्टी ने थोडी सक्रियता दिखाई। पंजा पार्टी ने काफी सारी भीड जुटाकर पानी की किल्लत के लिए नरक निगम और फूल छाप वालों को खरी खरी सुनाई।
इधर, जिला इंतजामिया के नए वाले बडे साहब ने रतलाम आते ही फौरन भांप लिया कि सबसे बडी दिक्कत क्या है। उन्होने आते ही पानी को लेकर निगम के नाकारा कारकूनों की मीटींग ली। उन्होने सारी व्यवस्थाएं पूछी और तुरंत ताड लिया कि ना तो पानी की कमी है,ना संसाधनों की। कमी है तो सिर्फ प्लानिंग की। उन्होने अफसरों को प्लान बनाने के निर्देश भी जारी कर दिए। बडे साहब की सख्त हिदायत है कि जल्दी से जल्दी प्लान बनाकर हर आदमी तक पर्याप्त पानी पंहुचाया जाए।
इधर शहर सरकार के अफसरों की परेशानी ये है कि उन्होने पानी की किल्लत की आड में कमाई का जो बेहतरीन प्लान तैयार किया हुआ है,उसे अब छोडना पडेगा। उन्हे अब सचमुच में पानी की किल्लत दूर करने का प्लान बनाना पडेगा। यही एक ऐसा काम है जिसमें नरक निगम के कर्ताधर्ताओं को कभी मजा नहीं आता। उनकी परेशानी ये है कि अगर शहर में सब लोगों को ठीक से पानी मिलने लगेगा,पानी की मोटरों का जलना और बिगडना बंद हो जाएगा,तो इसके लिए बनने वाले बिलों का क्या होगा? पानी की किल्लत के कारण निगम वालों को जो हरियाली मिल रही है उसका क्या होगा?
चुनौती जिला इंतजामिया के नए आए बडे साहब के सामने है। उन्हे नाकारा और निकम्मों की फौज से कस के काम लेना है। उन्हे इन लोगों को काम में लगाना है जो काम करने की बजाय बिगाडने की चाहत रखते है। इसका इलाज सख्ती है। बडे साहब सख्त रहेंगे तभी निगम का नाकारापन दूर हो सकेगा वरना अफसरों को निर्देश टालने का लम्बा तजुर्बा है।
चोरों की चुनौती…..
जिला इंतजामिया के बडे साहब के सामने पानी की किल्लत को खत्म करने की चुनौती है,तो वर्दी वालों के सामने चोर उचक्के चुनौती पेश कर रहे है। पहले के चोर तो रात के अंधेरे का इंतजार किया करते थे,इन दिनों तो उन्हे रात दिन का कोई फर्क ही नहीं पड रहा है। वे बडे आराम से दिन दहाडे ताले तोड रहे है। ये कहानी जिले के किसी एक शहर की नहीं बल्कि शहर से लेकर गांव देहात तक यही आलम है। धडल्ले से चोरियां हो रही है। लगता है कि वर्दी वालों की ढील पोल देखकर प्रदेश भर के चोर उचक्कों ने रतलाम में डेरा कर लिया है। कोई घरों के ताले चटका रहा है,तो कोई दुकानों का माल साफ कर रहा है। किसी ने दोपहिया वाहनों को पार करने का काम पकड रखा है। रोजाना चोरी की दो चार छ: वारदातें ना हो तो दिन ही पूरा नहीं होता।
कहने के लिए तो वर्दी वाले आजकल एडवान्स हो रहे है और चोर उचक्कों को पकडने के लिए नए नए तरीके ईजाद हो गए है। इतना ही नहीं पूरे शहर में सीसीटीवी कैमरों की आंखे भी लगी हुई। लेकिन इसके बावजूद वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही है। वर्दी वालों का रौब जैसे हवा हो गया हो। किसी चोर उचक्के को वर्दी वाले का कोई डर ही नहीं रह गया है। इसी का नतीजा है कि वारदातें लगातार जारी है। वर्दी वालों के हाथ कुछ भी नहीं लग रहा है।
चोर उचक्कों की सक्रियता के पीछे कहीं ना कहीं वर्दी वालों की ढील पोल का ही हाथ है। किसी जमाने में पूरी रात वर्दी वालों की जबर्दस्त गश्त हुआ करती थी। सिपाही से लेकर बडे अफसर तक गश्त करते नजर आ जाया करते थे। लेकिन आजकल कहीं कहीं सिपाही तो नजर आ जाते है,लेकिन कोई बडा अफसर कहीं नजर नहीं आता।
अब तो लोग सोचने लगे चोर उचक्कों का जब तक मन नहीं भरेगा,वे यहीं डेरा डाले रहेंगे और अपने कमाल दिखाते रहेंगे। जब कभी उनका मन यहां से भर जाएगा,तब वे यहां से किसी दूसरे शहर या इलाके का रुख करेंगे। कुल मिलाकर जब तक उनका मन नहीं भरता खुद की सुरक्षा खुद ही करना होगी। तो लोग अब ना तो घर सूना छोड कर जा रहे है और ना रातों को चैन से सौ पा रहे है। घर की चौकीदारी जरुरी है। वर्दी वाले क्या करेंगे और कब करेंगे किसी को नहीं पता।