December 24, 2024

Voting Analysis : पिछले विधानसभा से मिलती जुलती रही है इस बार के मतदान की तस्वीर,मतदान प्रतिशत में कोई बडा फेरबदल नहीं,जानिए क्या होगा मतदान प्रतिशत का नतीजों पर असर

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रतलाम,17 नवंबर (इ खबरटुडे)। जिले की पांच विधानसभा सीटों के लिए आज हुए मतदान के अंतिम आंकडे अभी तक प्राप्त नहीं हुए है। कुछेक मतदान केन्द्रों पर देर शाम तक मतदान जारी रहा। इसकी वजह से अंतिम आंकडे उपलब्ध नहीं है। लेकिन अधिकांश मतदान केन्द्रों से मिले आंकडों से जो तस्वीर सामने आई है,वह वर्ष 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव से लगभग मिलती जुलती है। कुछ विधानसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत में मामूली बढत नजर आई है,वहीं कुछ स्थानों पर मामूली सी कमी हुई है। कुल मिलाकर मतदान प्रतिशत में कोई बडा बदलाव सामने नहीं आया है। मतदान के बने बनाए पैटर्न का नतीजों पर पर क्या असर पडेगा? इसका विश्लेषण आगे किया जा रहा है।

अब तक सामने आए मतदान के आंकडों को देखें तो रतलाम शहर में 73.55 प्रतिशत मतदान हुआ है,जबकि रतलाम ग्र्रामीण सीट पर मतदान का प्रतिशत 86.25 रहा है। इसी तरह सैलाना में 89.50 प्रतिशत,जावरा में 85.48 प्रतिशत और आलोट में 83.33 प्रतिशत मतदान होने की खबर है। मतदान का पैटर्न पिछले चुनावों की तरह ही रहा है। शुक्रवार का दिन होने से मुस्लिम इलाकों में दोपहर तक मतदान की गति बेहद धीमी रही,लेकिन दोपहर के बाद मतदान में जबर्दस्त तेजी देखी गई। इसके उलट ग्रामीण इलाकों में सुबह से मतदान केन्द्रों पर लम्बी कतारें लग गई थी। धामनोद,नामली,नगरा जैसे गांवों में दोपहर दो बजे तक साठ प्रतिशत से अधिक मतदान हो चुका था। इसी तरह जिले के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदान की गति तेज रही।

विधानसभा चुनावों के मतदान प्रतिशत की तुलना यदि पिछले विधानसभा चुनावों के मतदान प्रतिशत से किया जाए,तो पता चलता है कि वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में जिले की पांचों सीटों पर मतदान का प्रतिशत अभी की तुलना में कम रहा था। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में मतदान का प्रतिशत मिलता जुलता रहा है।

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में रतलाम सिटी में कुल 68.91 प्रतिशत मतदान हुआ था। यह चुनाव विधायक चैतन्य काश्यप ने कांग्रेस प्रत्याशी अदिती दवेसर को 40305 मतों से हराया था। जबकि पिछले चुनाव यानी विधानसभा चुनाव 2018 में रतलाम सिटी का मतदान प्रतिशत 73.27 प्रतिशत रहा था। इस विधानसभा चुनाव में विधायक चैतन्य काश्यप ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमलता दवे पर 43435 मतों से जीत दर्ज की थी। करीब एक साल पहले हुए नगर निगम चुनाव में मतदान का प्रतिशत 83.68 रहा था। जो कि विधानसभा चुनाव के प्रतिशत से अधिक था,लेकिन नगर निगम चुनाव का वोटिंग पैटर्न बिलकुल अलग होता है,इसलिए इस आंकडें का विधानसभा चुनाव पर कोई असर नहीं होता।

आज हुए मतदान का आंकडा देखें तो इस बार मतदान का प्रतिशत 73.55 रहा है,जो पिछले विधानसभा चुनाव से मात्र 0.28 प्रतिशत अधिक है। कुल मिलाकर मतदान का पैटर्न पिछले चुनाव से लगभग मिलता जुलता रहा है। चुनाव विश्लेषकों का अनुमान है कि नतीजे भी पिछले चुनाव से मिलते जुलते ही रहेंगे। अंतर मतदाताओं की बढी हुई संख्या का होगा। इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में मतदाताओं की संख्या बढी है,इसलिए हार जीत का अंतर भी इसी परिमाण में बढेगा।

इसी तरह रतलाम ग्रामीण सीट के आंकडों को देखा जाए,तो वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में रतलाम ग्रामीण सीट पर 79.31 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मथुरालाल डामर ने कांग्र्रेस प्रत्याशी लक्ष्मी देवी खराडी को 26969 मतों से पराजित किया था। लेकिन इसके विपरित वर्ष 2018 में रतलाम ग्रामीण का मतदान प्रतिशत बढकर 86.54 रहा था। इस चुनाव में भाजपा के दिलीप मकवाना ने कांग्रेस प्रत्याशी थावर भूरिया पर 5605 मतों से जीत दर्ज की थी। मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में करीब 7 प्रतिशत बढा था,लेकिन इसका फायदा भाजपा को नहीं मिला था। बढे हुए मतदान प्रतिशत का लाभ कांग्रेस को मिला था और भाजपा की लीड 26969 से घटकर मात्र 5605 रह गई थी।

अब बात करें वर्तमान चुनाव की। इस बार रतलाम ग्रामीण में 86.25 प्रतिशत मतदान हुआ है,जो कि पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में मात्र 0.29 प्रतिशत कम है। इन आंकडों का विश्लेषण किया जाए तो यह तथ्य सामने आता है कि मतदाताओं में ना तो कोई गुस्सा था और ना ही अतिरिक्त उत्साह। इसके विपरित इस बार के चुनाव में जयस प्रत्याशी की मौजूदगी रही है। जयस प्रत्याशी डा.अभय ओहरी ने पहले कांग्रेस से टिकट मांगा था,लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो उन्होने जयस से चुनाव लडा। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी पर बाहरी होने का ठप्पा भी था और स्थानीय नेताओं में इस बात को लेकर भारी असन्तोष भी था। इन तथ्यों का लाभ सीधे सीधे भाजपा को मिल सकता है। ऐसे में इस सीट का मतदान प्रतिशत भाजपा की मदद करता हुआ दिखाई देता है।

जिले की बहुचर्चित सीट जावरा के आंकडों पर नजर डाले तो जावरा में वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में 81.02 प्रतिशत मतदान हुआ था। वर्ष 2013 में भाजपा के डा.राजेन्द्र पाण्डेय ने कांग्रेस के युसूफ कडपा को 29851 मतों से पराजित किया था। लेकिन इसके बाद हुए वर्ष 2018 के चुनाव में तस्वीर में काफी बदलाव आया। 2018 के चुनाव में जावरा का मतदान प्रतिशत बढकर 84.35 हो गया था। मतदान प्रतिशत में करीब सवा तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस चुनाव में भाजपा और कांग्र्रेस दोनो के एक एक बागी प्रत्याशी भी मैदान में थे। इन दोनो बागियों ने काफी वोट हासिल किए थे। लेकिन आखरी नतीजा भाजपा के पक्ष में आया था। इस कठिन चुनाव में भाजपा के डा.राजेन्द्र पाण्डेय ने मात्र 511 मतों की मामूली जीत दर्ज की थी।

अब देखें वर्तमान चुनाव को । इस बार जावरा में 85.48 प्रतिशत मतदान हुआ है,जो पिछले चुनाव से करीब एक प्रतिशत अधिक है। जावरा के इस बार के चुनाव में जहां कांग्रेस का एक बागी उम्मीदवार मैदान में है,वहीं कांग्रेस ने प्रत्याशी का बदलाव कर भारी असंतोष भी पैदा किया था। ये दोनो तथ्य कांग्रेस के खिलाफ जाते दिखाई देते है। मतदान प्रतिशत में कोई खास बदलाव नहीं होना यह दर्शाता है कि मतदाताओं में सरकार या वर्तमान विधायक के प्रति कोई नाराजगी नहीं थी। इस लिहाज से जावरा के परिणाम भी भाजपा के लिए सुखद होने का अनुमान है।

जिले की सबसे उलझी हुई सीट सैलाना के आंकडों पर नजर डाले,तो वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में सैलाना में 83.71 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में भाजपा की संगीता चारेल ने कांग्रेस के हर्षविजय गेहलोत पर 2079 वोट की मामूली जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत करीब 6 प्रतिशत बढकर 89.13 प्रतिशत हो गया था। मतदान के बढे प्रतिशत का सीधा फायदा कांग्रेस प्रत्याशी हर्षविजय गेहलोत को मिला और उन्होने भाजपा के नारायण मईडा पर 28498 मतों की जबर्दस्त जीत हासिल की थी। इस चुनाव में जयस के कमलेश्वर डोडियार ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में पन्द्रह हजार से अधिक मत प्राप्त किए थे।

सैलाना में इस बार मतदान का प्रतिशत 89.50 प्रतिशत रहा है,जो पिछले चुनाव से मात्र 0.33 प्रतिशत अधिक है। लेकिन इस बार सैलाना का चुनाव काफी उलझा हुआ नजर आ रहा है। पिछले पांच सालों में जयस ने काफी ताकत हासिल की है। इसका सबूत जिला पंचायत चुनाव में मिला था। कमलेश्वर डोडीयार फिर से मैदान में है और भाजपा ने पूर्व विधायक संगीता चारेल पर दांव लगाया है। मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव के लगभग बराबर रहने से यह अनुमान लगा पाना बेहद कठिन है कि इसका असर किसके लिए कैसा रहेगा। निर्दलीय प्रत्याशी कमलेश्ïवर कितने वोट लाएंगे और किसे कितना नुकसान पंहुचाएंगे,यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।

जिले की आलोट सीट के आंकडों पर नजर डालें तो वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में आलोट में 79.65 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जीतेन्द्र गेहलोत ने कांग्रेस के अजीत प्रेमचन्द गुड्डू पर 7973 वोटों से जीत हासिल की थी। लेकिन वर्ष 2018 में मतदान प्रतिशत में बढोत्तरी दर्ज की गई। वर्ष 2018 में आलोट में 82.68 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान प्रतिशत में वृद्धि कांग्रेस के लिए फायदेमन्द साबित हुई। कांग्रेस के मनोज चावला ने भाजपा के जीतेन्द्र गेहलोत को 5448 मतों से पराजित किया। लेकिन इस बार मतदान का प्रतिशत 83.33 प्रतिशत रहा है,जो कि पिछले चुनाव से मात्र 0.35 प्रतिशत अधिक है। मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव के लगभग बराबर रहा है।

पिछले चुनाव में भाजपा के पराजित प्रत्याशी जीतेन्द्र गेहलोत लगातार दूसरी बार मैदान में थे और क्षेत्र में उनके विरुद्ध नाराजगी थी। जबकि मंनोज चावला एकदम नया चेहरा थे। इस बार मनोज चावला लगातार दूसरी बार चुनाव लड रहे है और उनके खिलाफ भी मतदाताओं में नाराजगी देखी गई है। दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी डा. चिन्तामणि मालवीय नया चेहरा है। मतदान प्रतिशत में कोई बदलाव ना होना बताता है कि मतदाताओं में ना तो ज्यादा नाराजगी है ना ही अतिरिक्त उत्साह है। लेकिन इस बार के परिदृश्य में सबसे खास बात कांग्रेस नेता प्रेमचन्द गुड्डू का बागी प्रत्याशी के रुप में मैदान में होना है। प्रेमचन्द गुड्डू ने चुनाव में जबर्दस्त ताकत झोंकी है। उनकी मजबूत उपस्थिति कांग्रेस के लिए नुकसान दायक साबित हो सकती है। दूसरी भाजपा के प्रतिबद्ध वोट भाजपा के साथ ही बने हुए है। ऐसे में आलोट भी कांग्रेस के लिए दुखद साबित हो सकती है।

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