November 15, 2024

Petition Reject : पुलिस द्वारा आरोपियों के विरुद्ध की गई कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय द्वारा खारिज; आरोपियों पर जुर्माना भी ठोका

रतलाम 27 अप्रैल(इ खबर टुडे)। जिले की सैलाना पुलिस द्वारा लूट और चाकूबाजी में गिरफ्तार किये गए दो आरोपियों द्वारा एफआईआर रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय में प्रस्तुत याचिका को उच्च न्यायालय ने न सिर्फ ख़ारिज कर दिया बल्कि न्यायालय का समय नष्ट करने के लिए याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी ठोक दिया। उच्च न्यायालय ने पुलिस द्वारा आरोपियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही को भी उचित बताया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपी हर्षवर्धन सिंह गुर्जर व उसके साथी संदीप जाट ने विगत १ जनवरी 24 की फरियादी गेंदालाल के साथ लात घुसे से मारपीट करते हुए उसे चाकू मारकर घायल कर 10,000 रुपए लूट लिए थे। घटना पर थाना सैलाना पर धारा 323, 324, 294, 392, 394/34 आई.पी.सी. 1980 और 3(2)(वी-ए) और 3(1)(आर)(एस) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढा के निर्देशन में थाना सैलाना पुलिस द्वारा आरोपियों हर्षवर्धन सिंह गुर्जर एवं संदीप जाट को गिरफ्तार कर कर वैधानिक कार्यवाही की गई थी।

पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही के विरुद्ध आरोपी हर्षवर्धन सिंह गुर्जर द्वारा माननीय हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमे पुलिस द्वारा अवैधानिक कस्टडी में रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस के विरुद्ध जुर्माने की मांग की गई थी। जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा मामले की जांच कर यह पाया गया कि आरोपी हर्षवर्धन सिंह गुर्जर एवं सह आरोपी संदीप जाट द्वारा फरियादी के साथ मारपीट करते हुए फरियादी को चाकू से घायल कर फरियादी के 10000 रुपए भी लूट लिए थे। जिस पर पुलिस द्वारा कार्यवाही करते हुए प्रकरण पंजीबद्ध कर आरोपियों को हिरासत में लिया गया था।

याचिकाकर्ता हर्षवर्धन सिंह गुर्जर के विरुद्ध 06 अपराधिक मामले दर्ज होकर आरोपी आपराधिक प्रवृत्ति का बदमाश है। आरोपी हर्षवर्धन के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत भी कार्यवाही की गई थी। माननीय न्यायालय द्वारा याचिका की जांच में यह पाया कि याचिकाकर्ता हर्षवर्धन द्वारा पुलिस पर दबाव बनाने तथा अपना प्रभाव जमाने के उद्देश्य से पुलिस के विरुद्ध अवैधानिक हिरासत में रखने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता का यह पहला अपराधिक मामला नहीं है बल्कि इसके अलावा भी याचिकाकर्ता पर मारपीट करने, जान से मारने की धमकी देने आदि के 06 अन्य अपराधिक प्रकरण दर्ज है। अतः यदि न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को किसी भी प्रकार की राहत प्रदान की जाती है तो यह सीधे तौर पर न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।

माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि यह याचिका पूर्णतः गलत सोच एवम गलत उद्देश्य से दायर की गई है। यह याचिका खारिज करने योग्य है। इस तरह से गलत उद्देश्य से याचिका दायर करने वाले लोगो को यह एहसास होना चाहिए कि न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करने का कोई गंभीर कारण होना चाहिए, केवल दबाव बनाने या अपना प्रभाव जमाने के उद्देश्य से याचिका दायर करना बिलकुल भी उचित नहीं है। अतः इसे 2500 रुपए के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है। माननीय न्यायालय द्वारा जुर्माने की राशि को 4 सप्ताह के भीतर जमा करने के निर्देश दिए गए। समय सीमा में जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर भूमि कर के रूप में वसूल करने के निर्देश प्रदान किए गए।

You may have missed

This will close in 0 seconds