स्मृति शेष : श्री गोपाल राव कोठारी का व्यक्तित्व रहा “सादा जीवन उच्च विचार और जन सेवा के संस्कार वाला”, उनकी रग रग में बसी थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्य प्रणाली
रतलाम । आजादी के 11 साल पहले जन्म लेने वाले श्री गोपाल राव कोठारी का जीवन बचपन से ही लक्ष्य आधारित और निर्धारित रहा। जो उन्होंने ठान लिया था, वह जीवन जीवन पर्यंत उस राह पर चलते रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यप्रणाली उनकी रग रग में बसी हुई थी। सादा जीवन उच्च विचार और जन सेवा के संस्कार वाला उनका व्यक्तित्व और कृतित्व रहा। जो भी उनके मन में संकल्प थे, वह जीवन में पूरे हुए।
88 वर्षीय श्री कोठारी का नाता बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गया था, जब देश आजाद भी नहीं हुआ था। उस समय उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए कार्य शुरू किया। शिक्षा के साथ बचपन उज्जैन में व्यतीत हुआ। बचपन में दीवारों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पोस्टर लगाकर चले जाते। पकड़ा भी जाते तो उन बच्चों को भेरूगढ़ तक छोड़ दिया जाता। यही सजा थी, फिर सभी बच्चे पैदल-पैदल पैदल चलकर अपने घर की ओर आ जाते। यह जोश, जुनून और उत्साह उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए और आगे बढ़ने की हिम्मत देता रहा।
शासकीय सेवा में आंतरिक रूप से और मिला संबल
पढ़ाई के पश्चात उन्हें जब नौकरी करने का अवसर मिला तो एक तरफ केंद्रीय सेवा थी तो दूसरी तरफ राज्य की। केंद्र की सेवा में उन्हें लोको पायलट का अवसर मिल रहा था, वहीं राज्य की सेवा में उन्हें कृषि विभाग में ग्राम सेवक का पद। उन्होंने ग्राम सेवक बनना ही ज्यादा उचित समझा और वह रतलाम जिले में ही विभिन्न पदों पर रहते हुए किसानों से जुड़ गए। हालांकि थे तो शासकीय सेवा में ही मगर अंदर ही अंदर वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रसार में संकल्पित होकर जुड़ गए। किसानों की समस्या और उनका समाधान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्देश्यों को जन-जन तक पहुंचाने का उन्हें यह बेहतर मार्ग मिला।
टिकट वितरण में होता था श्री कोठारी से सलाह मशवरा
श्री कोठारी का निवास किराए का मकान सेठजी हुआ करता था। इमरजेंसी के दौरान वहां पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रमुख बालमुकुंद झा के साथ बैठक करते रहते थे। श्री झा उस दौरान शर्मा जी के नाम से वहां पर रहते थे। इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और जिले में उनकी इतनी बेहतर पकड़ थी कि टिकट वितरण के दौरान उनसे सलाह मशवरा लिया जाता। जमीनी स्तर पर कौन व्यक्ति बेहतर है, जो कि चुनाव जीत सकता है और वह जो बताते, उन्हें टिकट भी दिए जाते और वह विजय श्री प्राप्त करते।
वानप्रस्थ कार्यक्रम के दौरान ले ली अनिवार्यता सेवानिवृत्ति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वानप्रस्थ कार्यक्रम में शामिल होने के उद्देश्य से उन्होंने 1998 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति ले ली। उस दौरान श्री कोठारी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी थे। सेवा काल के दौरान धराड़ के श्री महाकाल मंदिर की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी। उस मंदिर का विस्तार, प्रचार प्रसार भी उनके मार्गदर्शन में किया गया। एकल विद्यालय, सेवा भारती सहित कई प्रकल्पों में प्रभावी कार्य को अंजाम दिया।
श्री रामलला के दर्शन करने गए और एक शेष रही शिला की गई भेंट
भगवान श्री राम के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास था। उनका संबोधन मुस्कुराहट के साथ श्री राम से ही होता था। कार सेवा के दौरान जिलेभर से श्री रामशिला पूजन के तहत शिला भिजवाने की जिम्मेदारी का निर्वहन भी किया। काम पूरा होने के पश्चात भी काफी समय बाद आदिवासी क्षेत्र से एक व्यक्ति उन्हें शिला देकर गया जो कि वह नहीं पहुंचाई जा सकी, मगर श्री कोठारी के निवास पर उसकी पूजा मार्च 2024 तक निरंतर होती रही। श्री राम स्थापना के पश्चात श्री रामलला के दर्शन करने सह परिवार अयोध्या गए थे, तब वह शिला श्री राम तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय जी को भेंट की।
मन के सभी संकल्प किए उन्होंने पूरे
उनके मन में यही बात होती रहती थी कि मैं श्री राम लाल के दर्शन करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार शपथ लेने के पश्चात ही इस संसार से विदाई लूंगा। मन में जो भाव थे, जो संकल्प थे, वह पूरे हुए। आरएसएस के समर्थक और श्री राम भक्त कोठारी ने इस दुनिया से अंतिम विदाई ले ली।
आज होगा उनके व्यक्तित्व कृतित्व पर स्मरण
बुधवार शाम को 5 बजे से 7 बजे तक लायंस हाल, रिलायंस पेट्रोल पंप के पीछे होने वाली श्रद्धांजलि सभा में श्री गोपाल राव कोठारी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का स्मरण किया जाएगा। उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाएंगे।