Conceptual Seminar : समन्वय का मार्ग ही देश के लिए सर्वश्रेष्ठ: वैचारिक संगोष्ठी मे पंडित मुस्तफा आरिफ ने कहा
रतलाम 28 जुलाई (इ खबरटुडे)। स्वर्गीय राष्ट्रपति डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्य तिथि पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की रतलाम जिला इकाई ने वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा लोकार्पित डॉ० ख्वाजा इफ्तिखार एहमद की पुस्तक वैचारिक समन्वय पर वक्ताओ ने वरिष्ठ पत्रकार और मंच की पत्रिका के संस्थापक संपादक पंडित मुस्तफ़ा आरिफ ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन मे समन्वय के मार्ग को राष्ट्र की प्रगति और विकास का सर्वश्रेष्ठ बताते हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारो का समर्थन किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता मंच के रतलाम जिलाध्यक्ष इलियास एहमद कुरेशी ने किया। मंच की ओर से पंडित मुस्तफा को वैचारिक समन्वय पुस्तक भेंट की गई।
पंडित मुस्तफा ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत की इस बात में दम है कि भारत के हिंदु मुसलमानो का डीएनए एक है। विभिन्नता के होते हुए भी हम सांस्कृतिक रुप से आपस में जुड़े हुए है। इसलिए आपसी सामंजस्य सूझबूझ और समन्वय के अलावा राष्ट्र निर्माण का हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। वैचारिक समन्वय हमे प्रेरित करती है कि हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक की राष्ट्र निर्माण की विचारधारा को अनदेखा न करे, उसे समझे और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए एक जूट होकर संघ के साथ खडे हो।
पंडित मुस्तफा ने कहा कि इसी समन्वय की विचारधारा को डॉ० इंद्रेश कुमार नाम का एक महापुरुष को हर मुसलमान के घर तक पहुंचाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। गर्व की बात है कि इंद्रेश जी की बात देश का मुसलमान समझने और मानने लगा है। यहीं वजह है कि संघ की राष्ट्र प्रेम की विचार धारा का स्वागत हुआ है और अब देश भर मे मंच के 9 लाख मुसलमान सदस्य है। यह श्रेय इंद्रेश जी के खाते मे जाता है।
पंडित मुस्तफ़ा ने कहा कि यद्यपि वैचारिक समन्वय पुस्तक एक 450 के लगभग आजादी के खिलाफत आंदोलन से लेकर आज तक की गतिविधियो का लेखा जोखा ही नहीं है, अपितु मुसलमानो को आईना बताने का एक अद्भुत प्रयास है। देश के मुसलमानो को इसे जरूर पढ़ना चाहिए। जिससे कि उनका मन मस्तिष्क साफ हो और भारत के निर्माण मे संघ जैसी राष्ट्रीय विचारधारा वाली संस्था के साथ खडे हो।
वैचारिक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मंच के जिला अध्यक्ष इलियास एहमद कुरैशी ने कहा डॉ० ख्वाजा इफ्तिखार एहमद की किताब हमें नफरत के माहोल से बाहर निकालकर परस्पर मोहब्बत से जोड़ती है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इस किताब को और समन्वय के संदेश को घर-घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। इस किताब को उन सब को पढ़ना चाहिए जो तथाकथित सेक्युलर विचारो से विचलित होकर राष्ट्र प्रेम एकता और समन्वय की सच्ची पक्षधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे पवित्र राष्ट्र भावना वाले आंदोलन का विरोध करते है।
मंच के समर्पित कार्यकर्ता मुबारक शैरानी, सलीम भाई शाकेब वाले ने संबोधित करते हुए देश के मुसलमान भाईयो से मंच से जुड़ने और नव भारत के निर्माण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का साथ देने की अपील की। मंच के जिला प्रचार प्रभारी अजहरुद्दीन शेख ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर सर्वश्री पीरुलाल डोडियार, सादिक भाई, अयाज़ शेख, अरबाज शेख, अफाक हुसैन, आसिफ सिद्दीकी और सुहैल अली आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ ने सभी उपस्थितजनो ने डॉ० अब्दुल कलाम के चित्र पर माल्यार्पण किया।