November 18, 2024

Money Laundering Gang : आम लोगों के दस्तावेजों से फर्जी कम्पनियों के फर्जी बैैंक खाते खोलकर करोडों की हेराफेरी करने वाले गिरोह का मुख्य आरोपी राजस्थान से गिरफ्तार ; कई प्रश्न अब भी अनुत्तरित

रतलाम,27 जून (इ खबरटुडे)। साधारण लोगों को रुपए का लालच देकर उनके दस्तावेजों से फर्जी कम्पनियों के बैैंक खाते के जरिये करोडो की हेराफेरी करने वाले गिरोह के चार सदस्यों की गिरफ्तारी के करीब चार महीने बाद पुलिस ने इस गिरोह के मुख्य आरोपी विनोद शर्मा को राजस्थान से गिरफ्तार करने का दावा किया है। हांलाकि इस बडे घोटाले में बडे खिलाडियों और बैैंक अधिकारियों की भूमिका होने के बावजूद उनके खिलाफ अब तक किसी प्रकार की कोई जांच होने के कोई संकेत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि फास्ट फूट का ठेला लगाने वाले सूरज चौरे ने विगत 15 जनवरी को पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने उसे पन्द्रह हजार रु. मासिक देने की लालच देकर उसके आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज लिए थे और इन दस्तावेेजों के आधार पर फर्जी कम्पनियां बनाकर इन कम्पनियों के विभिन्न बैैंकों में खाते खुलवाए गए थे। इन बैैंक खातों में करोडों रुपए का लेनदेन हो रहा था,जिसे देखकर सूरज चौरे को शक हुआ और वह पुलिस के पास पंहुचा था। पुलिस ने सूरज चौरे की शिकायत पर प्रकरण दर्ज कर जांच की और इस मामले में लिप्त चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।

इस गिरोह का कथित मुख्य आरोपी विनोद शर्मा तभी से फरार चल रहा था। पुलिस अधीक्षक राहूल कुमार लोढा ने फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम बनाकर उसे पकडने के निर्देश दिए थे। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों और सायबर सेल की मदद से मुख्य आरोपी विनोद शर्मा निवासी विजयनगर जिला भीलवाडा राजस्थान को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के संज्ञान में आए इस बडे आर्थिक घोटाले को लेकर पुलिस अधीक्षक राहूल लोढा ने विगत 1 फरवरी को प्रेस वार्ता आयोजित कर इस पूरे घोटाले की जानकारी साझा की थी। प्रेस वार्ता के दौरान बताया गया था कि आरोपियों ने 4 फर्जी कम्पनियों के नौ बेंक खाते खुलवाए थे जिनमें करोडों रुपए का लेनदेन हो रहा था। प्रेस वार्ता में यह भी कहा गया था कि इस तरह की करीब 40-50 फर्जी कम्पनियां बनाई गई है।

प्रेस वार्ता में कहा गया था कि पुलिस ने जिन आरोपियों को पकडा है,वो बडे मामूली से है और खातों में हुए करोडों के लेन देन से यह स्पष्ट है कि इसके पीछे बडे खिलाडी होंगे,जिन्होने काले धन को सफेद करने और करचोरी या मनी लाण्ड्रिंग करने के लिए यह सारा षडयंत्र रचा होगा। इतना ही नहीं यह भी कहा गया था कि बैैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इस तरह का घोटाला संभव नहीं है। लेकिन इस बडे घोटाले में ना तो कोई बैैंक अधिकारी अब तक जांच के दायरे में आया है और ना ही गिरफ्तार आरोपियों से सारा घोटाला कराने वाले बडे आर्थिक अपराधियों का पता लगाने की कोशिश की गई है।

40 -50 फर्जी कम्पनियां बनाकर करोडों की हेराफेरी करने का मामला एन्फोर्समेन्ट डायरेक्टोरेट (इडी) जैसे विभाग की जांच का हो सकता है। लेकिन इस सम्बन्ध में अब तक कोई कार्यवाही किए जाने की कोई जानकारी नहीं है।

गिरोह के मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने में थाना प्रभारी औ. क्षै रतलाम राजेन्द्र वर्मा, उनि सत्येंद्र रघुवंशी, उनि अमित शर्मा (प्रभारी सायबर सेल) उनि ध्यान सिंह सोलंकी, प्र आर लक्ष्मीनारायण सूर्यवंशी, प्र आर हिम्मत सिंह, प्र आर राहुल जाट, प्र आर हिमांशु यादव, प्र आर मनमोहन शर्मा, आर . विपुल भावसार, मयंक व्यास, अभिषेक पाठक, राहुल पाटीदार, तुषार सिसोदिया आदि की सराहनीय भूमिका रही।

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