Pathology Lab : जिला अस्पताल की पैथालाजी लेब में मशीनें तो हुई अत्याधुनिक,लेकिन नहीं बदली व्यवस्थाएं;107 तरह की जांचों का दावा भी फेल
रतलाम,27 फरवरी (इ खबरटुडे)। जिला चिकित्सालय में स्थापित पैथालाजी लैब में कहने को तो अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई है,जिससे स्वचालित ढंग से जांच रिपोर्टे प्राप्त होती है,लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरित है। अत्याधुनिक मशीनों के बावजूद मरीजों को अपनी जांच रिपोर्ट के लिए लम्बा इंतजार करना पडता है और लम्बे इंतजार के बाद मिलने वाली जांच रिपोर्टेस की विश्वसनीयता भी संदिग्ध रहती है। इतना ही नहीं,अत्याधुनिक मशीनें लगने के बाद इस लैब में 107 तरह की जांच करने का दावा किया गया था,लेकिन ये दावा भी खोखला ही साबित हुआ है।
उल्लेखनीय है कि जिला चिकित्सालय की मेडीकल सुविधाएं बढाने के उद्देश्य को लेकर करीब एक साल पहले पैथालाजी लैब में कई सारी अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई थी। इससे पहले पैथालाजी लैब में तमाम तरह की जांचे मैन्यूअली की जाती थी। मशीनें स्थापित होने के बाद अब रक्त और अन्य चीजों की जांचे स्वचालित मशीनों द्वारा की जा रही है। अत्याधुनिक मशीनें स्थापित करने का ठेका जबलपुर के साइंस हाउस नामक कंपनी को दिया गया था। ठेके की शर्तो के मुताबिक कंपनी को मशीनों की स्थापना के साथ,इनकी देखरेख,मरम्मत और इनके लिए लगने वाले केमिकल व अन्य उपकरण उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। पैथालाजी लैब के आधुनिकीकरण के चलते इसका स्थान भी बदला गया और पूर्व में बनाए गए नवजात शिशुओं के आईसीयू भवन मे पैथालाजी लैब स्थापित की गई। कंपनी का दावा था कि कुल 107 तरह की जांचे इस लैब में की जा सकेगी और जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीज को किसी भी तरह की जांच के लिए बाहर नहीं जाना पडेगा।
जबलपुर के साइंस हाउस द्वारा रतलाम की पैथालाजी लेब में फुलली आटोमैटिक सीबीसी मशीन,फुलली आटोमैटिक बायो कैमिस्ट्रीक मशीन,फुलली आटोमैटिक हारमोनल मशीन और फुलली आटोमैटिक क्लाटिंग स्कैनर मशीन जैसी कई बेहद महंगी और अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई है। जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन औसतन तीन सौ से ज्यादा सैम्पल्स जांच के लिए लाए जाते है। लेकिन अत्याधुनिक मशीनों से काम आसान होने की बजाय कठिन होने लगा है।
परिणामों की विश्वसनीयता संदिग्ध….
पैथालाजी लैब से जुडे सूत्रों का कहना है कि इन मशीनों से मिलने वाले परिणामों की विश्वसनीयता कई बार बहुत संदिग्ध होती है। यहां तक कि कई बार तो ऐसे रिजल्ट आ जाते है,जो कि किसी जीवित व्यक्ति के सैम्पल में संभव ही नहीं हो सकते। उदाहरण के लिए ब्लड शुगर की जांच रिपोर्ट में यदि किसी व्यक्ति की शुगर 10 या 20 से नीचे आ जाती है तो यह जीवित व्यक्ति में संभव ही नहीं हो सकता,क्योंकि इतनी कम शुगर वाला व्यक्ति जीवित ही नहीं रह सकता। लेकिन इन मशीनों से कई बार इसी तरह के असंभव से रिजल्ट आ जाते है। जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों को भी अपनी सरकारी लैब के जांच परिणामों पर बलिकुल भी भरोसा नहीं है। इसीलिए वे मरीजों को प्राइवेट लैब से टेस्ट कराने की सलाह दे देते है। इसी तरह कई बार डायलैसिस के मरीजों के यूरिया क्रिटेनीन की रिपोर्ट भी गलत आती है। ऐसी स्थिति में मरीज का उपचार करना चिकित्सक के लिए कठिन हो जाता है।
दावा 107 जांच का,वास्तविकता अलग
पैथालाजी लैब में नई मशीनें लगने के बाद कुल 107 तरह की जांचों का दावा किया गया था। लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट है। इस पैथालाजी लैब में कार्डिएक प्रोफाईल,इनफर्टिलिटी प्रोफाईल,डायबिटिक प्रोफाइल,कैंसर मार्कर टेस्ट,विटामिन बी-12,डी-3 आदि की जांच नहीं हो रही है। बताया जाता है कि ठेकेदार कंपनी द्वारा इस प्रकार की जांचों में लगने वाले रिजेंट (केमिकल्स व उपकरण) लैब को उपलब्ध नहीं कराए जा रहे है। इसी वजह से जांचें संभव नहीं है। यही नहीं कई बार तो सामान्य रुटीन जांचों में लगने वाले रिजेंट और अन्य उपकरण भी उपलब्ध नहीं होते। इसी वजह से जांच संभव नहीं हो पाती।
सुविधाओं की कमी….
एक ओर तो जहां ठेकेदार कंपनी की लापरवाही के कारण जांचों के लिए जरुरी रिजेंट और अन्य उपकरणों के अभाव में लैब का काम प्रभावित हो रहा है,वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन द्वारा भी लैब के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने से काम प्रभावित होता है। सूत्रों के मुताबिक लैब का काम सुचारु ढंग से चलाने के लिए लैब में पृथक से हाईस्पीड इन्टरनेट कनेक्शन भी अति आवश्यक है,लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा अस्पताल के इन्टरनेट कनेक्शन से ही पैथालाजी लैब को जोड दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि इन्टरनेट की स्पीड ना आने के कारण मरीजों की जांच रिपोर्ट तैयार होने में घण्टों लग जाते है। पिछले हफ्ते तो इन्टरनेट बन्द होने की वजह से करीब तीन दिनों तक लैब बन्द रही और सैैंकडों मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पडा। सूत्रों का कहना है कि पैथालाजी लैब के इन्टरनेट कनेक्शन के लिए प्रतिमाह तीन हजार रु.की राशि स्वीकृत है। अस्पताल प्रशासन चाहे तो पैथालाजी लैब को एक नहीं बल्कि दो हाई स्पीड ब्राडबैण्ड कनेक्शन उपलब्ध करवा सकता है। लेकिन इसके बावजूद लैब को पृथक इन्टरनेट कनेक्शन मुहैया नहीं कराया गया है।
इनका कहना है…..
जिला अस्पताल की पैथालाजी लैब के प्रभारी डाक्टर सीपी राठोर का कहना है कि पैथालाजी लैब की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। विभिन्न जांचों के लिए आवश्यक रिजेन्ट उपलब्ध कराने के लिए ठेकेदार कंपनी को कहा गया है। इन्टरनेट की व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जा रहा है।