Raag Ratlami Loud Speaker : सूबे के मुखिया ने दिया आदेश,लाउड स्पीकरों के कानफोडू शोर से मिलने लगी है राहत/फूल छाप नेताओ को भाव नहीं देते वाहन महकमे के वसूली साहब
-तुषार कोठारी
रतलाम। सूबे के मुखिया मोहन ने चुनाव से फ्री होते ही अफसरों को अपने पुराने फरमान की याद दिलाई तो पूरे प्रदेश के लोगों को सुबह सवेरे होने वाली चीख पुकार से मुक्ति मिलने का रास्ता साफ हो गया। हर शहर गांव में धर्मस्थलों पर लगे भोंगलों को हटाने की मुहिम फिर से शुरु हो गई। अब उम्मीद है कि भोंगलों के हटने से सुबह सवेरे सुनाई देने वाले कानफोडू शोर से हर किसी को राहत मिल सकेगी।
वैसे तो देश की सबसे बडी अदालत बरसों पहले हुक्म जारी कर चुकी थी कि रात दस से सुबह 6 बजे के बीच किसी भी हालत में भोंगले(लाउड स्पीकर) नहीं बजाए जाएंगे। लेकिन जालीदार गोल टोपी वालों के दबाव में देश की सबसे बडी अदालत का हुक्मनामा भी रद्दी की टोकरी में ही पडा हुआ था। सुबह के शान्त वातावरण में मस्जिदों पर लगे भोंगले कानफोडी आवाज में चीखने लगते थे और न चाहते हुए भी लोगों की सुबह की सुहानी नींद खराब हो जाती थी।
प्रदेश के नए मुखिया मोहन जैसे ही आम चुनाव की भागादौडी से थोडे से फ्री हुए उन्होने तमाम अफसरों की मीटींग ले डाली और उनसे पूछा कि भोंगले हटाने के फरमान का क्या हुआ? याद रहे है कि प्रदेश के मुखिया ने गद्दी सम्हालने के बाद पहला हुक्म यही जारी किया था कि तमाम धर्मस्थलों पर लगे भोंगलो को हटा दिया जाए। अफसरों ने इस हु्क्म की थोडी सी तामील की थी। दिखावे के लिए कुछ मस्जिद मन्दिरों से थोडे से भोंगले हटा भी दिए थे। लेकिन वक्त गुजरने के बाद हटाए गए भोंगले वापस से चढ गए थे और चीख पुकार फिर से शुरु हो गई थी।
लेकिन इस बार मुखिया ने सख्ती कुछ अधिक दिखा दी। इसका नतीजा ये हुआ कि हफ्ते के आखरी दिन जिले भर में सात सौ से ज्यादा भोंगले उतरवा दिए गए। सौ सवा सौ भोंगले बचे हुए थे। पहले दिन कहा गया कि इनकी आवाज कम करवा दी गई है। लेकिन बाद में वर्दी वालों के कप्तान ने कहा कि बचे हुए सारे भोंगले भी अब हटा दिए जाएंगे। लाउड स्पीकर हटने से शहर के लोग राहत महसूस कर रहे है। बचे खुचे भोंगले भी जब हटा दिए जाएंगे। उम्मीद की जाना चाहिए कि कप्तान के आदेश पर जल्दी ही अमल करवाया जाएगा। यानी कि शोरगुल से अब पूरी राहत मिल सकेगी।
फूल छाप नेताओ को भाव नहीं देते वाहन महकमे के वसूली साहब
वैसे तो वाहनों वाले महकमे की ख्याति वसूली को लेकर ही है। इसे सदा से ही मलाईदार विभाग माना जाता है। लेकिन पिछले लम्बे समय इस महकमे की कमान सम्हाल रहे साहब ने वसूली के भाव भी दुगुने कर दिए है। साहब को रतलाम में आए लम्बा अरसा हो चुका है। कोरोना के पहले से साहब यहीं डटे हुए है। साहब की वसूली से महकमे के तमाम दलाल और दूसरे लोग बेहद परेशान है। बस और ट्रक संचालित करने वालों की हालत खराब है। साहब कोई मुरव्वत नहीं पालते।
साहब किसी से डरते भी नहीं। यहां तक कि फूल छाप पार्टी के नेताओं तक को साहब भाव नहीं देते। साहब का कहना है कि वसूली का हिस्सा उपर तक जाता है इसलिए कोई उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता। फूल छाप वाले नेताओं के लिए साहब खुला चैलेंज दे चुके है कि वे जबतक चाहेंगे तब तक यहीं रहेंगे। चुनौती अब फूल छाप वालों के लिए है। वाहन वाले महकमे के साहब पर वे लगाम लगा पाते है या नहीं? यही वडा सवाल है।
जानलेवा गर्मी में भी गुल है बिजली
आसमान से आग बरस रही है और ऐसे मौसम में बिजली का गुल होना नारकीय यातना से कम नहीं है। बिजली महकमे वाले अफसर पता नहीं कैसी व्यवस्थाएं कर रहे है कि हर दिन और रात में किसी भी वक्त अचानक से बिजली गुल कर कर देते है। रात के वक्त जब बिजली गुल हो जाती है तब रात काटना भारी पड जाता है। बिजली गुल क्यो हो रही है? कोई नहीं जानता।
बिजली महकमे के कारिन्दे इतने कलाकार है कि रात के वक्त दफ्तर के फोन का रिसीवर उठाकर अलग रख देते है। जैसे ही किसी इलाके में बिजली गुल होती है,तो लोग बिजली विभाग के दफ्तर में फोन लगाने की कोशिश करते है,ताकि उनकी सुनवाई हो जाए। लैकिन दफ्तर का फोन लगता ही नहीं है। बिजली कंपनी ने चौबीसों घण्टे शिकायत के लिएएक और फोन नम्बर जारी किया है,लेकिन इस दौर में शिकायत का वह नम्बर भी नहीं लगता।
मजेदार बात यह भी है कि जब बिजली महकमे के अफसरों से बिजली गुल होने के बारे में पूछा जाता है तो वे बडी मासूमियत से जवाब देते है कि बिजली की कोई कटौती हो ही नहीं रही है। भूले भटके कभी बिजली गुल हो भी जाती है तो उसे जल्दी ही ठीक कर दिया जाता है। लेकिन असलियत यही है कि आसमान से आग बरसने के दिनों में बिजली गुल होने से लोग खासे परेशान है और इसका कोई हल बिजली महकमे वाले करने को तैयार नहीं है।