December 27, 2024

Ramshila : रामनगरी पहुंची द‍िव्‍य शालिग्राम की श‍िलाओं का भव्‍य पूजन, उत्साहित रामभक्‍त बोले- लग रहा मां सीता-श्रीराम के हुए दर्शन

ramshila

अयोध्या,02 फरवरी(इ खबर टुडे)। नेपाल की काली गंडकी से अयोध्‍या धाम पहुंची श‍िलाओं का आज पूजन क‍िया जाएगा। इनका उपयोग राम और जानकी की मूर्तियों के निर्माण के लिए किए जाने की उम्मीद है। श‍िलाओं के दर्शन के ल‍िए रात से भक्‍तों का तांता लगा है। साधु संत भी दूर दूर से श‍िलाओं के दर्शन के ल‍िए आ रहे हैं।

रामनगरी में बुधवार को पुण्यसलिला सरयू के समानांतर आस्था की एक और सरयू प्रवाहित हो उठी। यदि उस सरयू का उद्गम हिमालय की तलहटी मानसरोवर से हुआ था, तो आस्था की यह सरयू भी हिमालय के ही पर्वतीय पुंजक धौलागिरि की तलहटी से लगकर प्रवाहित पुण्यसलिला काली गंडकी से उद्भूत हो रामनगरी तक परिव्याप्त थी।

रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के रूप में पांच सदी बाद रामभक्तों का जो चिर स्वप्न साकार हो रहा है, उस स्वप्न में प्राण प्रतिष्ठित करने की तैयारी नेपाल की काली गंडकी से ही प्राप्त शिला से हो रही है। यद्यपि रामलला की स्थापना इस वर्ष के अंत तक प्रस्तावित है, किंतु बुधवार को रामलला की मूर्ति के लिए आईं शिलायें श्रीराम के ही रूप में स्वीकृत-शिरोधार्य हुईं।

रामनगरी का प्रतिनिधित्व करते हुए शिला की अगवानी निवर्तमान महापौर रिषिकेश उपाध्याय एवं विधायक वेदप्रकाश गुप्त ने सैकड़ों संतों-श्रद्धालुओं तथा स्थानीय नागरिकों के साथ की। शिला की अगवानी करने वालों में भव्य राम मंदिर के निर्माण में लगी संस्था रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय एवं ट्रस्टी डा. अनिल मिश्र भी रहे।

यद्यपि ट्रस्ट को रामलला की मूर्ति के लिए यह शिला गुरुवार को सुबह 10:30 बजे नेपाल से आए प्रतिनिधि मंडल की ओर से विधि-विधान पूर्वक अर्पित की जाएगी, किंतु ट्रस्ट के महासचिव सहयोगियों के साथ बुधवार की शाम ही नगरी की परिधि पर इस शिला की अगवानी करने से स्वयं को रोक नहीं सके।

आस्था की सरयू में डुबकी लगाने वालों में नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिमलेंद्र निधि, उनकी पत्नी अनामिका निधि, नेपाली कांग्रेस के ही शीर्ष नेता धीरेंद्रकुमार निधि, जनकपुर के मेयर मनोज शाह, जानकी मंदिर के महंत रामतपेश्वरदास एवं उनके उत्तराधिकारी रामरोशनदास जैसी विभूतियों सहित वह सैकड़ों श्रद्धालु थे, जो मकर संक्रांति से शुरू इस शिला की यात्रा के साक्षी-सहचर हैं।

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर नेपाल के म्याग्दी जिला से होकर गुजरने वाली काली गंडकी से 26 टन एवं 14 टन वजन के दो विशाल शिला खंड निकाले जाने के साथ शुरू यात्रा प्राारंभिक चरण में पर्वतीय मार्गों के चलते धीमी थी, किंतु 30 जनवरी को मां जानकी एवं राजा जनक की नगरी जनकपुर से आगे बढ़ने के साथ यात्रा आस्था का शिखर छूती चली गई।

यात्रा में शामिल रहीं आयुषी रायनिधि एवं उनके पति डा. अविरल निधि बताते हैं कि काली गंडकी से प्राप्त शिलाओं को शालिग्राम के तौर पर स्वयं नारायण का ही रूप माना जाता है, किंतु रामलला की मूर्ति में ढलने की संभावनाओं के बीच तो यह दो शिलाएं नेपाल के म्यागडी से लेकर अयोध्या तक ऐसे गुजरीं जैसे श्रीराम मां सीता को जनकपुर से लेकर अयोध्या आ रहे हाें।

नम आंखों के साथ शिलाओं को स्पर्श करते हुए निवर्तमान पार्षद एवं बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी के पुजारी रमेशदास कहते हैं कि यह शिलाएं ही नहीं, वह भावनाएं हैं, जो युगाें से श्रीराम और सीता के रूप में हमसे जुड़ी हैं और निकट भविष्य में भव्य स्वप्न के रूप में सज्जित होने वाली हैं।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds