November 20, 2024

Foundation Stone : अयोध्या में भव्य राम जन्मभूमि मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा से 35 साल पहले हुआ था मन्दिर का शिलान्यास,रतलाम से भी पंहुचे थे 11 रामभक्त (देखिये वीडियो)

रतलाम,17 जनवरी (इ खबरटुडे)। अयोध्या में श्री रामलला के दिव्य और भव्य मन्दिर में प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने वाली है और पूरा देश राममय हो चुका है। लेकिन इस भव्य मन्दिर का शिलान्यास 35 वर्ष पूर्व 1989 में हुआ था और शिलान्यास के इस समारोह में रतलाम के भी ग्यारह राम भक्त पंहुचे थे। राम मन्दिर के शिलान्यास में भी तत्कालीन सरकारों ने काफी बाधाएं डालने का प्रयास किया था,लेकिन विश्व हिन्दू परिषद के तीखे तेवरों के चलते आखिरकार शिलान्यास सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ था।

35 वर्ष हुए राम मन्दिर के शिलान्यास समारोह में रतलाम से गए रामभक्त वीरेन्द्र वाफगांवकर ने शिलान्यास समारोह की घटनाओं को याद करते हुए बताया कि विश्व हिन्दू परिषद द्वारा श्री राम जन्म भूमि की मुक्ति के लिए प्रारंभ किए गए आन्दोलन का यह बिलकुल शुरुआती चरण था और विश्व हिन्दू परिषद ने श्री राम जन्म भूमि मन्दिर के निर्माण के लिए शिलान्यास के कार्यक्रम की घोषणा की थी। इस समय वैसे तो पूरे देश में राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए जन जागरण के विभिन्न कार्यक्रम किए जा रहे थे,लेकिन अयोध्या में होने वाले शिलान्यास कार्यक्रम के लिए बहुत अधिक लोगों को नहीं बुलाया गया था।

श्री वाफगांवकर ने बताया कि शिलान्यास के लिए रतलाम नगर से कुल नौ लोगों का दल अयोध्या के लिए रवाना हुआ था,जबकि मण्डावल गांव के दो रामभक्त भी अयोध्या पंहुचे थे। रतलाम से जाने वालों में वीरेन्द्र वाफगांवकर के अलावा विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन संगठन मंत्री दर्शन शर्मा,बजरंग दल के तत्कालीन जिला संयोजक सुरेन्द्र वोरा,कमलेश शर्मा,संतोष नेका,कैलाश व्यास जीतेन्द्र राठौड,प्रमोद व्यास और तुषार कोठारी शामिल थे,जबकि लक्ष्मणदास बैरागी और भारतसिंह मण्डावल से अयोध्या पंहुचे थे। इनमें से कमलेश शर्मा अब जीवित नहीं है।

श्री वाफगांवकर ने बताया कि विश्व हिन्दू परिषद ने देवोत्थान एकादशी 9 नवंबर 1989 का दिन शिलान्यास के लिए चुना था और शिलान्यास के लिए अभिजीत मुहूर्त निश्चित किया था। अयोध्या में देशभर के हजारो रामभक्त पंहुच चुके थे। रतलाम का दल 31 अक्टूबर को ट्रेन से अयोध्या के लिए रवाना हुआ था। अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद ने रामभक्तों के ठहरने के लिए टेण्ट लगाए थे। अक्टूबर नवंबर का महीना कडाके की ठण्ड का मौसम होता है। शिलान्यास में शामिल हुए रामभक्तों को कडाके की ठण्ड में खुले शामियानों में ठिठुरते हुए रात गुजारना पडती थी।

श्री वाफगांवकर ने शिलान्यास के दिनों को याद करते हुए बताया कि रतलाम से पंहुचे सभी ग्यारह रामभक्त प्रतिदिन एक से दो बार श्री रामजन्म भूमि पंहुच कर दर्शन करते थे। सुबह की शुरुआत सरयू स्नान से होती थी। रामभक्तों के भोजन के लिए भण्डारे लगाए गए थे। विश्व हिन्दू परिषद के उस वक्त के नेता स्व.अशोक सिंघल,स्व. मोरोपन्त पिंगले आदि के ओजस्वी भाषण होते थे। म.प्र. सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे जयभान सिंह पवैया उस समय मध्यप्रदेश के बजरंग दल के अध्यक्ष थे। वे भी अयोघ्या में मौजूद थे। उस वक्त नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे,जबकि राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। ये दोनो ही नेता शिलान्यास कार्यक्रम के कुछ ही दिनों बाद अपने पदों से हट गए थे।

केन्द्र और राज्य सरकार किसी कीमत पर शिलान्यास नहीं होने देना चाहती थी। शिलान्यास से पहले के दिनों में सरकार और विहिप के बीच तनाव लगातार बढता जा रहा था। हजारों संत भी अयोध्या पंहुच चुके थे। श्री राम जन्म भूमि मन्दिर की कथित तौर पर विवादित 2.77 एकड भूमि पर किसी भी प्रकार का कार्यक्रम करने पर न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई थी। ऐसे में यह तय नहीं हो पा रहा था कि आखिरकार क्या होगा? विश्व हिन्दू परिषद का नेतृत्व किसी भी स्थिति में शिलान्यास से पीछे हटने को तैयार नहीं था। आखिरकार निर्धारित तिथी से सिर्फ एक दिन पहले उत्तर प्रदेश सरकार और विश्व हिन्दू परिषद के बीच सहमति बन गई। उप्र.सरकार 2.77 एकड की तथाकथित विवादित भूमि को छोडकर अविवादित भूमि पर शिलान्यास की अनुमति देने को तैयार हो गई। 8 नवंबर 1989 को जब यह तय हो गया कि शिलान्यास निर्धारित तिथी और मुहूर्त पर ही होगा तो अयोध्या में मौजूद हजारों रामभक्तों के अलावा देश भर के रामभक्तों में खुशियां छा गई।

श्री वाफगांवकर ने बताया कि 9 नवंबर को होने वाले शिलान्यास के कार्यक्रम के कवरेज के लिए दुनियाभर के पत्रकार अयोध्या पंहुचे थे। विहिप द्वारा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार,कामेश्वर चौपाल ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आज तैयार हो रहे भव्य राम मन्दिर की पहली ईंट रखी थी। राम मन्दिर की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल अब श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य है और अबी भी मन्दिर निर्माण के कार्य से पूरी सक्रियता से जुडे हुए है। श्री वाफगांवकर ने बताया कि उन दिनों फोटो कैमरे आज की तरह सर्वसुलभ नहीं हुआ करते थे। रतलाम से अयोध्या गए ग्यारह रामभक्तों में से सिर्फ श्री वाफगांवकर के पास एक रंगीन फोटो वाला कैमरा था,जिससे उन्होने उस वक्त हुए शिलान्यास और अयोध्या के दृश्यों को कैमरे में कैद किया था। शिलान्यास के मौके पर अयोध्या में जबर्दस्त भीड थी।

श्री वाफगांवकर के मुताबिक आज बनकर तैयार हो रहे भव्य और दिव्य मन्दिर के निर्माण की शुरुआत उसी पहली ईंट से 1989 मेंं हुई थी,जिसे कामेश्वर चौपाल ने रखा था। इस पूरी घटना के समय रतलाम के रामभक्त भी मौजूद थे और आज भव्य राम मन्दिर के निर्माण का सपना 45 साल बाद पूरा हो रहा है,जिससे शिलान्यास में मौजूद प्रत्येक रामभक्त अभिभूत है।

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