December 27, 2024

RTO Income : वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट ने बढाई परिवहन विभाग की आर्थिक फिटनेस,हर साल एक करोड से ज्यादा की कमाई

mp transport

रतलाम,07 अप्रैल (इ खबरटुडे) । देश और प्रदेश में लागू मोटर व्हीकल एक्ट के लिहाज से सड़कों पर चलने वाले प्रत्येक व्यावसायिक वाहनों को प्रतिवर्ष फिटनेस प्रमाणपत्र लेना आवश्यक होता है। इसके लिए शासन द्वारा एक निर्धारित शुल्क भी अदा करना आवश्यक होता है। रतलाम जिले के व्यावसायिक वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्रों ने यहां के परिवहन विभाग की आर्थिक फिटनेस को बेहद तगडा कर दिया है। फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने के लिए यहां सरकारी फीस से करीब तिगुनी राशि वसूली जाती है।

उल्लेखनीय है कि जिले में चल रहे व्यावसायिक वाहनों की संख्या हजारों में है। इस श्रेणी में तमाम आटोरिक्शा,बसेंं,मिनी बसें,ट्रक,मिनी ट्रक,छोटी लोडिंग गाडियां,मैजिक जैसी यात्री गाडियां और स्कूल बस व स्कूली बच्चों को लेकर चलने वाले तमाम वाहन आते है। फिटनेस प्रमाणपत्र से छूट केवल निजी वाहनों को है,इसके अलावा सभी प्रकार के यात्री व लोडिंग वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र अनिवार्य है। इसका प्रतिवर्ष नवीनीकरण भी कराना पडता है।

जिले में किस श्रेणी के कितने वाहन पंजीकृत है इसका ठीक ठीक आंकडा परिवहन विभाग के पास उपलब्ध है,लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारी यह जानकारी किसी के साथ साझा करने को तैयार नहीं होते। इस प्रकार की जानकारी मांगे जाने पर उच्चाधिकारियों की अनुमति का बहाना बना कर टाल देते है। बहरहाल जिले में व्यावसायिक वाहनों की संख्या का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि अकेले रतलाम शहर में करीब सात सौ मैजिक वाहन चल रहे है और आटोरिक्शा की संख्या दो हजार के आसपास है। बसों,स्कूल बसों और लोडिंग वाहनों की संख्या इससे अलग है। कम से कम संख्या का भी अनुमान लगाया जाए,तो रतलाम शहर में तीन से चार हजार ऐसे वाहन होंगे जिन्हे प्रतिवर्ष फिटनेस प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है। पूरे जिले का आंकडा तो इसकी तुलना में तीन चार गुने से भी अधिक हो सकता है।

शासन के नियमानुसार,आटो रिक्शा जैसे छोटे थ्री व्हीलर और हल्के मोटर यान के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र का सरकारी शुल्का 400 रु. है,जबकि मध्यम और हैवी वाहनों,जैसे मिनी ट्रक या बस के लिए इसका शुल्क 600 रु. है। परिवहन विभाग से जुडे सूत्रों का कहना है कि फिटनेस प्रमाण पत्र का सरकारी शुल्क तो आनलाईन ही भरा जाता है। आनलाइन शुल्क भरने के बाद वाहन स्वामी को अपना वाहन लेकर परिवहन कार्यालय जाना पडता है,जहां उसकी कथित तौर पर जांच करने के बाद फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है।

परिवहन विभाग की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि परिवहन विभाग में जिला परिवहन अधिकारी के अलावा स्टाफ के नाम पर तीन चार ही कर्मचारी है। इनमें भी तकनीकी मामलों का जानकार कोई नहीं है। परिवहन कार्यालय में फिटनेस जांच के लिए आने वाले वाहनों की तकनीकी जांच करने की योग्यता वाला कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है। लेकिन परिवहन विभाग को प्रतिवर्ष हजारों वाहनों की तकनीकी जांच कर प्रमाणपत्र देना होता है।

इसी का नतीजा है कि फिटनेस प्रमाणपत्र परिवहन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की आर्थिक फिटनेस को मजबूत करने के काम आता है। सूत्र बताते है कि छोटे वाहन के फिटनेस प्रमाणपत्र के लिए दो हजार रु. और भारी वाहनों की फिटनेस के लिए तीन से चार हजार रु.तय किए गए है। प्रत्येक वाहन स्वामी के लिए फीस के आनलाईन भुगतान के बाद यह रकम देना जरुरी है। यह रकम प्राप्त होने के बाद ही वाहन का फिटनेस प्रमाणपत्र जारी होता है।

अकेले रतलाम शहर के व्यावसायिक वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्रों के लिए दी जाने वाली रकम का मोटा मोटा हिसाब भी लगाया जाए तो यह रकम एक करोड बीस लाख रु. से अधिक होती है। वाहनों की संख्या का अधिकृत आंकडा उपलब्ध नहीं होने से वास्तविक राशि की गणना संभव नहीं है। पुरे जिले का आंकड़ा इससे काफी अधिक हो सकता है।

कुल मिलाकर परिवहन कार्यालय की आर्थिक फिटनेस लगातार तगडी होती जा रही है। परिवहन विभाग से जुडे सूत्रों के मुताबिक जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी की रतलाम में नियुक्ति के बाद अधिकांश व्यवस्थाओं की दरें दुगुनी हो गई है। इससे पहले फिटनेस प्रमाणपत्र के लिए इससे आधी कीमत वसूली जाती थी। चूंकि इस तरह की वसूली परिवहन विभाग में सामान्य बात समझी जाती है इसलिए वाहन स्वामियों के लिए यह एक शिष्टाचार ही था,लेकिन जब से दाम दुगुने हुए वाहन स्वामी परेशान है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के रतलाम आगमन पर उनके सामने भी शिकायत करने की योजना भी बनाई जा रही है।

इस सम्बन्ध में जब इ खबरटुडे ने जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी से उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किया,तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।

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