May 12, 2024

विधानसभा चुनाव में नेता का चेहरा बदला जा सकता है….!

-चंद्र मोहन भगत

भाजपा संगठन की इन दिनों जो आंतरिक स्थिति है वह राजनीतिको के सामने स्पष्ट है। शिवराज सिंह चौहान को तो संभव है कि हाईकमान दक्षिण के राज्यों की चुनावी रचना की तरह विधानसभा चुनाव से दूर भी रखे तो अचरज ना होगा। राजनीतिक दृश्य भी ऐसे ही नजर आ रहे हैं। भाजपा में संगठन होता है और काम भी सिर्फ संस्था के हित में करता है किसी पदाधिकारी या व्यक्ति के लिए नहीं। विधानसभा चुनाव में तो और अधिक मुस्तैद होकर बारीकी से छानबीन कर सिर्फ जीतने वाले प्रत्याशियों को छांट कर मैदान में उतारा जाता है।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों की भाजपा की सांगठनिक तैयारी को देखें तो क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल ने आते ही जिलों की बैठकें ले डाली । इनकी बैठकें होते ही तत्काल संगठन ने पूरे मध्यप्रदेश में सरकार के खिलाफ हुई संगठन में कमजोरियों को छांट कर निदान करने के लिए डैमेज कंट्रोलरों की नियुक्ति कर सभी को काम पर भी लगा दिया ।एक एक डैमेज कंट्रोलरों को नेता को तीन से चार जिलों का प्रभार सौंपा गया है । क्षेत्रीय प्रचारक अजय जामवाल की बैठकों के बाद इस ताने बाने को मात्र एक सप्ताह में ऐसा बुना गया कि डैमेज कंट्रोल करने वाले नेताओं ने अपने-अपने जिलों को संभाल भी लिया। इन डैमेज कंट्रोलरों ने भी अपनी रिपोर्ट तत्काल वरिष्ठ संगठन तक पहुंचा दी । अब इन रिपोर्टों के परीक्षण के बाद भी डैमेज कंट्रोल का काम तो चुनाव तक जारी रहेगा और इन्हीं के आधार पर भावी प्रत्याशी तय होंगे ।आगे की चुनावी योजना की तैयारी भी जिसमें क्षेत्र की समस्या से लेकर युवा वरिष्ठ तथा समाज वार मतदाताओं की नाराजगी को दूर कर संतुष्ट कर उनके मतों को अपने पक्ष में परिवर्तित कराने की तैयारी को अंजाम दिया जाएगा ।

चुनाव लड़ने के लिए ऐसी योजना तैयार करने में भाजपा संगठन को महारत हासिल है। कई चुनाव नतीजों में देखा गया है कि चुनाव के पहले माहौल भाजपा के खिलाफ नजर आता है पर नतीजा पक्ष में । यह अलग बात है कि इस बार प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ पहले ही से ही नाराजगी का ग्राफ बढ़ते बढ़ते इतना हाई हो गया कि भाजपा हाईकमान को हाई अलर्ट पर आकर अभी से डैमेज कंट्रोलरों को तैनात करना पड़ा। भाजपाई सूत्रों की मानें तो क्षेत्रीय प्रचारक अजय जामवाल ने खुद भी जिलों की समीक्षा बैठकें लेते हुए एक-एक दिन में तीन से चार जिले निपटाए थे । साथ ही उनके कार्यकर्ताओं से मिलने के तरीके से भी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है। ऐसा इसलिए हुआ कि क्षेत्रीय प्रचारक अजय जामवाल ने सभी को अपने मन की बात खुलकर कहने की अनुमति दी थी। इसी का नतीजा रहा कि इनकी बैठकों के सप्ताह भर में डैमेज कंट्रोलरों की टीम उनके कार्यक्षेत्र और समय सीमा तय होने से एक दौर की बैठकें भी हो गई है । इस तैयारी का असर भावी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन पर कितना पड़ेगा यह समय जाहिर करेगा पर पार्टी के ताजा वातावरण में भावी प्रत्याशियों की दौड़ के नए प्रतिस्पर्द्धियों में भी जोश नजर आने लगा है । ये सुगबुगाहट भी सतह पर नजर आने लगी है कि 70 से 90 विधायकों को बदला जा सकता है।

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