कारम डैम का तीन दिनों से जारी संकट टला, अब 18 गांव भी सुरक्षित; सीएम शिवराज ने पूरी टीम को दी बधाई
धार,15अगस्त(इ खबर टुडे)। मध्य प्रदेश के धार जिले में कारम नदी पर निर्माणाधीन कारम सिंचाई परियोजना के डैम से जलरिसाव के कारण तीन दिन पहले उपजा संकट युद्धस्तर पर तैयार की गयी ‘पैरेलल चैनल’ की मदद से अतिरिक्त पानी की निकासी के साथ ही रविवार रात टल गया। अब इस संकट की चपेट में आने की आशंका वाले 18 गांव के निवासियों के साथ ही राज्य सरकार ने भी राहत की सांस ली है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रात्रि में एक बयान के जरिए यह घोषणा करते हुए कहा, ‘कारम बांध के लीकेज से उपजी हुई परिस्थितियों से निपटना आपदा प्रबंधन का उत्तम उदाहरण है। इसके लिए मैं पूरी टीम को बधाई देता हूं।’ चौहान ने कहा कि शुक्रवार से हम जिस अभियान में लगे थे, रविवार को उसका तीसरा दिन था। हमारी पूरी टीम का यह प्रयास था कि इस संकट से हम लोगों और उनकी जिंदगी को बचा पाएं और हम यह करने में कामयाब रहे।
सीएम शिवराज बोले- पोकलेन मशीन ऑपरेटर हैं असली हीरो
धार जिले में 300 करोड़ रुपयों की अधिक लागत से निर्माणाधीन कारम डैम से जलरिसाव से कारण तीन दिन पहले उपजे ‘अप्रत्याशित संकट’ के टलने पर शिवराज ने कहा कि इसके असली हीरो पोकलेन मशीन ऑपरेटर हैं और उन्हें सम्मानित किया जाएगा। बांध से सुरक्षित पानी निकासी में अथक परिश्रम करने वाले असली हीरो पोकलेन मशीन ऑपरेटर शिवकुमार कोल, पप्पू कुमार महतो, संजय भारती, मोहम्मद सैयद आलम, रमेश कुमार कोल और हेल्पर प्रमोद कुमार, सूरज कुमार कोल, नीतीश कुमार, अमित और जय सिंह हैं। इन सभी का 15 अगस्त यानी सोमवार को धार जिला मुख्यालय पर सम्मान होगा और इन सभी को शीघ्र ही सीएम चौहान से भी मिलवाया जाएगा।
आगरा-मुंबई नैशनल हाई वे पर शुरू हुआ यातायात
इस बीच राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) डॉ राजेश राजौरा ने बताया कि कारम डैम के क्षतिग्रस्त होने की आपदा के प्रबंधन के चलते अब कारम डैम में ‘डैड स्टोरेज’ तक ही पानी शेष है। ‘बाईपास टनल’ में पानी का डिस्चार्ज नगण्य है। डाउनस्ट्रीम पर कारम नदी का जलस्तर सामान्य स्तर की तरफ तेजी से लौट रहा है। रात्रि में साढ़े आठ बजे आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात भी प्रारंभ कर दिया गया है। किसी भी प्रकार की जनहानि और पशुहानि की सूचना नहीं है।
खत्म हुआ डैम फूटने का खतरा
डॉ राजौरा ने बताया कि सुरक्षा का आकलन करने के बाद धार और खरगोन जिले के प्रशासन ने 18 गांवों के लगभग 14 हजार ग्रामीणों को अपने अपने घर जाने की अनुमति दे दी है। हालांकि ग्रामीणजनों की सुविधा के लिए दोनों जिलों में राहत शिविर सोमवार को भी चलेंगे। आपदा प्रबंधन के दौरान सेना के जवानों और विशेषज्ञों, वायुसेना के हेलीकॉप्टर और एनडीआरएफ की टीमों की मदद भी ली गयी। इसके पहले डैम से पानी निकासी का कार्य शनिवार देर रात से जारी था और यह कार्य रविवार को पूरा हो गया। इसके साथ ही डैम फूटने का खतरा समाप्त हो गया। तीन दिन पहले डैम की दीवार के हिस्से से जलरिसाव की घटना के बाद से प्रशासन ने तकनीकी विशेषज्ञों और सेना की तैनाती के बीच पैरेलल चैनल तैयार किया था। इससे देर रात जलनिकासी का कार्य प्रारंभ हो गया है। ऐसा करने का उद्देश्य यह था कि बांध पर जल का दबाव कम किया जा सके, जिससे क्षतिग्रस्त दीवार को और अधिक नुकसान ना हो।
4 सालों से चल रहा बांध का काम
इस बीच धार जिले के 12 और खरगोन जिले के 06 गांव खाली करा लिए गए थे और पुलिस प्रशासन तथा सेना के अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों को तैनात किया गया था। वहीं मुख्यमंत्री चौहान शनिवार से लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए थे और वह रविवार को भी निवास कार्यालय और राज्य नियंत्रण कक्ष से स्थिति पर लगातार नजर रखते रहे। तीन सौ करोड़ रुपयों से अधिक की लागत वाली इस परियोजना का कार्य पिछले तीन-चार सालों से चल रहा है और यह अब भी जारी है। बांध में इस बार बारिश में पहली बार पानी भरने की सूचना है और इसके बाद ही ये भयावह हालात बन गए थे।