Teachers day : शिक्षकों के विभागीय आर्थिक हितों पर रतलाम विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की भ्रष्ट कार्यप्रणाली से हो रहा है कुठाराघात
रतलाम,05अगस्त(इ खबर टुडे)। रतलाम विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय शिक्षकों के हितों पर कुठाराघात कर लूट, भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है और अधिकांश शिक्षकों के वेतन, जीपीएफ लोन एवं अन्य आर्थिक कार्यों के बिल विधिवत कोषालय में समय पर लगाकर उनका भुगतान कराने में नकारा साबित हुआ हैं। हालात इतने खराब हैं कि शिक्षकों को विगत 1 वर्ष से अधिकांश महीनों में निश्चित समय पर वेतन भुगतान ही नहीं हुआ।
शिक्षकों के संगठनों ने बार-बार इस समस्या पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। इधर जिम्मेदार विकास खंड शिक्षा अधिकारी की अज्ञानता एवं स्टाफ पर नियंत्रण नहीं होने से विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अफरा तफरी, अव्यवस्था एवं मनमानी का आलम है। बताया जाता है कि रतलाम जिले के सभी विकास खंडों पर शिक्षकों को हर माह समय पर वेतन प्राप्त हो रहा है, लेकिन रतलाम विकासखंड ही ऐसा है जो अपने शिक्षकों को समय पर वेतन, जीपीएफ लोन एवं अन्य आर्थिक बिलों का भुगतान समय पर नहीं कर रहा है।
इसी प्रकार सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षक ,शिक्षिकाओं के सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले विभिन्न क्लेम के भी विकास खंड शिक्षा की लेखा शाखा में बिल अटकाये जाकर उन्हें जानबूझकर महीनों लंबित रखा जाता है। बताया जाता है कि रिटायर्ड शिक्षक शिक्षिकाओं के अर्जित अवकाश, सामान्य भविष्य निधि राशि, विभिन्न एरियर, जमा बीमा धनराशि आदि का भुगतान करने के लिए शिक्षा विभाग से जुड़े कई दलाल सक्रिय हैं जो इन मदों की राशियों के भुगतान के लिए 10 से 15% तक राशि अग्रिम वसूल कर इन बिलों को आगे भुगतान हेतु बढ़ाते हैं।
चूंकि सेवानिवृत्ति पश्चात उक्त मदों में शिक्षकों के जीवन भर की पूंजी, जो लाखों में होकर जमा होती है ताकि उनका बुढ़ापा अच्छे से गुजर सके लेकिन संबंधित दलालों की गिद्ध दृष्टि इन राशियों पर लगी रहती है और वसूली के बाद ही इनका भुगतान संभव हो पाता है, अन्यथा विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर काटते हुए शिक्षक शिक्षिकाओं की चप्पले घिस जाती है, इनमें से अधिकांश ऐसी शिक्षिकाएं भी है जो बीमार है, विधवा है, वृद्ध है और आने में असमर्थ हैं उसके बाद भी उन्हें अपने ही राशि के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
बताया जाता है कि शिक्षा विभाग से जुड़े उक्त कार्य को कराने वाले कुछ दलालों का एक गिरोह लंबे अरसे से सक्रिय होकर अब तक लाखों की लूट मचा चुका है। सूत्रों के मुताबिक इस गैंग का कथित सरगना यहां का एक अनुकंपा पर नियुक्त हुआ अंकित नामक कथित बाबू है, जो यहां से होने वाली अंधी कमाई से रातों-रात करोड़पति बनने का ख्वाब देख रहा है? विकास खंड शिक्षा अधिकारी की नाक के नीचे यह गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है। जब उनसे इस बारे में कहा गया तो वह कंप्यूटर वाले शातिर किस्म के गिरोह चलने वाले इस बाबू से बात करने का कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
बताया जाता है कि विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कुछ समय पूर्व संकुल से लगाए शिक्षकों के आर्थिक भुगतान वाले अनेकों बिल गायब हो गए थे, कहा जाता है कि जिन बिलों का कमीशन मिलकर जेब गर्म हो जाती थी उनको कोषालय में भेज कर भुगतान करा दिया जाता था। शेष बिलों को फाइलों में दबा कर घुमा दिया जाता था बाद में दूसरा बिल संकुल वालों को सबमिट करना मजबूरी होती थी। इस संबंध में संकुल कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने आपत्ती लेने तथा विवाद होने के बाद इस समस्या के निराकरण के लिए एक रजिस्टर विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बनाया गया जिसमें संकुल से आने वाले समस्त बिलो को रजिस्टर्ड किया जाता है।
बताया जाता है कि उच्चतर माध्यमिक, माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक शिक्षिकाओं का जीपीएफ लोन विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से ही अंतिम रूप से भुगतान के लिए क्रियान्वित होता है लेकिन अपने ही जमा जीपीएफ राशि को निकालने के लिए विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भेंट पूजा की परंपरा निरंतर जारी है जो प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। शिक्षा विभाग के आर्थिक कार्यों के खेल में विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय रतलाम इतना बदनाम हो चुका है कि अधिकांश शिक्षकों ने मांग की है कि यहां के स्टाफ सहित अधिकारियों को हटा दिया जाना चाहिए।
कलेक्टर से विनम्र अपील
रतलाम के जिला कलेक्टर अन्य क्षेत्रों में सुधार के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी रुचि लेकर योजनाओं को अंजाम दे रहे हैं, वही शासकीय कर्मचारियों के लिए भी वह काफी संवेदनशील है लेकिन विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की कारगुजारी और भ्रष्ट कार्यप्रणाली के कारण शिक्षक वर्ग बेहद त्रस्त है, रतलाम प्रशासन की स्वच्छ छवि पर विकास खंड शिक्षा अधिकारी रतलाम की कारगुजारीयो का कलंक बड़ी चुनौती है, यदि जिला कलेक्टर इस कार्यालय के विगत वर्षों की आर्थिक एवं अन्य विभागीय गतिविधियों की गहन जांच करवा लें तो बडे आर्थिक घोटालों का भंडाफोड़ हो सकता है, शायद यह संभव है। अन्यथा वह कहावत चरितार्थ होगी कि पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है।