December 25, 2024

लाखों कर्मचारियों,पेंशन को लेकर 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला

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नई दिल्ली,16 जनवरी (इ खबर टुडे)। देश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह जरूरी खबर है। ईपीएफओ पेंशन को लेकर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला सोमवार को सामने आने वाला है। पेंशनभोगियों को उम्मीद है कि वेतन के अनुसार पेंशन के लिए उनका लंबा इंतजार इस फैसले के बाद समाप्त होगा। सुप्रीम कोर्ट 21 महीने बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा पेंशन और श्रम व रोजगार मंत्रालय के दायर अपील पर शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका पर विचार करेगा। जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन पीठ 18 जनवरी को याचिकाओं पर विचार करेगी। इससे पहले केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही पूरी पेंशन को श्रम व रोजगार मंत्रालय की अपील और ईपीएफओ की समीक्षा याचिका को लंबित बताते हुए अस्वीकार कर दिया गया। प्राइवेट सेक्‍टर के संगठित क्षेत्र के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद मंथली पेंशन का फायदा दिया जा सके इसके लिए ही ईपीएस EPS यानी एंप्‍लायी पेंशन स्‍कीम, 1995 आरंभ की गई थी। EPF योजना, 1952 के अनुसार कोई भी संस्‍थान अपने कर्मचारी के ईपीएफ में होने वाले 12 फीसदी योगदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस में जमा करता है। जब कर्मचारी 58 साल की आयु पूरी कर ले तब वह कर्मचारी इस ईपीएस EPS के पैसे से मासिक पेंशन का फायदा प्राप्‍त कर सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल 2019 को कर्मचारी पेंशन योजना के मासिक पेंशन पर केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ द्वारा दायर समीक्षा याचिके के बावजूद उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 जुलाई 2019 को दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करने का आदेश दिया। हालांकि इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बीच संसदीय स्थायी समिति ने पिछले साल अक्टूबर में इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था। देशभर में ईएसआइसी 13.56 करोड़ पंजीकृत सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा व स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के काम में जुटा है।

न्‍यूनतम पेंशन बढ़ाने पर यह है अपडेट

ईपीएफओ में 23 लाख से अधिक पेंशनभोगी हैं, जिन्हें हर महीने 1,000 रुपये पेंशन मिलती है। जबकि पीएफ में उनका योगदान इसके एक चौथाई से भी कम है। अधिकारियों ने कहा कि अगर ऐसा होता रहा तो भविष्य में इसका प्रबंधन करना मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए ‘परिभाषित योगदान’ को अपनाया जाना चाहिए। अगस्त 2019 में, ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने पेंशन योजना के अनुसार न्यूनतम पेंशन को 2,000 रुपये से बढ़ाकर रुपये 3,000 करने की मांग की है, हालांकि, इसे लागू नहीं किया गया था। सूत्रों के अनुसार, सरकार को आरएस 2,000 की न्यूनतम पेंशन को लागू करने पर 4500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा और अगर इसे 3,000 रुपये तक बढ़ा दिया जाता है, तो इससे सरकारी खजाने को बड़े पैमाने पर 14,595 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

यह है EPF कटौती का नियम

EPFO कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन के दायरे में जो संगठित क्षेत्र की कंपनियां आती हैं, वे अपने कर्मचारियों को ईपीएफ यानी (Employee Provident Fund) का पूरा लाभ देती हैं। इसका नियम तय है। इसके तहत EPF में नियोक्‍ता एवं कर्मचारी दोनों की तरफ से एक योगदान तय होता है जो कि कर्मचारी के मूल वेतन में महंगाई भत्‍ते को जोड़कर बनाया जाता है। यह बेसिक सैलेरी+DA का 12-12 प्रतिशत होता है। कंपनी के 12 प्रतिशत योगदान के पैसे में से 8.33 प्रतिशत राशि कर्मचारी पेंशन योजना यानी EPS में जाती है।

EPS खाते में से इतने रुपए निकासी की है सीमा

ईपीएस EPS Account में से पैसे निकालने के भी अपने नियम हैं। असल में, इसके लिए 10 साल का क्राइटेरिया है। 10 साल की अवधि के पहले सर्विस के जितने भी साल कम होंगे, आप एकसाथ उतनी ही कम धन राशि की निकासी कर पाएंगे। जानकारों का कहना है कि ईपीएस स्‍कीम में एकमुश्‍त पैसा निकालने की परमिशन केवल तभी मिल सकती है जब आपके पास नौकरी 10 साल से कम वर्ष हों। जो राशि आपको लौटाई जाएगी, वह ईपीएस योजना 1995 में दी गई Table D के अनुसार तय होगी।

नौकरी जाने पर पैसा निकालें या नहीं

यदि आपकी नौकरी चली जाती है तो आप ईपीएफ खाते से पैसा निकाल सकते हैं या नहीं, इसका जवाब भी जान लीजिये। असल में, ईपीएफ योजना के तहत नौकरी चली जाने पर मेंबर के पास पूरी राशि निकालकर उस खाते को बंद कराने का एक ऑप्‍शन होता है। यदि व्‍यक्ति दो माह से अधिक समय के लिए बेरोजगार है तो वह खाते को बंद करा सकता है। ऐसे में शर्त यह है कि सर्विस के दस साल कम होने पर ईपीएस और ईपीएफ खाते से एकमुश्‍त पूरा पैसा निकाला जा सकता है।

ESIC ने दी सुविधा, बेरोजगारी लाभ के लिए हलफनामे की जरूरत नहीं

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) के जरिये बेरोजगारी लाभ पाने वाले लोगों को अब किसी प्रकार का कोई हलफनामा नहीं देना पड़ेगा। इसकी जगह बीमित व्यक्ति की तरफ से ऑनलाइन भेजी गई जानकारी व स्कैन कागजात ही मान्य होंगे। हलफनामा बनाने में लोगों को हो रही परेशानियों के मद्देनजर केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है। कोरोना से उपजी परिस्थिति में अनेकों कामगारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। ऐसे में उनकी आर्थिक मदद के तौर पर 24 मार्च, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 के लिए केंद्र ने अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के तहत बेरोजगारी लाभ देने का निर्णय लिया।

यदि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाते में ब्याज ना मिला हो तो यहां करें शिकायत

सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते और भविष्य निधि (पीएफ) खाते में ब्याज जमा करना शुरू कर दिया है। वित्त मंत्रालय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सदस्यों के PF और EPF खाते में 8.50 प्रतिशत भविष्य निधि ब्याज दर जमा कर रहा है। हालाँकि, अगर किसी EPFO ​​ग्राहक को अभी तक किसी के EPF या PF खाते में PF ब्याज जमा करना है, तो उसे EPFO ​​की आधिकारिक वेबसाइट – epfindia.gov.in पर शिकायत दर्ज करनी होगी। लेकिन, किसी की पीएफ ब्याज क्रेडिट शिकायत डालने से पहले, ईपीएफ बैलेंस की एक ईपीएफ पासबुक की जांच करनी होगी। उमंग ऐप के माध्यम से या ऊपर उल्लिखित ईपीएफओ की वेबसाइट पर लॉग इन करके कोई भी व्यक्ति का पीएफ बैलेंस देख सकता है। ईपीएफ बैलेंस देखने के लिए किसी को अपने मोबाइल फोन पर उमंग ऐप डाउनलोड करना होगा। एक बार ईपीएफ उमंग ऐप किसी के मोबाइल फोन में इंस्टॉल हो जाने के बाद, किसी को पंजीकृत मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा और ‘सेवा निर्देशिका’ विकल्प पर क्लिक करना होगा। फिर ईपीएफओ सदस्य को ईपीएफओ विकल्प पर जाना होगा और ‘पासबुक देखें’ पर क्लिक करना होगा और यूएएन और ओटीपी का उपयोग करके ईपीएफ शेष की जांच करनी होगी। इसलिए, किसी के ईपीएफ पासबुक बैलेंस की जांच करने के बाद, अगर ईपीएफओ के सदस्य को पता चलता है कि किसी के ईपीएफ खाते में पीएफ ब्याज जमा नहीं किया गया है, तो वह ईपीएफओ की वेबसाइट – epfindia.gov.in पर लॉग इन करके शिकायत दर्ज करा सकता है।

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