इंदौर में रैली पर पथराव और फायरिंग की घटना में पुलिस का खुफिया तंत्र हुआ फेल
इंदौर,30 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। उज्जैन के बाद गौतमपुरा के पास ग्राम चांदनखेड़ी में भी हिंदूवादी संगठनों के द्वारा निकाली गई जनजागरण रैली में पथराव और हवाई फायरिंग की घटना ने पुलिस महकमे की बड़ी चूक उजागर की है। गुप्तचर विभाग की नाकामी व घटना के घंटों बाद अधिकारियों के पहुंचने से भी कई सवाल पैदा हो रहे हैं।
हालांकि बाद में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने जाकर स्थिति को नियंत्रित किया और कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की है। उल्लेखनीय है कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह के उद्देश्य से जगह-जगह जनजागरण रैलियों का आयोजन किया जा रहा है।
इसी क्रम में उज्जैन में रैली पर पथराव के बाद पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित किया गया था। संवेदनशील शहर होने के कारण इंदौर में विशेष निगरानी रखी जा रही थी। मंगलवार को जिस गांव में बवाल हुआ, वह अल्पसंख्यक बहुल है।
अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और रैली की अनुमति दे दी। एसडीओपी पंकज दीक्षित व टीआइ रमेशचंद्र भास्करे रैली के पीछे चलते रहे और नारेबाजी पर नियंत्रण नहीं कर पाए। दोपहर 12 बजे स्थिति बेकाबू होने के बाद भी अफसरों को 1 बजे सूचना दी।
एसपी (पश्चिम) महेशचंद जैन तुरंत मौके पर पहुंच गए, लेकिन पुलिस लाइन, आइजी रिजर्व बल 2 घंटे बाद पहुंचा। यहां तक कि ग्रामीण और शहर से रवाना किए अन्य अधिकारी भी 2 बजे तक पहुंचे। भीड़ द्वारा पथराव करने पर पुलिसकर्मी एक-दूसरे को ताकते रहे। एसपी ने जब फटकारा, तब वे भीड़ में घुसे और डंडे चलाए।
भाजपा नेताओं के पहुंचने पर उग्र हुई भीड़ : विवाद की सूचना मिलने पर पूर्व विधायक मनोज पटेल, आरएसएस व कर्णी सेना के पदाधिकारी भी सैकड़ों समर्थकों सहित चांदनखेड़ी पहुंच गए। हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन पर मस्जिद के समीप स्थित मकान से पथराव हुआ है।
उपद्रवी छतों से तलवार लहरा रहे थे। उन्होंने फालिए, तलवारें फेंक कर हमला किया। इसमें 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। नेताओं के आने पर भीड़ कुछ मकानों में घुस गई और छतों पर चढ़ कर भगवा झंडे लहराए। अधिकारियों के उपद्रवियों पर रासुका लगाकर जिलाबदर करने व उनके मकान तोड़ने के आश्वासन के बाद प्रदर्शन बंद हुआ और लोग हटे।