December 24, 2024

भोजन की थाली से हानिकारक रसायन हटाने के लिए करनी होगी छोटे किसानों के हितों की सुरक्षा:मध्यप्रदेश कृषि आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री पाटीदार

rtmd

रतलाम,17 फरवरी( इ खबर टुडे)। बसंत पंचमी दिनांक 16 फरवरी 2021 मंगलवार को महेश्वरी कॉम्प्लेक्स पावर हाउस रोड रतलाम पर मध्यप्रदेश कृषि आयोग के पूर्व अध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार, वरिष्ठ पर्यावरण विद् खुशालसिंह पुरोहित, भूतपूर्व रोटरी अध्यक्ष एवं समाज सेवी मोहनलाल पिरोदिया एवं जिले के अग्रणीय जैविक कृषक राजेंद्र सिंह राठौर आम्बा ने नगर मे जैविक सब्जियों एवं अनाज मसाले आदि के विक्रय केन्द्र का द्विप प्रज्वलित कर विधिवत उदघाटन किया।

संचालन सुभाष शर्मा ने किया और अनिल झालानी ने आभार व्यक्त किया। प्रमुख उपस्थित कृषकों मे ग्राम नागझिरी जिला उज्जैन से गोपाल डोडिया, ग्राम धमाना जिला धार से सुरेन्द्र सिह यादव एवं बी के यादव ग्राम घटगारा जिला धार से मुकेश भाटी,बिलपांक से विक्रम पाटीदार, अशोक पाटीदार, ग्राम राकोदा से विश्णु पाटीदार, संजय पाटीदार, आदि अनेक स्थानों से किसान आए।

इस अवसर पर ईश्वर लाल पाटीदार ने अपने अतिथि भाषण में बताया की सरकारी स्तर पर जैविक कृषि के विकास हेतु लम्बे समय से प्रयास किए जा रहे है। परन्तु अपेक्षित सफलता इसलिए प्राप्त नही हो पा रही की जैविक कृषि उत्पादन के विपणन की उचित व्यवस्था नही बन पा रही अब यदि किसानों और उपभोक्ताओं को एक मंच पर लाया जाता है तो उनकी परस्पर आपसी विश्वासनिता बढ़ेगी तथा उपभोक्ताओं को उचित दाम पर जैविक उत्पादन मिलेगा और जैविक किसानों को अपनी उपज का वास्तविक मूल्य प्राप्त होगा।

पर्यावरण विद् खुशालसिंह पुरोहित ने अपने अतिथि वक्तव्य मे रासायनिक खेती की भयावहता को सामने रखा और बताया पंजाब मे बढते जा रहें कैंसर रोगियों के लिए कैंसर स्पेशल ट्रेन चल पडी है जो दुर्भाग्य पूर्ण है। उन्होंने किटनाशक व रासायनिक खाद के उत्पादन मे लगी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के मोटे व्यापार को जैविक खेती का दुश्मन बताया। आने वाले समय मे कार्पोरेट खेती मे वही कंपनियां खेती का अधिपत्य कर सकती हैं यह संदेह व्यक्त किया।

जिले के अग्रणीय जैविक कृषक राजेन्द्र सिंह राठौर आम्बा ने बताया की जैविक खेती मे रासायनिक खेती की अपेक्षा बहुत अधिक श्रम लगता है। गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन लेने मे उपज की मात्रा भी थोड़ी कम बैठती है इस लिए जैविक खेती मे उत्पादों का लागत मूल्य रासायनिक उत्पादों से अधिक पडता है। वर्तमान मंडी एवं बाजार व्यवस्था मे सर्टिफाइड जैविक उत्पादन का विपणन अलग-अलग किया तो जाने लगा है परन्तू खुले बाजार मे उत्पादक और उपभोक्ता का सिधा संबंध नही होने से इस व्यवस्था मे विश्वसनीयता का पूरी तरह अभाव है।

कार्यक्रम के संचालन कर्ता सुभाष शर्मा ने बताया की वसुंधरा आर्गेनिक पाईट किसानों एवं उपभोक्ताओं का संयुक्त उप-क्रम है जहां पर जैविक कृषक स्वयं अपना उत्पादन सीधे उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराएँगे।

उपभोक्ता प्रतिनिधि एवं जैविक कृषकों के हितेषी धनन्जय तबकडे, ऋषि कुमार शर्मा एवं जैविक कृषक सुनिल सर्राफ ने केन्द्र पर जैविक उत्पादन लेकर आने वाले किसानों के विषय मे जानकारी दी एवं बताया सामूहिक गतिविधियों मे विषय के विशेशज्ञों द्वारा नियमित एवं क्रम वार किसानों के जैविक फार्महाउसों का निरंतर अवलोकन व निरक्षण करने जाते है और यह सुनिश्चित करते है की कम से कम विगत तीन वर्षों से उस फार्म हाउस पर किसी प्रकार के रसायानिक उर्वरकों और ज़हरीली किटनाशकों का छिडकाव नही किया गया हो यह सुनिश्चित किया जाता है।

जैविक कृषक बी एस यादव रिटायर्ड रेन्जर फारेस्ट (क्षेत्रीय रक्षण अधिकारी वन विभाग) ने बताया कि उन्होंने अपने चवदाह बिघा के खेत मे एक तालाब बनाया है। साढेबारहा बिघा मे मलटी लेयर नैचरल फार्मिग कर रहै है। इस पूरातन कृषि प्रणाली मे स्थाई फलदार वृक्षों जैसे अमरूद, आम, जामुन, चिकु आदि के बिच झाड़ी नुमा अरहर, निम्बू, पपीता, आदि छोटे पेड़ लगाए जाते है और छोटे पेडों के बिच सिजनल फसले जो पोधो के उपर फलती है जैसे गेहूं, चना, मूग, मसूर, मेथी, पालक धनिया आदि। ईन सब के बिच मे जडो वाली फसले भी लेते है जैसे अदरक, आलु, अरबी, हलदी आदि। इस पद्धति से तैयार फार्म हाउस मे बारहो महिने सातो दिन उपज प्राप्त हो रही है एक बिघा में तालाब बनाया है, शैष आधा बिघा मे गाय का शैड, स्टाफ क्वार्टर व आउट हाउस का प्रावधान है। साथ ही औषधीय पौधे भी लगाए गए है। इस पद्धति से तैयार खेतों मे प्रकृतिक जंगल के समान कुदरती रूप से किटोपचार होता रहता है और फसलों मे अद्भुत रोगप्रतिरोधक क्षमताओं का विकास होता है। जिससे रसायनिक खाद एवं किटनाशकों की आवश्यकता नही पडती। अतः यह शुद्ध उपज हमारे ईमिन्यु सिस्टम को मजबूत बनाती है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds