May 20, 2024

Shiva Temple Unearthed : बरसों से उपेक्षित पडा खण्डहर, हजार वर्ष पुराना परमारकालीन शिवमन्दिर निकला,खुदाई में मिली सैैंकडों प्राचीन मूर्तियां,मालवा क्षेत्र का सबसे विशाल मन्दिर,कुल पांच मन्दिर मिले

रतलाम,11 फरवरी (इ खबरटुडे)। माही नदी के किनारे बरसों तक जो खण्डहर उपेक्षित पडा हुआ था,वह करीब एक हजार वर्ष पुराना परमारकालीन शिव मन्दिर निकला है। इतना ही नही यह मन्दिर मालवा क्षेत्र के प्राचीन मन्दिरों में सबसे विशाल ह,जो कि 51 स्तंभों पर निर्मित किया गया था। इस क्षेत्र की खुदाई में सौ से अधिक प्राचीन मूर्तियां भी मिली है। इसी क्षेत्र में चार अन्य प्राचीन मन्दिर होने की जानकारी भी सामने आई है। प्राचीन शिव मन्दिर के सामने आने से गढ खंखाई माता के क्षेत्र में पर्यटन को भी बढावा मिलने की उम्मीद है।
रतलाम से सैकडों लोग गढ खंखाई माता के दर्शन करने और माही नदी के किनारे पिकनिक मनाने जाते है। माही नदी के किनारे जाने वाले लोगों को झाडियों के बीच खण्डहर भी दिखाई देता था और इस खण्डहर में खंबे खडे हुए दिखाई देते थे। लेकिन तब कोई नहीं जानता था कि असल में यह खण्डहर किस चीज का है।

उत्खनन के दौरान मंदिर परिसर में मौजूद डा.डीपी पाण्डेय

इस तरह सामने आया प्राचीन शिव मन्दिर

पुरातत्व विभाग के पुरातत्व विद् डा. डीपी पाण्डेय ने मन्दिर के सामने आने की रोचक कहानी को साझा करते हुए बताया कि सितम्बर 2019 में उनके द्वारा राजापुरा क्षेत्र का सर्वे किया गया था। इस सर्वे में उन्हे प्राचीन मन्दिर दबा होने के संकेत मिले थे। इन्ही संकेतों के आधार पर पुरातत्व विभाग से इस पूरे क्षेत्र के उत्खनन की अनुमति मांगी गई थी। पुरातत्व विभाग द्वारा अक्टूबर 2020 में उत्खनन की अनुमति दी गई,लेकिन कोरोना के चलते उस समय उत्खनन नहीं किया जा सका। आखिरकार दिसम्बर माह मेंं इस क्षेत्र का उत्खनन प्रारंभ हुआ। स्वयं डा.डीपी पाण्डेय कई दिनों तक अपनी टीम के साथ राजापुरा गांव मेंडेरा डाले रहे। बडी सावधानी से क्षेत्र का उत्खनन किया गया। करीब पचास ट्रक मिïट्टी गारा हटाने के बाद प्राचीन विशालकाय परमार कालीन शिवमन्दिर सामने प्रकट हुआ।

डा.डीपी पाण्डेय


डा. पाण्डे के मुताबिक इससे पहले तक औंकारेश्वर में स्थित गौरी सोमनाथ मन्दिर को मालवा क्षेत्र का सबसे विशाल प्राचीन मन्दिर माना जाता था,परन्तु राजापुरा उत्खनन में सामने आया शिव मन्दिर उससे भी विशाल है। यह मन्दिर कुल चौबीस सौ वर्गफीट में निर्मित है। माना जाता है कि यह मन्दिर 51 स्तंभों पर बना हुआ था। यह दसवी से तेरहवीं सदी के मध्य निर्मित किया गया था। उस समय मालवा क्षेत्र में परमार राजाओं का राज्य था और परमार वंश के राजा शैव मत को मानते थे,इसलिए उन्होने अनेक शिव मन्दिरों का निर्माण करवाया था। यह मन्दिर खजुराहो मन्दिर का समकालीन है।

तंत्र साधना का केन्द्र था यह मन्दिर

डा. पाण्डेय ने बताया कि यह मन्दिर एक तांत्रिक मन्दिर था अर्तात यह तंत्र साधना का केन्द्र रहा होगा। उनके मुताबिक इस मन्दिर की बाहरी दीवारों पर खजुराहो मन्दिर की तर्ज पर विभिन्न यौन मुद्राएं दर्शाने वाली मूर्तियां उत्कीर्ण है। ऐसी मूर्तियां उन्ही मन्दिरों मेंउत्कीर्ण की जाती थी,जहां तंत्र साधना की जाती थी। मन्दिर के उत्खनन में ढाई सौ से अधिक मूर्तियां प्राप्त हुई है,जिनमें सबसे बडी मूर्ति एक मीटर से कुछ अधिक है,जबकि सबसे छोटी मूर्ति तीस सेमी की मिली है। यहां प्राप्त प्रतिमाओं में भगवान शिव,पार्वती,वैष्णवी,विष्णु,माहेश्वरी आदि की प्रतिमाएं है।

जानबूझकर मिïट्टी में दबाया मन्दिर

डा.पाण्डे ने चौंकाने वाली जानकारी देते हुए बताया कि ऐसा लगता है कि इस मन्दिर का जान बूझकर मिïट्टी में दबाया गया था। अपने इस निष्कर्ष का आधार बताते हुए डा. पाण्डे ने कहा मन्दिर के उत्खनन में जो मिïट्टी निकली है,वह आसपास के खेतों की मिïट्टी से सर्वथा अलग किस्म की है। ऐसा लगता है कि मन्दिर को दबाने के लिए कहीं दूसरे स्थान से मिïट्टी लाई गई होगी। प्राचीन काल में शैव वैष्णव विवाद होते रहते थे और हो सकता है कि इसी के कारण मन्दिर को दबाया गया होगा।

बाकी है चार प्राचीन मन्दिरों का उत्खनन

डा. पाण्डे ने बताया कि इस क्षेत्र के सर्वे में इस प्रमुख मन्दिर के अलावा चार और प्राचीन मन्दिरों के दबे होने की जानकारी सामने आई है। इस तरह कुल पांच मन्दिर इस क्षेत्र में मिले है। पुरातत्व विभाग ने फिलहाल प्रमुख मन्दिर का ही उत्खनन किया है। शेष मन्दिरों के उत्खनन का कार्य बाद में किया जाएगा।

जीर्णोद्धार करेगा पुरातत्व विभाग

डा. पाण्डे ने बताया कि राजापुरा में खोजे गए इस प्राचीन मन्दिर के उत्खनन का कार्य अभी बाकी है। पूरे मन्दिर का उत्खनन होने के बाद इसका जीर्णोद्धार किया जाएगा। मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए पूरी योजना बनाकर स्वीकृती के लिए विभाग को भेज दी गई है। श्री पाण्डेय ने बताया कि उत्खनन में निकली ढाई सौ से अधिक मूर्तियों मे से कई खण्डित है, जबकि कई मूर्तियां पूरी तरह सुरक्षित है। इन प्रतिमाओं को जिला पुरातत्व संग्र्रहालय में रखा जाएगा।

पर्यटन केन्द्र बनकर उभरेगा क्षेत्र

डा. पाण्डे ने बताया कि पुरातत्व विभाग द्वारा इन मन्दिरों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई गई है। मन्दिरों का जीर्णोद्धार होने के बाद यह पूरा क्षेत्र पर्यटन केन्द्र के रुप मे ंविकसित होगा। प्राचीन पुरातात्विक महत्व के मन्दिरों के दर्शनों को लेकर आम लोगों में जबर्दस्त उत्सुकता देखी जाती है। ऐसे में यह तय है कि आने वाले दिनों में यहां पर्यटन को बढावा मिलेगा। खुदाई में प्राचीन मन्दिर सामने आने के बाद से इसे देखने आने वालों की संख्या बढती जा रही है।

सुरक्षा का अभाव

माही नदी के किनारे उत्खनन में सैैंकडों पुरासम्पदाएं फिलहाल खुले में असुरक्षित पडी है। उत्खनन में मिली अखण्डित मूर्तियों को तो फिलहाल सुरक्षित स्थान पर रख दिया गया है,लेकिन सैकंडों पुरा संपदाएं अब भी मन्दिर परिसर के आसपास बिखरी पडी है। पुरातत्व विभाग अपने सीमीत साधनों में जितनी व्यवस्था कर सकता है,उतनी कर चुका है। परन्तु अब जिला प्रशासन को इसकी देखरेख और सुरक्षा की समुचित व्यवस्था करना चाहिए जिससे कि जिले को मिली यह प्राचीन धरोहर सुरक्षित रह सके।

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