महाकाल मंदिर में शिव-पार्वती विवाह उत्सव शुरू: 9 दिनों तक अलग-अलग श्रृंगार होंगे,कोटेश्वर पूजन उपरांत महाकाल को चंदन का उबटन
उज्जैन,03 मार्च(इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार)। महाशिवरात्रि पर्व के 9 दिन पहले महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव और पार्वती के विवाह का उत्सव शुरू होता है। सुबह कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित कोटेश्वर महादेव की विशेष पूजन के बाद भगवान महाकाल को चंदन का उबटन लगाकर इसकी शुरूआत हुई।
अब शिवरात्रि तक महाकाल के अलग-अलग स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा। कोटितीर्थ स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर में भगवान कोटेश्वर रामेश्वर का पूजन अभिषेक शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा 11 ब्राम्हणों के साथ किया गया।
सबसे पहले भगवान गणेश अंबिका पूजन हुआ। इसके पश्चात षोडशोपचार पूजन, रूद्राभिषेक के बाद वरूणी पूजन विधि सम्पन्न हुई। कोटेश्वर महादेव मंदिर में पूजन विधि के बाद भगवान महाकालेश्वर को चंदन का उबटन लगाकर विशेष श्रृंगार किया गया। अगले 9 दिनों तक मंदिर प्रांगण में भगवान महाकाल के विवाह का उत्सव मनेगा जिसके अंतर्गत प्रतिदिन भगवान के अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार होगा और शिवरात्रि पर महाकाल दूल्हा बनेंगे। अगले दिन सेहरा श्रृंगार के बाद भक्तों को महाकाल दूल्हे के रूप में दर्शन देंगे। वर्ष में एक बार दोपहर में इसी दिन भस्मार्ती होती है।
मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक एसके तिवारी के अनुसार शिव नवरात्रि में सबसे पहले कोटितीर्थ कुण्ड स्थित कोटेश्वर महादेव पर शिवपंचमी का पूजन अभिषेक किया गया। 11 ब्राम्ह्णों एवं दो सहायक पुजारियों को एक-एक सोला तथा वरूणी प्रदाय की । कोटेश्वर महादेव के पूजन आरती के पश्चात श्री महाकालेश्वर जी का पूजन –अभिषेक एवं 11 ब्राम्ह्णों द्वारा एकादश – एकादशिनी रूद्राभिषेक किया गया, तत्पएश्चात भोग आरती की जावेगी।
अपरान्ह्: श्री महाकालेश्वर भगवान का संध्या पूजन पश्चात श्रृंगार किया गया। शिवनवरात्रि के दौरान मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इस दौरान भगवान श्री महाकाल के दर्शन नंदीमंडपम के पीछे लगे बैरीकेट्स से होंगे। प्रतिदिन श्री महाकाल भगवान का आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा । प्रथम दिवस शिवपंचमी को भगवान श्री महाकाल का चन्दन का श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्ड माल, छत्र आदि से श्रृंगार किया गया।
शिवनवरात्रि के दौरान कब कौन सा श्रृंगार-
04 मार्च – शेषनाग श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र,
05 मार्च -घटाटोप श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र,
06 मार्च -छबीना श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र,
07 मार्च -होल्कर श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
08 मार्च -श्री मनमहेश श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र,
09 मार्च – श्री उमा महेश श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र,
10 मार्च -शिवतांडव श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र,
11 मार्च -महाशिवरात्रि पर सतत जलधारा रहेगी,
12 मार्च – सप्तधान श्रृंगार (सेहरा दर्शन), कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
14 मार्च – चंद्र दर्शन, पंचानन दर्शन, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र आदि धारण कराये जायेंगे।
परंपरागत हरिकीर्तन प्रतिदिन-
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण में बुधवार से 11 मार्च तक शिवनवरात्रि में प्रतिदिन हरिकीर्तन होगा। लगातार वर्ष 1909 से कानडकर परिवार, इन्दौर द्वारा वंश परम्परानुसार हरिकीर्तन की सेवा दी जा रही है। इसी तारतम्य में सुविख्यात हरिकीर्तन स्व. पं. श्रीराम कानडकर के सुपुत्र कथारत्न हरिभक्त व परायण पं. रमेश कानडकर द्वारा शिवकथा हरिकीर्तन का आयोजन अपरांन्ह 4 से 6 बजे तक मंदिर परिसर में नवग्रह मंदिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर शुरू किया गया।