January 21, 2025

RTO Corruption : जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप, रिश्वत लेने के लिए नियुक्त किया वसूली पटेल

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रतलाम,21 जनवरी (इ खबरटुडे)। प्रदेश की राजधानी में परिवहन विभाग के कान्स्टेबल सौरभ शर्मा के पास से करोडों रु. नगद और करोडों की सोना चांदी बरामद होने से परिवहन विभाग वैसे ही सुर्खियों में बना हुआ है। वैसे भी परिवहन विभाग को सरकार के सबसे ज्यादा भ्रष्ट विभागों में माना जाता है,जहां के अधिकारी ही नहीं बाबू और चपरासी जैसे छोटे छोटे कर्मचारी भी करोडों में खेलते है। लेकिन इसकी खासियत यह होती है कि इतना भ्रष्टाचार होने के बावजूद आमतौर पर इसकी कभी शिकायत नहीं होती। लेकिन अब जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी की शिकायत भी की गई है और इसकी जांच भी हो रही है।

रतलाम का जिला परिवहन कार्यालय भी भ्रष्टाचार का गढ बना हुआ है। जिला परिवहन कार्यालय में भी हर स्तर पर भ्रष्टाचार फैला हुआ है,लेकिन वर्तमान जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी के रतलाम में पदस्थ होने के बाद भ्रष्टाचार में कई गुना इजाफा हो गया है। वाहनों की फिटनेस हो या परमिट का मामला,हर काम की फीस पहले की तुलना में दुगुनी तिगुनी हो गई है। व्यावसायिक वाहनों का संचालन करने वाले आरटीओ दीपक माझी से खासे परेशान है,लेकिन इन बातों की कभी शिकायत नहीं की जाती,क्योंकि वाहन मालिकों को इस बात का डर होता है कि उनके द्वारा शिकायत किए जाने पर कार्यवाही तो जब होगी,तब होगी,लेकिन आरटीओ के रहते उनका व्यवसाय बरबाद हो सकता है।

जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी भी वाहन मालिकों को यह बताते हुए बिलकुल संकोच नहीं करते कि वे विभाग में उपर के अफसरों यहां तक कि मंत्री तक को पर्याप्त हिस्सा भिजवाते है इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकती। इतना ही नहीं वे यह दावा भी करते है कि वे भारी भरकम राशि देकर रतलाम आए हैैं,इसलिए उनका ट्रांसफर भी नहीं करवाया जा सकता।

परिवहन अधिकारी की लूट खसोट से परेशान कुछ वाहन मालिकों ने जब उनका ट्रांसफर करवाने के प्रयास भी किए तो उन्हे सफलता नहीं मिली। परिवहन विभाग में मजबूत पकड के चलते श्री माझी लम्बे अरसे से रतलाम में ही टिके हुए हैैं और उनका तबादला भी नहीं किया जा रहा है।

वैसे भी परिवहन विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार को पकड पाना बेहद कठिन होता है। परिवहन विभाग का कोई भी कर्मचारी रिश्वत की रकम सीधे नहीं लेता,बल्कि प्रत्येक कर्मचारी द्वारा अपना एक निजी सहायक रखा जाता है,जो इस तरह की रकम का लेन देन करता है। इसके अलावा परिवहन विभाग इकलौता ऐसा विभाग है,जिसमें एजेन्ट काम करते है। अधिकांश एजेन्ट विभागीय अधिकारियों को दी जाने वाली रिश्वत की रकम अपनी फीस के नाम पर लेते है और फिर अधिकारियों को इसका भुगतान किया जाता है।

रतलाम का परिवहन विभाग भी इसी तरह चलता है। पूरे जिले के वाहनों पर नियंत्रण रखने वाले इस कार्यालय में काम करने वाले मात्र चार बाबू है और इन पर एक जिला परिवहन अधिकारी तैनात है। इतने कम स्टाफ के बावजूद परिवहन विभाग के कर्मचारियों को काम करने में कोई परेशानी नहीं होती,क्योंकि उनके हर काम पर उन्हे रिश्वत की मोटी रकम मिलती है। परिवहन विभाग के कर्मचारियों द्वारा नियुक्त उनके निजी सहायक भी दफ्तर में उनके काम निपटाते हुए देखे जा सकते है।

लेकिन अब जिला परिवहन अधिकारी के रुप में पदस्थ दीपक माझी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए है। शिकायतकर्ता की शिकायत पर जिला प्रशासन द्वारा आरोपों की जांच की जा रही है।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि दीपक माझी पिछले सात वर्षों से रतलाम में पदस्थ है,जबकि अधिकारियों का तबादला तीन साल में कर दिया जाता है। शिकायतकर्ता का दावा है कि दीपक माझी प्रतिदिन करीब दो लाख रु. की रिश्वत प्राप्त करते है,लेकिन यह रिश्वत वे खुद नहीं लेते। बल्कि उन्होने रिश्वत वसूली के लिए सरफराज नामक व्यक्ति को वसूली पटेल के रुप में नियुक्त कर रखा है। इतना ही नहीं वे हफ्ते में सिर्फ दो दिन दफ्तर में आते है और वह भी थोडे समय के लिए। वे अपना सारा कामकाज घर से ही निपटाते है।

शिकायतकर्ता ने शिकायत में यह भी कहा है कि परिवहन अधिकारी दीपक माझी ने शासकीय आवास भी नहीं लिया है। वे शहर की पाश कालोनी गुलमोहर में एक महंगे किराये का आलीशान मकान लेकर रहते है और उनके मकान का किराया 25 हजार रु.मासिक है। उन्होने अपनी रतलाम पदस्थापना के दौरान करोडों रु. की अवैध सम्पत्तियां बनाई है। शिकायतकर्ता ने दीपक माझी की सम्पत्तियों की जांच कराने की भी मांग की है।

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