June 17, 2024

RSS से जुड़ी संस्था चाहती है स्कूली किताबों हटे, ‘टैगोर, ग़ालिब और पाश’

नई दिल्ली,24 जुलाई (इ खबर टुडे )। इंग्लिश, उर्दू और अरबी शब्द, क्रांतिकारी कवि पाश की एक कविता, मिर्जा ग़ालिब की शायरी और रविंद्रनाथ टैगोर के विचारों को टेक्स्ट बुक्स से हटाने समेत कई सुझाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) को भेजे हैं. बता दें कि एनसीईआरटी ने हाल ही में आम जनता से पाठ्य पुस्तकों में बदलाव से जुड़े सुझाव मांगे थे. न्यास ने एनसीईआरटी को पांच पन्ने में अपने सुझाव भेजे हैं. इस न्यास के प्रमुख दीनानाथ बत्रा हैं जो आरएसएस के शैक्षणिक शाखा विद्या भारती के प्रमुख रह चुके हैं.‘किताबों में कई चीजें आधारहीन और पक्षपातपूर्ण’
न्यास के सचिव और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रहे अतुल कोठारी ने कहा, ‘इन किताबों में कई चीजें आधारहीन और पक्षपातपूर्ण हैं. यह एक कोशिश है एक ही समुदाय के लोगों को अपमानित करने की. इसमें तुष्टिकरण भी झलकता है आप कैसे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ा आप उन्हें कैसे प्रेरित करना चाहते हैं. शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, विवेकानंद और सुभाष चंद्र बोस जैसी महान हस्तियों के लिए कोई जगह नहीं है.’ कोठारी ने आगे बताया, ‘हमें ये चीजें आपत्तिजनक लगीं और हमने अपना सुझाव एनसीईआरटी को भेजा है. हमें आशा है कि ये सुझाव लागू होंगे.

और क्या सुझाव भेजे हैं न्यास ने
न्यास ने चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन की आत्मकथा के अंश, मुगल बादशाहों की रहमदिली का जिक्र, भारतीय जनता पार्टी को एक हिन्दू पार्टी बताना, नेशनल कांफ्रेंस को “सेकुलर”, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सिख दंगे पर मांगी गई माफी और “गुजरात दंगे में करीब दो हजार लोग मारे गए थे” जैसे वाक्य हटाने के सुझाव भी एनसीईआरटी को दिए हैं. न्यास के पांच पन्ने के सुझाव में एनसीईआरटी की क्लास 11 की किताब में “1984 में कांग्रेस को मिले भारी बहुमत” का जिक्र होने लेकिन “1977 के चुनाव का ब्योरा” न होने पर भी आपत्ति जताई गई है. क्लास 12 की किताब में जम्मू-कश्मीर की नेशनल कान्फ्रेंस को “सेकुलर संगठन” बताने पर एतराज जताया गया है. न्यास चाहता है कि एनसीईआरटी की हिन्दी भाषा की पाठ्यपुस्तक में पढ़ाया जाए कि मध्यकालीन कवि अमीर खुसरो ने “हिन्दू और मुसलमान के बीच विभेद को बढ़ावा दिया था.”

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